नई दिल्ली (एएनआई)। सोशल मीडिया पर चर्चित 'ब्वॉयज लॉकर रूम' के खिलाफ एसआईटी या सीबीआई जांच के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की गई है। 'ब्वॉयज लॉकर रूम' एक ऐसा सोशल मीडिया ग्रुप है जिसमें नाबालिग स्कूली छात्राओं की कथित रूप से आपत्तिजनक तस्वीरें शेयर की गईं। साथ ही इस ग्रुप में शामिल लड़के महिलाओं के साथ बलात्कार के तरीकों पर चर्चा करते हैं। इस आपत्तिजनक ग्रुप के खिलाफ एसआईटी जांच के लिए देव आशीष दुबे, अधिवक्ता दुष्यंत तिवारी और ओमप्रकाश परिहार ने पीआईएल दाखिल की है। इस याचिका में सोशल मीडिया समूह में कथित आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देने वाली लड़कियों और महिलाओं के लिए सुरक्षा की मांग की गई। याचिका पर अदालत 13 मई को सुनवाई कर सकती है।

कैसे सामने आया मामला

याचिका में कहा गया है कि कुछ यूजर्स द्वारा सोशल मीडिया पर 'ब्वॉयज लॉकर रूम' नामक इंस्टाग्राम ग्रुप के स्क्रीनशॉट शेयर किए गए थे। जिसमें कक्षा 11 और 12 के स्कूली छात्रों के ग्रुप के बीच कम उम्र की लड़कियों की आपत्तिजनक तस्वीरें साझा की गई थीं। यही नहीं ग्रुप में महिलाओं की मॉर्फ्ड तस्वीरें भी शेयर की गई थी। पिटिशन में लिखा गया, 'इस ग्रुप में दक्षिण दिल्ली के पॉश स्कूलों के 16 से 18 साल के लड़के शामिल हैं। कुछ 14 साल से कम उम्र के भी हैं।'

अपराध की श्रेणी में आता है ये काम

याचिकाकर्ता का कहना है, 'ग्रुप के छात्रों द्वारा किया गया अपराध गैरकानूनी है और भारत के विभिन्न कानूनों का उल्लंघन है। लोगों की निजी तस्वीरें साझा करना सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66 ई का उल्लंघन है, साथ ही धारा 354 सी का भी उल्लंघन है।' याचिका में दावा किया गया है कि समूह के सदस्यों ने कई अपराध किए हैं, जिनमें मानहानि, महिलाओं को धमकी देना आदि शामिल हैं, जो भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के कई धाराओं के तहत दंडनीय हैं।

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