ग्रह पर जीवन लाने की तैयारी

यूनिवर्सिटी आफ साउथहैम्प्टन स्पेसफ्लाइट सोसायटी की लेटयूस आन मार्स योजना है. मार्स वन द्वारा संचालित एक अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा के अंतिम चरण में पहुंच गयी है. मार्स वन नीदरलैंड का एक गैर सरकारी संगठन है जो मंगल ग्रह पर प्रयोग करेगा. इस परियोजना के लिए कुल दस विश्वविद्यालयों को चुना गया है. जिसमें यूनिवर्सिटी आफ साउथहैम्प्टन स्पेसफ्लाइट सोसायटी की परियोजना को तकनीकी रूप एवं लोकप्रियता के लिहाज से बेहतर पाया गया है. ब्रिटेन का मानना है कि किसी ने अभी तक ऐसा नहीं किया है और हम इस मामले में पहले होना चाहते हैं. हम एक अन्य ग्रह पर जीवन लाने जा रहे हैं.

जनता के वोट की जरूरत

परियोजना की प्रमुख सुजेना लुकारोती ने बताया, अन्य ग्रहों पर रहने के लिए हमें वहां भोजन उगाने की जरुरत है. ऐसे में मार्स वन के प्रयोगों के तौर पर प्रतिस्पर्धा जीतने वाले विश्वविद्यालय के योजना संबंधी साजो सामान के साथ 2018 में मंगल पर भेजा जाएगा. जिसमें वहां जाने वाले छात्र मंगल ग्रह के वातावरण और सूर्य की रोशनी का इस्तेमाल करेंगे और वहां पर सबसे पहले सलाद के पत्ते उगायेंगे. ब्रिटेन एक अन्य ग्रह पर पहली बार जीवन लाने की कोशिश में लगा हुआ है. हालांकि इस परियोजना को जीतने के लिए उन्हें जनता के सपोर्ट की जरूरत है. इस मुकाबले में जनता के वोट ही उन्हें जीत दिला पांएगे.

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