3 फर्जी मुठभेड़ में 11 हत्याएं के मामले में 25 साल बाद 47 दोषी

-1991 में 10 निर्दोष सिख युवाओं की फर्जी मुठभेड़ में हत्या का मामला

PILIBHIT:

25 साल पहले पीलीभीत में हुए बहुचर्चित सिख नरसंहार मामले में सीबीआई कोर्ट ने फ्राइडे को 47 पुलिसकर्मियों को दोषी करार दिया। इस बहुचर्चित मामले में पीलीभीत के जंगलों में पुलिस ने 10 लोगों को निर्मम हत्या कर दी गई थी। मामले को आतंकियों को एनकाउंटर बता पुलिस ने खूब वाहवाही लूटी थी। पुलिसकर्मियों को सरकार ने पुरस्कृत भी किया था। मामले को फर्जी एनकाउंटर बता निर्दोष लोगों को मौत के घाट उतारने की अपील एक युवा ने कोर्ट में दाखिल की थी। कोर्ट ने सीबीआई को जांच सौपी और सीबीआई ने 55 पुलिसकर्मियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था।

घटना जुलाई 1991 की है। पीलीभीत व आसपास के इलाकों से करीब 50 सिख, जिसमें बच्चे बूढ़े व महिलाएं थीं में हुजूर साहिब नांदेड़ (महाराष्ट्र) से तीर्थ कर बस से लौट रहे थे। बदायूं के पास कछला गंगा पुल पर पुलिस ने बस को घेरा ओर पीलीभीत लाया गया। पूछताछ के नाम पर 10 युवा सिखों को बस से उतार लिया। 13 जुलाई को पुलिस ने जंगल में तीन मुठभेड़ दिखाकर सभी 10 सिखों को मौत के घाट उतार दिया। जिसमें कई पीपीएस अफसर व दारोगा भी शामिल रहे।

20 पुलिसकर्मियों को जेल भेज दिया-

शुक्रवार को सीबीआई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने इस मामले में 47 पुलिसकर्मियों को दोषी ठहराते हुए मौजूद 20 पुलिसकर्मियों को फौरन जेल भेज दिया और 27 के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया। मामले में पीलीभीत के ट्रांसपोर्टर जगदीश शरण अग्रवाल की बस किराये पर तीर्थयात्री महाराष्ट्र गए थे।

पुलिस ने बस से पस्तौर अमरिया निवासी नरेन्द्र सिंह व नवदिया बंकी निवासी तल¨वदर सिंह समेत 11 युवा सिखों को पूछताछ के नाम पर बस से उतार लिया। बाकी सभी यात्रियों को इस कदर धमकाया कि कि वे पीलीभीत पहुंचकर भी जुबान खोलने से कतराते रहे। दो दिन बाद 13 जुलाई को तत्कालीन पुलिस अधीक्षक आरडी त्रिपाठी ने घोषणा किया कि पुलिस ने तीन जगह अलग-अलग हुई मुठभेड़ों में 11 खूंखार आतंकवादियों को मौत के घाट उतार दिया है। उनके पास से बड़ी मात्रा में असलहे व गोला बारूद भी बरामद हुआ है।

10 लोग मारे गए थे-

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तत्कालीन एसपी पीलीभीत ने तीनों कथित मुठभेड़ की घटनाओं का मुकदमा भी तीन अलग-अलग थानों में दर्ज कराया गया था।

एनकाउंटर नंबर 1

महोफ के जंगल में मारे गए

बलजीत सिंह,

जसवंत सिंह जस्सा,

हर¨बदर सिंह ¨मटू, ्र

सुजान सिंह

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एनकाउंटर नंबर 2

पताबोझी दियोरिया के जंगल में

तरसेम धारीवाल

करतार सिंह मौत

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एनकाउंटर नंबर 3

बिलसंडा थाना के करसुई घाट

जसवंत सिंह फौजी

बिछेत्तर सिंह

लखविंदर सिंह

नरेन्द्र सिंह

तलविंदर सिंह

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आरएम सोढ़ी और रामजेठमलानी कर चुके थे पैरवी-

युवा सिख नेता हर¨वदर सिंह कहलो इस मामले को लेकर पहले हाइकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट गए। सुप्रीम कोर्ट में तत्कालीन प्रख्यात वकील आरएस सोढ़ी व राम जेठमलानी ने इस मामले की पैरवी की और फिर मामला सीबीआई के सुपुर्द किया गया। सीबीआई ने जांच के बाद 25 नवंबर 2005 को तीनों मुठभेड़ों को फर्जी बताते हुए राजेन्द्र सिंह, हरपाल सिंह, बृजेन्द्र सिंह, मोहन चंद, दुर्गापाल समेत 55 पुलिस कर्मियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की, तब तक इनमें से दो पुलिस कर्मियों की मौत भी हो चुकी थी।