-पैसेंजर्स को अब पत्ते की प्लेट्स में दिया जा रहा खाना, लड़की के चम्मच भी हो रहे यूज

-पॉल्यूशन कम करने के लिए एनजीटी ने दी हिदायत, रेलवे बोर्ड ने जारी किया आदेश

बरेली: बरेली जंक्शन अब ईको फ्रेंडली हो गया है यानि अब आपको यहां थर्माकोल या प्लास्टिक की प्लेट्स में खाना नहीं मिलेगा। रेलवे बोर्ड के आदेश के बाद पिछले एक हफ्ते से प्लेटफार्म और ट्रेनों में पैसेंजर्स को पत्ते की प्लेट्स में खाना दिया जा रहा है। साथ ही लड़की के चम्मच भी दिए जा रहे हैं। जबकि कुछ वेंडर कागज की प्लेट्स भी यूज कर रहे हैं। जिससे एक ओर आपकी सेहत अच्छी रहेगी तो वहीं दूसरी ओर पॉल्यूशन भी कम होगा। वहीं चाय के लिए मोटे कागज के गिलास का यूज हो रहा है।

जम्मू की लकड़ी की प्लेट

रेलवे बोर्ड के आदेश पर जंक्शन पर फिलहाल अभी तो कागज और पेड़ों के पत्ते की प्लेट्स में खाना दिया जा रहा है, लेकिन जल्द ही यहां पर कश्मीर के जंगल में बेकार पड़े पेड़ों की लकड़ी से प्लेट्स बनाई जाएंगी। वहीं स्टेशन मैनेजर ने बताया कि जंक्शन को इको फ्रेंडली बनाने के लिए चेकिंग अभियान चलाकर कार्रवाई भी की जाएगी।

एनजीटी ने लगाई थी फटकार

जंक्शन पर प्लेटफार्म और ट्रेनों में इससे पहले थर्माकोल और प्लस्टिक की प्लेट्स में खाना दिया जा रहा था। साथ ही प्लास्टिक के चम्मच भी खूब यूज हो रहा था। जिस पर एनजीटी ने रेलवे बोर्ड को कड़ी हिदायत दी थी। साथ ही जुर्माना भी लगाया था। वहीं प्लास्टिक और थर्माकोल के यूज पर पूरी तरह से बैन लगा दिया था। जिस पर रेलवे प्रशासन ने प्लास्टिक पर रोक लगाने के आदेश जारी किया।

पैसेंजर्स को करें अवेयर

रेलवे बोर्ड के मुख्य अधिशासी निदेशक (ईएनएचएम) आलोक कुमार तिवारी ने 19 अगस्त को इस संबंध में पत्र जारी किया है। आइआरसीटीसी को आदेश दिया है कि प्लास्टिक की बोतल में पानी बेचने के बाद यात्रियों से बोतल वापस ले लें। साथ ही यात्रियों को भी बोतल को क्रश मशीन में डाल कर नष्ट करने के लिए अवेयर करें। उन्हें बताएं कि यात्रा के समय स्टील के बोतल या थर्मस लेकर चलें।

यह था नुकसान

-थर्माकोल की प्लेट में मौजूद केमिकल हमारे डाइजेशन पर इफेक्ट डालते हैं, जिससे कैंसर की संभावना रहती है।

-प्लास्टिक या थर्माकोल की प्लेट से एटमॉशफेयर को काफी नुकसान पहुंचता हैए क्योंकि यह जल्दी गलते और सड़ते नही हैं।

-डिस्पोजेबल गिलास में पाए जाने वाले केमिकल छोटी आंत पर बहुत असर डालते हैं।

यह मिलेगा फायदा

-पॉल्यूशन कम करने में मदद मिलेगी।

-पैसेंजर्स का स्वास्थ्य अच्छा रहेगा।

-ईको फ्रेंडली प्लेट्स को खाद के रूप में भी यूज कर सकते हैं।

-प्लेट्स को फेंकने पर नए पौधे उगेंगे जो ऑक्सीजन बढ़ाने में मदद करेंगे।

-ईको फ्रेंडली प्लेट्स सस्ती मिलती हैं।

वेंडर भी दिखे खुश

प्लास्टिक की प्लेट्स और चम्मच पर बैन लगने से प्लेटफार्म पर खाना बेचने और देने वाले वेंडर भी खुश हैं। वेंडर्स का कहना है कि प्लास्टिक और थर्माकोल की प्लेट कागज और पत्ता की प्लेट्स से महंगी होती हैं। जबकि अब कागज और पत्ते की प्लेट यूज करने के लिए रुपए भी कम खर्च करने पड़ रहे हैं। यह अच्छी पहल है।

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-रेलवे अफसरों की तरफ से आदेश दिया गया कि अब थर्माकोल और प्लास्टिक की प्लेट्स का यूज नहीं करना है। पकड़े जाने पर जुर्माना लगेगा। इसलिए अब हम कागज और पत्ते की प्लेट्स में खाना दे रहे हैं।

दाउद, वेंडर

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-जंक्शन पर अब किसी भी वेंडर के पास प्लास्टिक और थर्माकोल की प्लेट्स की नहीं मिलेंगी। क्योंकि अफसरों के आदेश के बाद बंद कर दिए गए हैं। सभी लोग अब ईको फ्रेंडली प्लेट्स का यूज कर रहे हैं।

तौफीक अहमद

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-रेलवे बोर्ड के आदेश पर प्लास्टिक की प्लेट, गिलास और चम्मच पर बैन लगा दिया। जंक्शन पर ईको फ्रेंडली प्लेट्स में ही खाना दिया जा रहा है और लकड़ी का चम्मच भी यूज हो रहा है। कोई प्लास्टिक की प्लेट और चम्मच यूज न करे इसके लिए सख्त हिदायत दी गई है।

सत्यवीर सिंह, स्टेशन मैनेजर बरेली जंक्शन, एनआर

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रेलवे की तरफ से यह बहुत ही अच्छी पहल है। ट्रेनों में और प्लेटफार्म पर सबसे ज्यादा प्लास्टिक का यूज होता है। अब इस पर बैन लगा है तो स्टेशन ईको फ्रेंडली नजर आ रहा है। इससे पॉल्यूशन भी कम होगा।

उत्कर्ष