MATHURA: शरद पूर्णिमा की धवल चांदनी में रासेश्वर श्रीकृष्ण की नगरी धार्मिक अनुष्ठानों से अनुगूंजित हो उठी। मंदिर देवालयों में ठाकुर जी का विशेष श्रृंगार कर खीर का प्रसाद भोग लगाया गया। अनेक स्थानों पर महारासलीला का मंचन किया गया।

'मोर मुकुट कटि काछिनी'

ठाकुर श्रीबांके बिहारी मंदिर में मोर मुकुट कटि काछिनी धारण के साथ बांके बिहारी लाल के दर्शनों के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। वृंदावन की पवित्र भूमि पर शरद पूर्णिमा की धवल चांदनी में रासेश्वसर कृष्ण द्वारा असंख्य गोपियों के साथ महारास लीला का मंचन यमुनातट पर किया गया था। कान्हा की नगरी में आज भी शरद पूर्णिमा पर्व पर विशेष अनुष्ठानों का आयोजन मंदिर देवालयों में किया जाता है।

महारास लीला का मंचन

प्राचीन मंदिर में महारास लीला का भावपूर्ण मंचन कर ठाकुर जी श्वेत वस्त्र धारण कराकर विशेष खीर का भोग लगाया जाता है। जग प्रसद्धि ठाकुर बांके बिहारी मंदिर में ठाकुर बांके बिहारी वर्ष में केवल एक बार रजत निर्मित मोर मुकुट कटि काछिनी के साथ अधरों पर मुरली धारण करते हैं। ठाकुर जी को मंदिर के जगमोहन में रजत निर्मित सिंहासन पर विराजमान कराया गया। सायं काल 5 बजे ठाकुर जी के पट खुले। श्रद्धालुओं का सैलाब मंदिर परिसर में उमड़ पड़ा। लाड़ले कन्हैया की इस अनूठी छवि को निहारने के लिए श्रद्धालुओं में होड़ सी लगी रही।

हुए धार्मिक अनुष्ठान

वहीं ठाकुर राधा सनेह बिहारी मंदिर मे ठाकुरजी को विशेष श्वेत श्रृंगार धारण कराया गया। ठाकुर राधा श्याम सुंदर मंदिर, ठाकुर राधारमण मंदिर, ठाकुर राधा दामोदर मंदिर के अलावा अन्य मंदिर में भी विशेष धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन किया गया। जिसके दर्शनों के लिए देर रात्रि तक श्रद्धालुओं की भीड़ मंदिरों में रही।

दूधिया रंग में चमका लाडली महल

शरद पूर्णिमा की धवल रोशनी में बृषभान नंदनी ने अपने प्रिय प्रियतम के साथ प्राचीन चांदी के बने शीशमहल में विराजमान होकर अपने भक्तों पर कृपा का सागर उड़ेला। इस अवसर पर लाडली जी मन्दिर को सफेद भव्य फूलों व परिधानों से सजाया गया। श्वेत वस्त्रों में राधाकृष्ण की छटा मनोरम दिखाई पड़ रही थी। शाम को मंदिर परिसर में गोस्वामी समाज के द्वारा संयुक्त रूप से समाज गायन किया गया। रात्रि करीब आठ बजे जैसे ही चन्द्रमा की धवल रोशनी जगमोहन में स्थित चांदी के प्राचीन शीश महल में विराजमान राधाकृष्ण की दिव्य प्रतिमा पर पड़ी, तो सेवायतो द्वारा बृषभान नंदनी को खीर का भोग लगाया गया। राधाकृष्ण के दिव्य दर्शनों को भक्तों का जनसैलाब उमड़ पड़ा। गोस्वामी समाज द्वारा समाज गायन किया गया। इस अवसर पर सेवायत रामभरोसी गोस्वामी, रासबिहारी गोस्वामी, मंगतू गोस्वामी आदि मौजूद थे।