डाॅ. त्रिलोकीनाथ (ज्योतिषाचार्य और वास्तुविद)। हिन्दु पंचांग के अनुसार पितृ पक्ष का प्रारम्भ भाद्र मास की पूर्णिमा से प्रारम्भ होकर अश्विनि मास की अमावस्या तक होता है जो कि 16 दिनों तक उनकी याद में तर्पण किया जाता है। कुछ स्थानों पर अश्विन मास के कृष्ण पक्ष परेवा(प्रथमा) से अमावस्या तक अर्थात 15 दिनों तक पितृ पक्ष मनाया जाता है। इस बीच हम अपने पुर्खों को याद करते है। उनके याद में जल देते है। सूर्य को नमस्कार करते है। इस वर्ष पितृ पक्ष अर्थात श्राद्ध का प्रारम्भ 20 सितम्बर से प्रारम्भ होकर छः अक्टूबर तक किया जायेगा। कृष्ण पक्ष की अमावस्या को श्राद्ध समाप्त होगा। इसी दिन पितृ विसर्जन होता है।15,16 दिनों के तक पितृ आते है और अमावस्या को अपना श्राद्ध ग्रहण करके चले जाते है।

पुरखों की याद में तर्पण करते

ब्रह्म पुराण के अनुसार इन 16 दिनों में हम अपने पुरखों की याद में तर्पण करते है। उनकी याद में विभिन्न तरह के पकवान चढ़ाते है। इस बीच कुत्तों एवं कौवों को पुरखों के नाम से विभिन्न तरह के पकवान खिलाते है। कुछ लोग कई पीढ़ियों तक अपने पूर्वजों को अपने पिता दादा के माध्यम से जानकारी प्राप्त किये रहते है उनकी रुचि के अनुसार पकवान बनाकर खिलाते है।

श्राद्ध या पितृ पक्ष का महत्व

हिन्दु परंपरा के अनुसार हम इन्हीं दिनों में वर्ष में एक बार अपने पुरखों को याद करते है। उनका जल या श्राद्ध के माध्यम से तर्पण करते है। कुछ न कुछ पकवान बनाकर उन्हें प्रतिकात्मक खिलाने का प्रयास करते है। ऐसी मान्यता है यदि हम पित्रों को याद करते है, उनकी याद में तर्पण करते है तो उनकी कृपा हम पर बनी रहती है। वे हमें अदृश्य रुप में आशीर्वाद देते है। वें अपने घर आते है और कल्याणरुपी आशीर्वाद की वर्षा करते है। जिससे हम अपने पुरखों के आशीर्वाद से जीवन की विषम परिस्थितियों से लड़कर आगे बढ़ने में सक्षम हो जाते है। अर्थात विषम परिस्थितियों में हमारें पुरखें कवच के रुप में हमारी सुरक्षा करते है।

पितृ दोष का ज्योतिषि प्रभाव

यदि किसी कुण्डली में पितृ दोष है तो इस पितृ पक्ष में उसे पुरखों की याद में तर्पण अवश्य करना चाहिए। पुरखों की याद में गरीबों को दान करना चाहिए। इससे पितृ दोष समाप्त हो जाता है। पुरखों का आशीर्वाद मिलने लगता है, पितृ दोष की समस्या कम हो जाती है।जिनकी कुण्डली में पितृदोष हो उसे इस अवधि में पितृ की याद में तर्पण करना चाहिए। मान्यता है कि पितरों के असंख्य आशीर्वाद से जीवन में पड़ने वाली हजारों समस्याओं का नाश होता है। पितरों की कृपा अपने संतति पर बनी रहती है। जिनकी कुण्डली में पितृ दोष नहीं है वे भी यदि पितरों की याद में दान या तर्पण करते है तो पितरों का आशीर्वाद निरन्तर बना रहता है।

Pitru Paksha 2021: 20 सितंबर से 6 अक्टूबर तक पितृ पक्ष