कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। पितृ पक्ष यानी कि श्राद्ध की पवित्र अवधि इस साल 29 सितंबर दिन शुक्रवार से शुरू होगी और अगले 16 दिनों तक जारी रहेगी। पितृ पक्ष में पूर्वज पृथ्वी पर आते हैं। इसलिए उनका आशीर्वाद पाने के लिए विशेष उपाय किए जाते हैं। वहीं पितृ पक्ष के आखिरी दिन को सर्वपितृ अमावस्या या महालया अमावस्या के नाम से जाना जाता है। महालया अमावस्या पितृ पक्ष का सबसे महत्वपूर्ण दिन है। यदि कोई श्राद्ध अनुष्ठान करने में असमर्थ है, तो वह अपने पूर्वजों का आशीर्वाद पाने के लिए पितृ पक्ष के अंतिम दिन अनुष्ठान कर सकता है।
श्राद्ध से जुड़ी कई मान्यताएं
हालांकि पितृ पक्ष में श्राद्ध से जुड़ी कई मान्यताएं हैं जैसे लोगों को किसी भी उत्सव का हिस्सा बनने से बचना चाहिए, नई चीजें खरीदना प्रतिबंधित है और पितरों के लिए तर्पण और पिंडदान जैसे अनुष्ठान करना बहुत जरूरी होता है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार एक प्रमुख मान्यता यह है कि जो लोग अपने पूर्वजों के लिए तर्पण और पिंडदान करते हैं, उन्हें श्राद्ध की इस पवित्र अवधि के दौरान कुछ खास चीजों को खाने पीने से परहेज करते हुए सख्त आहार पर रहना चाहिए।

पितृ पक्ष के दौरान इन चीजों से करें परहेज

मांसाहारी भोजन
श्राद्ध के दौरान सबसे महत्वपूर्ण बात जो ध्यान में रखनी चाहिए वह है मांसाहारी भोजन का सेवन करने से बचना। मांस, चिकन, अंडे आदि के सेवन से बचना चाहिए क्योंकि श्राद्ध को एक पवित्र काल माना जाता है।
शराब
ध्यान रखें कि इस 16 दिवसीय पितृ पक्ष के दौरान शराब और मादक पेय पदार्थों के सेवन से बचें। पूर्वजों का आशीर्वाद पाने के लिए अनुष्ठान करना और भगवान की पूजा करना एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान माना जाता है।
प्याज और लहसुन
लहसुन को राजसिक और प्याज को तामसिक माना जाता है क्योंकि ये शरीर में गर्मी पैदा करते हैं। व्यक्ति में गुस्सा, अंहकार, उत्तेजना का भाव उत्पन्न होता है। इसलिए श्राद्ध काल में प्याज लहसुन से परहेज करना चाहिए।
गेहूं और दालें
पितृ पक्ष में कच्चा अनाज, दाल या चावल सख्त वर्जित है। इनके बिना भोजन बनाने की कोशिश करें। काला नमक, खीरा, बैंगन और जीरा से भी परहेज करना चाहिए। पान, सुपारी, शराब एवं तम्बाकू भी वर्जित है।


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