नई दिल्ली (एएनआई)। कोरोना वायरस के इलाज के लिए प्रयास जारी हैं। इस बीच दिल्ली के मैक्स हेल्थकेयर अस्पताल के ग्रुप मेडिकल डायरेक्टर डॉ संदीप बुधिराजा ने कोविड-19 मरीज के इलाज को लेकर एक 'प्लाज्मा थेरेपी' दी है जिसके सकारात्मक नतीजे सामने आए हैं। एएनआई से बात करते हुए, डॉ बुधिराजा ने कहा कि प्लाज्मा थेरेपी में हम उन लोगों के शरीर से प्लाज्मा लेते हैं, जो संक्रमण से उबर चुके हैं और जिनके शरीर में वायरस से लडऩे के लिए जरूरी एंटीबॉडीज हैं। डॉक्टर के मुताबिक, 'प्लाज्मा थेरेपी एक नया उपचार नहीं है। इसका उपयोग पहले विभिन्न वायरल महामारियों के दौरान किया गया है। इसका उपयोग 2003 में SARS के समय और यहां तक ​​कि स्पेनिश फ्लू के समय 1980 में भी किया गया था।'

कैसे काम करती है प्लाज्मा थेरेपी

डॉ बुधिराजा ने कहा, 'जब हमारे पास किसी बीमारी का इलाज करने के लिए एक विशिष्ट उपचार नहीं होता है, तो प्लाज्मा थेरेपी ऐसी स्थिति में काफी कारगर साबित होती है। यह जादू नहीं है, लेकिन यह निश्चित रूप से रोगियों की मदद करता है। एंटीबॉडी शरीर में वायरस को मारने या रोकने में मदद करते हैं। बस यही फॉर्मूला कोविड 19 पेशेंट के इलाज में कारगर साबित हो रहा। डॉक्टर कहते हैं, 'हम एक कोरोना पेशेंट (जो स्वस्थ हो चुका है) से प्लाज्मा लेते हैं और इसे एक ऐसे मरीज में इंजेक्ट करते हैं जो गंभीर रूप से बीमार है। प्राप्तकर्ता के शरीर में स्थानांतरित विरोधी शरीर वायरस के भार को कम कर सकते हैं यह रोग की गंभीरता को कम करने में मदद कर सकता है।'

अफिशल परमीशन मिलने का इंतजार

उन्होंने कहा कि दुनिया भर से सकारात्मक रिपोर्ट आ रही हैं और इस थेरेपी से इलाज करने वाले मरीजों में सकारात्मक बदलाव देखा जा रहा है। डॉ बुधिराजा ने कहा, 'हमारे पास एक रोगी था जो गंभीर रूप से बीमार था और वेंटिलेटर पर था। कुछ दिनों तक रोगी की स्थिति में कोई सुधार नहीं देखा गया था। तब परिवार के सदस्यों ने अनुरोध किया कि वे चाहते थे कि डॉक्टर प्लाज्मा चिकित्सा से उसका इलाज करें। समस्या यह है कि आईसीएमआर और डीसीए ने अफिशल इसे मंजूरी नहीं दी है, यह अभी भी प्रोसेस में है।'

पॉजिटिव रिस्पांस मिल रहा

डॉ बुधिराजा कहते हैं, 'मैं यह नहीं कह सकता कि मरीज उपचार के बाद पूरी तरह से ठीक हो गए हैं, लेकिन पिछले कुछ दिनों में, हम सकारात्मक प्रतिक्रिया देख रहे हैं। समय के साथ, हम उस अवधि को जान पाएंगे जिसमें रोगी ठीक हो जाता है।' बता दें इस प्लाज्मा थेरेपी में करीब दो घंटे लगते हैं। इसमें डोनर के शरीर से प्लाज्मा लिया जाता है फिर इसे पेशेंट के शरीर में इंजेक्ट किया जाता है।

आईएलबीएस को मिली हरी झंडी

प्लाज्मा थेरेपी परीक्षणों का संचालन करने के लिए इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बायिलरी साइंसेज (आईएलबीएस) ने एक विशेष क्लिनिक की स्थापना की है। यह मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के सहयोग से किया जा रहा है। आईएलबीएस के निदेशक डॉ शिव सरीन ने एएनआई को बताया, "हमें इसके लिए हमारी आचार समिति की मंजूरी मिल गई है। इसके अलावा, ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीजीसीआई) ने गंभीर रूप से बीमार कोविड पेशेंट पर एक प्लाज्मा थेरेपी का परीक्षण करने के लिए हमें हरी झंडी दे दी है।'

अगले 3 दिनों में शुरु कर देंगे परीक्षण : केजरीवाल

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार को कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में कोरोना वायरस रोगियों के इलाज के लिए डॉक्टर जल्द ही प्लाज्मा थेरेपी का ट्रायल शुरू करेंगे। उन्होंने एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, "प्लाज्मा थेरेपी का परीक्षण अगले 3-4 दिनों में शुरू हो जाएगा। यदि सफल रहा तो हम गंभीर कोविड-19 रोगियों के जीवन को बचा सकते हैं।" उन्होंने कहा कि 14 अप्रैल को दिल्ली सरकार ने इसके लिए केंद्र सरकार से अनुमति मांगी थी और आज हमें इसके लिए मंजूरी दे दी गई है।

तेलंगाना ने भी मांगी इजाजत

तेलंगाना ने कोविड 19 के उपचार के लिए प्लाज्मा थेरेपी का उपयोग करने के लिए आईसीएमआर से परीक्षण की इजाजत मांगी है। राज्य सरकार ने आईसीएमआर को लिखा है, परीक्षण किए गए रोगियों के रक्त से प्लाज्मा का उपयोग करने के लिए उनकी मंजूरी की जाँच की गई है। इस चिकित्सा पद्धति को अभी देश में अनुमति नहीं है। हमने आईसीएमआर से परमीशन मांगी है।

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