लखनऊ (पंकज अवस्थी)। सिटीजन एमेंडमेंट एक्ट (सीसीए)) के विरोध में दंगे भड़काने के पीछे पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया को लेकर हुए खुलासों में उसके लखनऊ के मददगारों का नाम भी सामने आ रहे है। सूत्रों के मुताबिक, इंफोर्समेंट डायरेक्टरेट (ईडी) की जांच में राजधानी के 102 ऐसे ही मददगारों का पता चला है। हैरानी की बात यह है कि इनमें कई राजनेता भी शामिल हैं, जिन्होंने पीएफआई की मदद के लिये दिल खोल दिया। अब ईडी इन मददगारों से पूछताछ की तैयारी कर रही है।

अलग-अलग खातों में जमा की गई रकम

सीएए के विरोध में पीएफआई की भूमिका को लेकर यूपी पुलिस के खुलासे के बाद इसकी फंडिंग की जांच ईडी कर रही है। बताया गया कि ईडी ने जांच की तो कई चौंकाने वाले खुलासे हुए। पता चला कि सीएए पास होने के दिन यानी चार दिसंबर 2019 से छह जनवरी 2020 तक पीएफआई व उसके सहयोगी संगठन रिहैब इंडिया के अलग-अलग खातों में देशभर में 120 करोड़ रुपये जमा किये गए। खास बात यह है कि इन खातों से एक दिन में 90 बार रकम की निकासी की गई। यह निकासी उपद्रव वाले दिन या फिर एक दिन पहले की गई।

राजधानी के मददगार राडार पर

सूत्रों ने बताया कि राजधानी लखनऊ से 102 मददगारों ने पीएफआई या रिहैब इंडिया के 15 खातों में रकम जमा कराई। बताया गया कि रकम जमा कराने वालों में कई राजनेता भी शामिल हैं। इन राजनेताओं के पीएफआई व रिहैब के खातों से रुपये के लेन-देन के पुख्ता सुबूत हाथ लगे हैं। हालांकि, इन राजनेताओं के नाम अभी सार्वजनिक नहीं किये गए हैं लेकिन, जल्द ही ईडी इनके नाम भी सामने लाएगी। इसके साथ ही राजनेताओं समेत विभिन्न मददगारों से ईडी नोटिस देकर पूछताछ के लिये तलब करने की तैयारी कर रही है।

बैंकों की सीसीटीवी फुटेज की हो रही पड़ताल

सूत्रों के मुताबिक, पीएफआई व रिहैब इंडिया के खातों की जांच में यह भी सामने आया है कि राजधानी के जिन लोगों ने इन खातों में रकम जमा की, उन्होंने अपनी पहचान छिपाने की भरसक कोशिश की। इन मददगारों ने इन खातों में 5 से 49 हजार रुपये तक रकम खातों में नकद जमा कराई। उल्लेखनीय है कि बैंकों में 50 हजार रुपये या उससे अधिक नकद रकम जमा करने पर ही पैन कार्ड का नंबर लिया जाता है। ऐसे में अब गुमनाम मददगारों की तलाश के लिये बैंकों के जमा काउंटर पर लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज से उनकी शिनाख्त की कोशिश की जा रही है।

प्रदेश में हुए उपद्रव से जुड़ रहे लिंक

सीएए पास होने के बाद राजधानी के अलावा कानपुर, संभल, बिजनौर, मुजफ्फरनगर और मेरठ में हिंसक प्रदर्शन हुए थे। इस उपद्रव में प्रदर्शनकारियों की फायरिंग में कुल 21 लोगों की जान चली गई थी जबकि, 300 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हो गए थे। राजधानी में परिवर्तन चौक व खदरा में सीएए को लेकर हुए विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गए थे। प्रदर्शनकारियों ने इस दौरान जमकर तोड़फोड़, पथराव व आगजनी की थी। इन प्रदर्शनकारियों की मॉडस ऑपरेंडी देखकर अंदाजा लगाया जा रहा था जैसे यह सबकुछ प्री-प्लांड था। हालात इस कदर बेकाबू हो गए थे कि डीजीपी ओपी सिंह समेत डीजीपी मुख्यालय के अफसरों को पहली बार कानून-व्यवस्था संभालने के लिये राजधानी की सड़कों पर उतरना पड़ा। अब यह भी पता लगाया जा रहा है कि पीएफआई के खातों से निकाली गई रकम का लखनऊ व प्रदेश के अन्य जिलों में हिंसा भड़काने में कितना और किस तरह इस्तेमाल हुआ?

'सिमी का बदला रूप है पीएफआई'

प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने मंगलवार को कहा कि सीएए का विरोध अराजकता फैलाने की सुनियोजित साजिश है। देश विरोधी ताकतें इस आग को हवा दे रही हैं। कहा, प्रदर्शन में छेड़खानी की शिकायतें भी आ रही हैं। ईडी की रिपोर्ट के बाद साफ हो गया कि पीएफआई ने हिंसा कराई है। ईडी की रिपोर्ट के बाद केंद्र सरकार प्रतिबंध लगाने की यूपी सरकार की सिफारिश को जल्द मंजूर करेगी। पीएफआई की तरफ से हाईकोर्ट में दाखिल अर्जी पर प्रदेश सरकार इस संगठन को लेकर अपना पक्ष रखेगी। उन्होंने कहा कि सिमी का बदला हुआ रूप पीएफआई है।

lucknow@inext.co.in

Crime News inextlive from Crime News Desk