दंगों में मारे गए कांग्रेस सांसद एहसान जाफ़री की पत्नी ज़किया जाफ़री ने मोदी और 59 अन्य आरोपियों को क्लीन चिट देने वाले आदेश को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की है.

उधर इशरत जहाँ मामले में सीबीआई जांच को प्रभावित करने के आरोपों की प्रारंभिक जांच के लिए केस दर्ज किया गया है.

मोदी सरकार के कुछ मंत्री और उनके सचिव समेत कई आला अफ़सरों पर आरोप है कि वह फ़र्ज़ी मुठभेड़ की जांच को पटरी से उतारने की कोशिश कर रहे हैं.

फ़ैसले को चुनौती

दंगों के दौरान गुलबर्ग सोसाइटी में मारे गए एहसान जाफ़री की पत्नी ज़किया जाफ़री ने आरोप लगाया था कि मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और 62 अन्य लोगों ने गुजरात में हुई हिंसा को बढ़ावा दिया.

एहसान जाफ़री दंगों के दौरान गुलबर्ग सोसायटी में हुई हिंसा में मारे गए 69 लोगों में शामिल थे. गुजरात में 2002 के दंगों में 1,000 से ज़्यादा लोग मारे गए थे, जिनमें ज़्यादातर मुसलमान थे.

मोदी को क्लीन चिट के ख़िलाफ़ पुनर्विचार याचिका

इन दंगों पर विशेष जांच दल (एसआईटी) की अंतिम रिपोर्ट में नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट दी गई थी और कहा गया था कि उनके ख़िलाफ़ पर्याप्त सबूत नहीं हैं.

जाफ़री ने याचिका दायर कर मामला बंद करने की एसआईटी रिपोर्ट पर आपत्ति जताई थी. रिपोर्ट में मोदी को किसी भी तरह के षड्यंत्र में शामिल होने से बरी कर दिया गया था.

जाफ़री की शिकायत पर जांच पूरी करने के बाद एसआईटी ने जांच रिपोर्ट दायर की थी.

इसमें कहा गया था कि आठ साल बीतने के कारण सबूत जुटाने में परेशानी के बावजूद, जो भी साक्ष्य जुटाए जा सके, उनसे यह साबित नहीं हो सका कि साल 2002 के दंगों के षड्यंत्र के आरोप जिन पर लगाए गए थे, वे इनमें शामिल थे.

अदालती कार्रवाई

मोदी को क्लीन चिट के ख़िलाफ़ पुनर्विचार याचिकासीबीआई की विशेष अदालत ने अमित शाह को इशरत जहां मामले में नोटिस भेजा है.

आठ फरवरी 2012 को एसआईटी ने मामला बंद करने की रिपोर्ट सौंपी थी, जिसके ख़िलाफ़ ज़किया जाफ़री ने 15 अप्रैल, 2013 में याचिका दायर की थी. दिसंबर 2013 में अहमदाबाद के एक मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट ने उनकी याचिका को ख़ारिज कर दिया था.

अब ज़किया ने अहमदाबाद के मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट के उनकी याचिका ख़ारिज करने वाले आदेश को चुनौती देते हुए गुजरात हाईकोर्ट में गुहार लगाई है. उनकी याचिका पर 20 मार्च को सुनवाई होगी.

आरोप हैं कि गुजरात के आला अधिकारियों और मोदी सरकार के मंत्रियों ने इशरत जहां फ़र्ज़ी मुठभेड़ की जांच को प्रभावित करने की कोशिश की थी.

सीबीआई ने इन आरोपों की पुष्टि करने के लिए प्रारंभिक जांच के लिए केस दर्ज कर लिया है.

शुक्रवार को नरेंद्र मोदी के दाएं हाथ माने जाने वाले अमित शाह को सीबीआई की विशेष अदालत ने इशरत जहाँ फ़र्ज़ी मुठभेड़ मामले में नोटिस भी भेजा है.

अदालत ने इस मामले में सीबीआई और अहमदाबाद के पूर्व पुलिस आयुक्त केआर कौशिक को भी नोटिस भेजा है. मामले की अगली सुनवाई 26 मार्च को होगी.

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