प्रधानमंत्री मिकोला अज़ारोव ने एक वक्तव्य जारी कर कहा है कि उन्होंने ''समाजिक और राजनीतिक समझौते'' के लिए अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया है.

यूक्रेन की संसद के 'विरोध प्रदर्शनों' को प्रतिबंधित करने वाले फ़ैसले को भारी बहुमत से संसद द्वारा रद्द किए जाने के बाद प्रधानमंत्री ने ये कदम उठाया है.

पिछले कुछ दिनों से यूक्रेन की राजधानी कीव के अलावा देश के पूर्व में उन इलाकों में भी सरकार और राष्ट्रपति के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शनों हो रहे हैं जिन्हें राष्ट्रपति का गढ़ माना जाता था.

कई शहरों में इन प्रदर्शनकारियों ने सारकारी इमारतों पर कब्ज़ा कर लिया है.

प्रधानमंत्री अज़ारोव देश में काफ़ी अलोकप्रिय हो गए थे. विपक्ष का आरोप है कि उनकी सरकार देश की अर्थव्यवस्था को सँभालने में और भ्रष्टाचार पर काबू पाने में पूरी तरह नाकाम रही है.

हिंसा

मंगलवार को आंतरिक सुरक्षा मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार दक्षिणी शहर खैरसन में प्रदर्शनकारियों ने तीन पुलिसवालों पर चाकू से हमला किया. इस हमले में एक पुलिस वाला मारा गया है.

प्रदर्शनों संबद्ध हिंसा में अब तक कुल मिलाकर पांच लोग मारे जा चुके हैं. इस क़ानून के संसद में पेश किए जाने के बाद से ही वहां हिंसा शुरु हो गई थी.

यूक्रेन: प्रधानमंत्री और केबिनेट मंत्रियों का इस्तीफ़ा

इस क़ानून पर संसद में आपातकालिन बहस भी हुई जिसमें 361 मत विरोध प्रदर्शन वाले विधेयक को रद्द करने को लेकर पड़े.

ये नया विधेयक यूक्रेन में सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों को काबू करने के लिए बनाया गया था जिसके तहत सुरक्षा बलों को प्रदर्शनकारियों के ख़िलाफ़ ज़्यादा सख्त कार्रवाई करने का अधिकार मिल गया था.

क़ानून

इस क़ानून के तहत सरकारी इमारतों की नाकाबंदी करने, सार्वजनिक जगहों पर तंबू गाड़ने और विरोध प्रदर्शनों के दौरान मुखौटा और हैलमेट पहनने वालों को गिरफ़्तार किया जा सकता था और उन्हें पाँच साल तक की सज़ा हो सकती था.

यूक्रेन का मुद्दा ब्रसेल्स में हो रही यूरोपीय संघ की बैठक में भी उठा. संघ के अध्यक्ष जोस मैन्यूल बोरेसो का कहना था कि सभी देश यूक्रेन में जारी अस्थितरता का शांतिपूर्ण समाधान चाहते हैं.

उनका कहना था, ''यूक्रेन में जिस तरह से हिंसा बढ़ी है , लोग घायल हुए हैं, लोगों के ग़ायब होने की ख़बरें आ रही हैं और प्रदर्शनकारियों और पत्रकारों के ख़िलाफ़ जिस तरह से हिंसा हो रही है हम ये सब देखकर चिंतित हैं. किसी भी राजनीतिक समस्या का समाधान बल प्रयोग नहीं हो सकता.''

इन विरोध प्रदर्शनों की शुरूआत नवंबर 2013 में हुई थी जब सरकार ने यूरोपीय संघ के साथ और अधिक सहयोग संबंधी एक समझौते पर दस्तख़त नहीं करने का फ़ैसला किया था.

इसके ठीक उलट सरकार ने पड़ोसी देश रूस से अपने संबंधों को और अधिक मज़बूत करने का फ़ैसला किया.

रूसी प्रतिक्रिया

यूक्रेन: प्रधानमंत्री और केबिनेट मंत्रियों का इस्तीफ़ारुस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूरोपीय संघ के सम्मेलन में कहा कि प्रधानमंत्री अज़ारोव के इस्तीफ़े के बावजूद जो भी सहमतियां उनके साथ की गई थी वो लागू रहेंगी, चाहे विपक्ष भी आकर सरकार बना ले. उन्होंने सम्मेलन में कहा कि हाल में रुस ने जो वित्तीय सहायता देने की बात कही थी उसका मकसद केवल वर्तमान सरकार का ही मदद करना नहीं था.

रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन ने यूक्रेन को सहयोग जारी रखने के वादे के साथ कहा कि "यूक्रेन के लोग अपनी समस्याएं खुद सुलझा लेंगे और रूस उसमे कोई हस्तक्षेप नहीं करेगा. पर मैं समझ सकता हूँ की अगर रूस का कोई प्रतिनिधि ग्रीस में किसी यूरोपीय संघ के ख़िलाफ़ हो रहे प्रदर्शन में पहुच जाता और लोगों से कुछ करने की अपील करता तो हमारे यूरोपीय संघ के साथी क्या कहते. "

पुतिन ने कहा कि वो यूरोपीय हस्तक्षेप को गलत मानते हैं हैं क्योंकि यूक्रेन और रूस के बीच में ख़ास संबंध हैं .

कीव में मौजूद बीबीसी संवाददाता डेविड स्टर्न का कहना है कि अज़ारोव के जाने भर से देश में शांती आ जाएगी इस बात की संभावना कम ही है. स्टर्न के अनुसार दो हफ़्तों पहले जिन प्रधानमंत्री के हटने की बात सोची भी नहीं जा सकती थी उन प्रधानमंत्री का इस्तीफ़ा यह तो बताता है कि देश में हालात बदल रहे हैं.

बीबीसी संवाददाता का कहना है कि देश के शांती की बहाली इस बात पर भी निर्भर करेगी कि अगली सरकार किसकी आती है. देश के तीन प्रमुख विपक्षी नेताओं और राष्ट्रपति यानुकोविच के बीच विश्वास की काफ़ी ज़्यादा कमी है.

अभी यह भी कोई नहीं कह सकता कि राष्ट्रपति अगली सरकार को काम करने के लिए कितनी आज़ादी देते हैं.

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