पितरों की प्रतिमा की प्रतिष्ठा मघा रोहिणी मृगशिरा एवं श्रवण नक्षत्र में रविवार सोमवार एवं गुरुवार में तथा वृषभ, सिंह एवं कुम्भ लग्न में प्रशस्त माना गया है।शास्त्रों में 12 प्रकार के श्राद्ध का वर्णन है...

1. नित्य श्राद्ध

2. नैमित्तिक श्राद्ध

3. काम्य श्राद्ध

4. वृद्धि श्राद्ध

5. सपिंड श्राद्ध

6. पावर्ण श्राद्ध

7.  गोष्ठ श्राद्ध

8.  शुद्धि श्राद्ध

9.  कमांग श्राद्ध

10. दैविक श्राद्ध

11. औपचारिक श्राद्ध

12. सांवत्सरिक श्राद्ध

सभी श्राद्धों में सांवत्सरिक श्राद्ध सबसे श्रेष्ठ है।इसे मृत व्यक्ति की तिथि पर करना चाहिए।श्राद्ध में इन 7 मत्वपूर्ण चीजों का इस्तेमाल करना उत्तम होता है। दूध,गंगाजल, मधु,तसर का कपड़ा, दौहित्र, कुतप (दिन का आठवां मुहूर्त)और तिल जिन्हें पितरों को श्राद्ध के वक्त जरूर अर्पित करना चाहिए।

Pitru Paksha 2019: किस दिन कैसे करें श्राद्ध

कैसे करें श्राद्ध

श्राद्ध पक्ष में श्राद्ध वाले दिन प्रातः काल घर को स्वच्छ कर पुरषों को सफेद वस्त्र एवं स्त्रियों को पीले अथवा लाल वस्त्र धारण करना चाहिए।श्राद्ध का उपयुक्त समय कुतुप काल मध्यान्ह होता है।भोजन सामग्री बनने के पश्चात हाथ में कुछ काले तिल और जल लेकर पूर्व दिशा की ओर मुहँ करके संकल्प लेना चाहिए, जिसमें अपने पितरों को श्राद्ध ग्राह्म करने के लिए इनका आवाहन करने और श्राद्ध से सन्तुष्ट होकर कल्याण की कामना करनी चाहिए।तत्पश्चात जल ,तिल और कुश को किसी पात्र में छोड़ दें एवं श्राद्ध के नियम के अनुसार तैयार भोजन सामग्री में से पंचवली निकालें।देवता के लिए किसी कंडे अथवा कोयले को प्रज्जवलित कर उसमें घी डालकर थोड़ी-थोड़ी भोजन सामग्री अर्पित करनी चाहिए।शेष बलि जिनके निमित्त है उन्हें अर्पित कर देनी चाहिए।अंत में ब्राह्मणों को अपना पितृ मानते हुए ताम्बूल और दक्षिणा प्रदान करनी चाहिए और उनकी चार परिक्रमाएं करनी चाहिए।श्राद्ध काल में इन मंत्रों का जाप करना पितृ दोष से शांति करवाता है।इन्हें श्राद्ध काल में प्रतिदिन 108 बार जप करना चाहिए।

             

मंत्र

'ॐ सर्व पितृ परम् प्रसन्नो भव ॐ।ॐ होम क्लीं ऐ सर्व पितृभयो स्व तम सिद्द्ये ॐ फट'

-ज्योतिषाचार्य पंडित राजीव शर्मा

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