ङ्कक्त्रढ्ढहृष्ठन्ङ्कन्हृ (5 छ्वड्डठ्ठ.): अमावस्या, एकादशी अथवा अन्य कोई पर्व हो वृंदावन की पंचकोसी परिक्रमा हर बार हजारों श्रद्धालुओं को रुला देती है। चीरघाट की दो सौ मीटर लंबी अधूरी सड़क और उसके गड्ढे लोगों को घाव देते हैं। जब कि यमुना में बनने वाले पुल का निर्माण रोके जाने से अधूरे पड़े परिक्रमा मार्ग के कारण लोग केशीघाट के तंग किनारों से गुजरकर पूरी करते हैं।

एकादशी पर्व पर मंगलवार को विभिन्न प्रांतों से आए हजारों श्रद्धालुओं ने परिक्रमा की। इन्हीं लोगों में जयपुर राजस्थान की रत्ना उनकी सास सुलोचना देवी ने कहा कि हद हो गयी। वृंदावन में आस्था लेकर हजारों लोग आते हैं। लेकिन जगह होते हुए भी न जाने क्यों परिक्रमा मार्ग को पूरा नहीं कराया गया? इसी प्रकार केशीघाट के पास मिली अलीगढ़ की शिवदेवी और प्रतापों देवी ने कहा कि चीरघाट की सड़क सालों से नहीं बनीं। वे छह महीने में एक बार यहां परिक्रमा लगाने आती हैं, उनके पैरों घाव हो जाते हैं।

उल्लेखनीय है कि चीरघाट के बाद परिक्रमा मार्ग का निर्माण बिहार घाट तक लगभग अधूरा पड़ा है। यदि किसी को परिक्रमा पूरी करनी है तो उसे मजबूरी में चीरघाट के निकट श्रंगार वट से केशीघाट के किनारे-किनारे जाना पड़ता है। हालांकि हजारों लोग इस घाट के तंग भाग से सीढिय़ा चढ़कर किसी प्रकार परिक्रमा पूरी करते हैं। अधूरी परिक्रमा से गुजरने वाले भरतपुर राजस्थान के देव सिंह 68 वर्ष और उनकी पत्नी रामोदेवी 64 वर्ष ने केशीघाट पर बताया कि वे लोग किस तरह यहां चल पा रहे वहीं जानते हैं। परिक्रमा का यह अधूरा भाग उन्हें रुला रहा है। कई श्रद्घालु घायल होकर वापस लौटते हैं।