-बढ़ते प्रदूषण से छह गुना बढ़ा दौरे का खतरा

-सिगरेट से भी ज्यादा खतरनाक है शहर का वायु प्रदूषण

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आगरा। ताजनगरी का बढ़ा हुआ प्रदूषण शहरवासियों की सांसें कम कर रहा है। लोगों में सांस की बीमारी, दमा, अस्थमा, एंजाइना के साथ ही गर्भवती महिलाओं को खासकर प्रभावित कर रहा है। वर्तमान में सांस के मरीज बढ़े है यह हम नही कह रहे शहर के जाने माने डॉक्टर कह रहे है। डॉक्टरों के अनुसार एक सिगरेट हमारे जिंदगी के ग्यारह मिनट कम कर देती है। विशेषज्ञों के अनुसार औसतन सिटी का हर आदमी चार अनचाहे ही चार सिगरेट के बराबर प्रदूषण इनहेल कर रहा है। वाहनों का धुआं, डस्ट पॉल्यूशन, पटाखों का धुआं सिगरेट के धुएं से भी ज्यादा खतरनाक है। इसमें कई तरह के पार्टिकल हमारे शरीर में नाक कान द्वारा अंदर जा रहे है। डॉक्टर के अनुसार हर वर्ष विश्व में 42 लाख मौतें वायु प्रदूषण के कारण हो रही है।

गर्भवती महिलाओं में बढ़ रहा खतरा

बढ़ते वायु प्रदूषण का असर गर्भ में पल रहे भू्रण पर भी देखने को मिल रहा है। कम वजन के बच्चे पैदा हो रहे है। जहरीली और धूल भरी हवा का प्रतिकूल प्रभाव अजन्मे बच्चों पर भी पड़ रहा है। इससे अस्वस्थ व कम वजन के नवजात समय से पहले पैदा हो रहे है। साथ ही गर्भ में पल रहे भ्रूण में कई प्रकार के रोग जैसे सांस लेने में कठिनाई, अस्थमा, फेफड़ों में इन्फेक्शन, ऑक्सीजन की कमी सामने निकल कर आ रही है।

सिगरेट का धुआं है खतरनाक

बात की जाए तो आजकल स्कूल गोइंग बच्चा भी चोरी छिपे स्मोकिंग कर रहा है। जिसके चलते कम उम्र में ही युवाओं में सांस की बीमारी हो रही है। सिगरेट के सस्पेक्टेड पार्टीकल फेफड़ों में पहुंचकर उनको तेजी से डैमेज कर रहे है। फेफड़ों में सूजन पैदा कर रहे है। डॉक्टरों के अनुसार सिगरेट के दौरान कैंसर जैसी गंभीर समस्याएं पैदा हो रही है। अधिकतर लोगों को सिगरेट पीने से मुंह एवं फेफड़ों में कैंसर हो रहा है।

सर्दियों में तेजी से फैलता है संक्रमण

डॉक्टर बताते है कि सर्दियों के शुरुआती दौर में दिवाली का त्योहार पड़ता है। लोग पटाखे आदि जलाकर त्योहार धूमधाम से मनाते है। शॉपिंग आदि करने के लिए बाहर अधिक मात्रा में वाहनों से निकलते है। लेकिन लोगों को यह जानकारी नही है कि सर्दियों के मौसम में फेफड़े का संक्रमण तेजी से फैलता है। जिसे एक्यूट एक्सासरबेशन कहा जाता है। ऐसे में लोग सर्दी के मौसम में भीड़ भाड़ वाले इलाकों में जाने से पहले मास्क अवश्य लगाए तभी घरों से निकले।

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बढ़ते प्रदूषण से बच्चों को सांस लेने में दिक्कत हो रही है। एक से पांच साल तक के छोटे बच्चे अस्थमा का शिकार हो रहे है। डस्ट पार्टिकल, पटाखों का दहन और सिगरेट पर रोक लगाने की आवश्यकता है।

डॉ। प्रवेग गोयल, कार्डियोलॉजिस्ट सिनर्जी हॉस्पिटल

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धूम्रपान करने से सात से आठ साल तक उम्र कम हो जाती है। एक सिगरेट इंसान की जिंदगी के सात से ग्यारह मिनट कम कर देता है। साथ ही गले का कैंसर, फेफड़ों का कैंसर एवं ब्लैडर में कैंसर को पनपा रहा है।

डॉ। ईशान गुप्ता, सीनियर हृदय रोग विशेषज्ञ, नयति हॉस्पिटल

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वाहनों के धुएं और धूल से ब्रॉन्कियल अस्थमा, ब्रॉन्काइटिस, सांस लेने में परेशानी जैसे लक्षण सामने निकल कर आ रहे है। इसके उपचार के लिए नेबुलाइजर के साथ दवाओं का सेवन डॉक्टर के परामर्श से करे।

डॉ। अनुराग जैन, सीनियर फिजीशियन, नयति हॉस्पिटल

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वायु प्रदूषण की वजह से कन्सेप्शन से पहले और गर्भ के प्रथम व दूसरे माह के बच्चा खराब होने या विकृत होने का खतरा रहता है.बहुत सारे अध्ययन के अनुसार वायु प्रदूषण की वजह स्त्री व पुरुष में प्रजनन क्षमता घट जाती है।

डॉ। अमित टंडन, वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ

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दिवाली के पटाखों के दौरान धुआं के कारण हार्ट के रोगियों, अस्थमा से ग्रसित लोगों के लिए जानलेवा बना हुआ है। वाहनों का धुआं लंग कैंसर को जन्म दे रहा है। वहीं पटाखों का धुआं अस्थमा और दमा के मरीजों की संख्या में इजाफा कर रहा है।

डॉ। विश्वदीपक, फिजीशियन रेनबो हॉस्पिटल