कैलाश प्रकाश स्पो‌र्ट्स स्टेडियम में सुविधाओं के अभाव में दम भर रहे सूरमां

Meerut। समूचे देश में स्पो‌र्ट्स सिटी के नाम से मशहूर मेरठ सिटी में खिलाड़ी खेल की बुनियादी सुविधाओं से मरहूम होने के साथ ही कई खेलों में कोच न होने जैसी समस्याओं से भी दो-चार हो रहे हैं। बावजूद इसके पिछले एक दशक की बात करें तो नेशनल लेवल से लेकर इंटरनेशनल लेवल तक लगभग हर खेल में शहर के सूरमांओं ने मेहनत और टेलेंट के दम पर देश-दुनिया में मेरठ का झंडा बुलंद किया है।

स्पो‌र्ट्स यूनिवर्सिटी में इन खेलों की मिलेगी सुविधा

बॉक्सिंग

शूटिंग

हॉकी

नेटबॉल

फुटबाल

बास्केटबॉल

क्रिकेट

स्वीमिंग

जूड़ो-कराटे

ताइक्वांडो

वेट लिफ्टिंग

वुशू

कबड्डी

रेसलिंग

बॉस्केट बॉल

आचर्री

जिमनास्टिक

एथलेटिक्स

लॉन टेनिस

टेनिस टेबल टेनिस

नहीं है कोच की सुविधा

कैलाश प्रकाश स्पो‌र्ट्स स्टेडियम में कई खेलों की स्थिति यह है कि यहां बीते दो साल से कोच की नियुक्ति ही नहीं है। जिसकी वजह से खिलाड़ी खुद ही एकलव्य बनने की प्रैक्टिस कर रहे हैं। आलम यह है कि तीरंदाजी, स्वीमिंग, टेबल टेनिस, लॉन टेनिस और क्रिकेट समेत कई अन्य खेलों की प्रैक्टिस खिलाड़ी बिना कोच के ही कर रहे हैं। वहीं ट्रेनिंग के नाम पर टैप्रेरी कोच द्वारा स्टेडियम में खिलाडि़यों को ट्रेनिंग देने का गोरखधंधा भी चल रहा है। सबसे अधिक गोरखधंधा एथलेटिक्स में है। एथलेटिक्स में कई खेलों के लिए सैकड़ों खिलाड़ी हर साल पंजीकरण कराते हैं। स्टेडियम में पंजीकृत खिलाडि़यों की संख्या हर साल 100 से पार चली जाती है। दौैड़, लंबी कूद, ऊंची कूद, भाला, गोला, डिस्कस थ्रो आदि खेलों में पिछले कई साल से यही खेल चल रहा है। बिना किसी पहचान पत्र के ये खिलाड़ी स्टेडियम में आते हैं।

नहीं है रनिंग ट्रैक

रेस की तैयारी कर रहे खिलाडि़यों के लिए कैलाश प्रकाश स्पो‌र्ट्स स्टेडियम में रनिंग ट्रैक की सुविधा नहीं है। या कहिए कि यहां घास पर रेस की प्रैक्टिस कर खिलाड़ी उसैन बोल्ट बनने की कोशिश कर रहे हैं।

शूटिंग रेंज में सुविधा नहीं

स्टेडियम में शूटिंग के लिए बनी रेंज में प्रतियोगिताओं में पार पाने लायक सुविधाओं का अभाव है जिसकी वजह से शार्दुल विहान और सौरभ चौधरी को दिल्ली की करणी रेंज का रुख करना पड़ा। हालांकि दोनों ने शुरुआत मेरठ स्टेडियम से ही की थी।

क्रिकेट प्रैक्टिस के लिए पिच नहीं

स्टेडियम में क्रिकेट के खिलाडि़यों की प्रैक्टिस के लिए पूरे स्टेडियम में एक अदना सा कोना है। जिसमें अक्सर पानी ही भरा रहता है। ऐसे ही हालातों में मेरठ ने देश की क्रिकेट टीम को कई शानदार प्लेयर्स दिए हैं। जिनकी बॉलिंग का और बैटिंग का डंगा आज देश के साथ-साथ विदेशों में बज रहा है।

स्पो‌र्ट्स यूनिवर्सिटी की उम्मीद

यूं तो मेरठ में स्पो‌र्ट्स कॉलेज बनाने का वादा भी शासन की ओर से किया था लेकिन समय के वादा दम तोड़ गया। हालांकि इस बाबत प्राथमिक तौर पर स्पो‌र्ट्स कॉलेज के लिए शताब्दी नगर स्थित कताई मिल की 77 एकड़ जमीन को भी चिन्हित किया गया था। इसके बाद गत वर्ष मेरठ के दौरे पर आए यूपी के तत्कालीन खेल मंत्री चेतन चौहान ने मेरठ को स्पो‌र्ट्स यूनिवर्सिटी की सौगात देने का भरोसा दिलाया था। साथ ही उन्होंने बताया था कि इस यूनिवर्सिटी में करीब 41 खेलों की सुविधा भी देने की बात कही थी। जिसकी लिस्ट बनाकर कमिश्नर अनीता सी मेश्राम ने शासन को भी भेज भी दी थी। उन्होंने कहा था कि इस यूनिवर्सिटी में खेल से जुड़ी सारी सुविधाएं इंटरनेशनल लेवल की होंगी। उन्होंने बताया था कि इस यूनिवर्सिटी के लिए 170 एकड़ जमीन की आवश्यकता है, जिसमें से 60 एकड़ में यूनिवर्सिटी शुरू हो सकती है लेकिन आगे विस्तार के लिए 110 एकड़ जमीन की आवश्यकता होगी।

अटका एस्ट्रोटर्फ

अपने दौरे पर तत्कालीन खेल मंत्री चेतन चौहान ने ये भी बताया था कि स्टेडियम में बनाए जा रहे हॉकी एस्ट्रोटर्फ का शुभारंभ दिसंबर के अंतिम सप्ताह में हो जाएगा। मगर शुभारंभ तो दूर दूसरी किश्त न मिलने के कारण एस्ट्रोटर्फ का काम बीच में ही अटका पड़ा है। इसके साथ ही उन्होंने बताया था कि स्टेडियम के लिए सिंथेटिक एथलेटिक ट्रैक और उसके भीतर सिंथेटिक फुटबॉल ग्राउंड का 14 करोड़ का एक और प्रस्ताव खेलो इंडिया के तहत केंद्र सरकार को भेजा गया है।

6 साल बाद हुआ रणजी

मेरठ में सुविधाओं के अभाव का ही नतीजा है कि रणजी मैच का आयोजन यहां 6 साल बाद हुआ। पवेलियन का स्तर खिलाडि़यों के लेवल का न होने की वजह ने भी रणजी को मेरठ से दूर कर दिया था। हालांकि मेरठ के विक्टोरिया पार्क में पवेलियन का रंग-ढंग बदला तो गत दिसंबर में यहां रणजी मैच का आयोजन भी हुआ।

मेरठ में इन गुड्स का उत्पादन

वेट लिफ्टिंग इक्विपमेंट, क्रिकेट इक्विपमेंट, एथेलेटिक्स इक्विपमेंट, बॉक्सिंग, टेबल टेनिस, बैडमिंटन, कैरम बोर्ड, फिटनेस एंड एक्सरसाइज इक्विपमेंट, लेन मार्कर्स, बास्केट बॉल, नेटबॉल रिंग्स, आईटी एसेसरीज और स्पो‌र्ट्स एपेरल जैसे उत्पादों की मैन्युफैक्चरिंग की जाती है।

इतनी यूनिट हैं मौजूद

1200 से 1300 - पंजीकृत यूनिट हैं मेरठ में करीब

1,500 से 2,000 - गैर पंजीकृत यूनिट हैं मेरठ में करीब

इनमें ज्यादातर स्मॉल स्केल स्पो‌र्ट्स गुड्स मैन्युफैक्चरर्स हैं

सीएम के आदेशों की अनदेखी

साल 2016 में सीएम योगी ने आदेश दिया था कि पैरा स्पो‌र्ट्स को बढ़ावा देने के लिए सभी स्टेडियम में जिस तरह की सुविधाएं नॉर्मल प्लेयर्स को दी जा रही हैं वो सभी सुविधाएं दिव्यांग प्लेयर्स को दी जाएं। मगर अभी तक स्टेडियम में पैरा स्पो‌र्ट्स को लेकर किसी सुविधा का इंतजाम नहीं किया गया है।

हमारे पास क्रिकेट, बैडमिंटन, एथलेटिक्स और शूटिंग के अच्छे खिलाड़ी हैं लेकिन सुविधाओं के मामले में हम अभी भी पीछे हैं। जिस तरह से क्रिकेट में संस्थाओं और सरकार का सपोर्ट मिलता है, उसी तरह इन सभी खेलों के लिए भी प्राइवेट संस्थाओं और सरकार को आगे आना चाहिए।

युद्धवीर सिंह, सेक्रेटरी, यूपीसीए

सरकार को इस तरफ ध्यान देना चाहिए। हमारे पास संसाधनों की कमी होने के बावजूद हर खेल में शानदार विश्वस्तरीय नाम हैं। अगर बुनियादी सुविधाओं का टोटा खत्म हो जाए तो खिलाडि़यों की फेहरिस्त लंबी होने में वक्त नहीं लगेगा।

रवि कुमार, शूटर

प्रदेश में पॉलिसी हैं लेकिन जो उन्हें लागू करने का किसी के पास टाइम ही नहीं है। इसी वजह से प्रदेश के कई खिलाड़ी हरियाणा के लिए खेल रहे हैं। सरकार का रवैया हमेशा से ही खिलाडि़यों को लेकर उदासीन रहा है। कोई बजट नहीं, कोई सुविधा नहीं बस जो चल रहा है चलने दो वाली नीति है सरकार की।

अलका तोमर, रेसलर

खिलाड़ी को क्या चाहिए बस सुविधा, अगर वो मिल जाए तो खिलाड़ी अपने शहर और देश का नाम पूरी दुनिया के फलक पर लिख सकता है। मेरठ के खिलाड़ी हर खेल में लगातार ऐसा कर भी रहे हैं।

सचिन चौधरी, पैराओलंपियन