पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दाम से निपटने के लिए शहरवासियों ने निकाला तरीका

BAREILLY बदलते वक्त के साथ सब कुछ बदलता है। आम इंसान तो बदलता ही है, साथ ही उसका रहन सहन भी बदलता है। आज के समय में वाहन आम इंसान की सबसे बड़ी जरूरत बन चुकी है और बिना पेट्रोल, डीजल के गाड़ी का कोई मोल नहीं। फ्यूल आम इंसान की बड़ी जरूरतों में से एक है। ऐसे में फ्यूल का दाम बढ़ना, कई दिनों से अपने उच्च स्तर पर बने रहना, वाहन चालकों को मुश्किल में डाले हुए है। पिछले चार दिन से हर दिन पेट्रोल के दाम में कुछ न कुछ बढ़ोतरी हो रही है, जिससे पब्लिक परेशान है। फ्यूल की बढ़ते खर्च का बोझ कम करने के लिए अब लोग कार पूलिंग से एक कदम आगे बढ़कर बाइक पूलिंग भी कर रहे हैं। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने इन्हीं तमाम पहलुओं पर अपने अभियान 'तेल का खेल' के अंतर्गत लोगों से बात की। आइए जानते हैं।


लॉजिक समझ में नहीं आया

पब्लिक का कहना है कि उन्हें पेट्रोल के दाम बढ़ने का लॉजिक समझ में नहीं आ रहा है। सिविल लाइंस के राजवीर सिंह का कहना है कि बैरल के रेट के हिसाब से पेट्रोल की कीमत महज 50 रुपये होनी चाहिए। फिर, भी दाम लगातार बढ़ रहे हैं। दाम के बढ़ने को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए। उन्होंने कहा कि हर रोज पेट्रोल के दाम चुपचाप बढ़ा दिए जा रहे हैं। बढ़ने का औसत रुपए में होता है, जबकि कमी महज कुछ पैसे की होती है।


 

जीएसटी के दायरे में लाया जाए

कुतुबखाना के राम शर्मा का कहना है कि जब एक देश एक टैक्स की बात की जा रही है, तो भी पेट्रोल-डीजल को इससे दूर क्यों रखा गया है। इसको भी जीएसटी के दायरे में लाना चाहिए। इससे पब्लिक को राहत मिलेगी। लेकिन सरकार का एक ही फंडा है पब्लिक को परेशान किए रहना। किसी न किसी चीज में उलझाए रहना और राजनीति करना।

 

फोन पर पहले बात पक्की करते हैं

बड़ी बमनपुरी निवासी दिनेश रस्तोगी ज्वेलर हैं। व्यापार के सिलसिले में दिन भर घूमना पड़ता है। इसलिए पेट्रोल की बढ़ती कीमतों ने दिनेश को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि वह काम करें या न करें। इनका मानना है कि सरकार को पेट्रोल की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगानी चाहिए।


बचत का फॉर्मूला - फोन पर पहले बात पक्की करते हैं। जिससे काम है वह मिलेंगे या नहीं। तीन-चार काम एक साथ करते हैं। ताकि पेट्रोल बढ़ती कीमतों से बचा जा सके।

 


एक बार ही माल मंगा लेते हैं

सिविल इंजीनियर साद हुसैन नूरी गली बड़ा बाजार में रहते हैं। इनका कहना है कि पेट्रोल के दाम बढ़ने से पब्लिक को सिर्फ महंगा फ्यूल ही नहीं खरीदना पड़ रहा है। इससे ट्रांसपोर्टेशन पर काफी फर्क पड़ा है। जिससे रोजमर्रा की चीजें महंगी हो रही हैं। आम पब्लिक महंगाई से त्रस्त है।


बचत का फॉर्मूला - पहले मैं जितने माल की जरूरत होती थी केवल उतना मंगाता था। अब बढ़ते चार्जेस की वजह से एक ही बार में ज्यादा माल मंगा लेता हूं। जिससे ट्रांसपोर्टेशन चार्जेस बार-बार देने नहीं पड़ते।

 

 

पेट्रोल की कार चलाना कर दिया बंद

सीबीगंज महेशपुर निवासी इंजीनियर विशन कुमार आर्य भी पेट्रोल की बढ़ती कीमत से अछूते नहीं हैं। बजट बनाए रखने के लिए इन्होंने अपनी एक कार खड़ी कर दी है। इनका कहना है कि पेट्रोल की बढ़ती कीमतों से कई सारी दिक्कतें हैं। क्योंकि यह सब जरूरत की चीजों पर इफेक्ट डाल रहा है।


बचत का फॉर्मूला - मेरे घर में सीएनजी कार है और एक पेट्रोल कार है। फ्यूल के दाम बढ़ने से सीएनजी कार चला रहा हूं और लोगों को यही राय दूंगा कि वह भी सीएनजी गाड़ी चलाएं।

 

 

रोजमर्रा की जिंदगी प्रभावित

हास्य कवि मनोज मस्ताना संजय नगर में रहते हैं। इनका कहना है कि महंगाई से हमारी रोजमर्रा की जिंदगी पर काफी असर पड़ रहा है। तेल के दाम बढ़ने से खाद्य सामग्री महंगी होगी। ऐसे में, सरकार को इस पर कंट्रोल करना ही होगा।


बचत का फॉर्मूला - पेट्रोल की बढ़ती कीमत के कारण हर काम सोच समझ कर करना पड़ रहा है। मैं नेट पर सर्च किया तो मुझे पता चला कि एक एप होती है बाइक पूल मैं उसका सहारा ले रहा हूं।