आजिज आकर की complain
ताज के अंदर पर आने वाले टूरिस्ट्स के लिए यूरेनियल ट्वॉयलेट बना हुआ है। इसमें पानी की सप्लाई के लिए 1500 लीटर की टंकी लगी हुई थी। लेकिन वह किसी काम की नहीं थी। क्योंकि ट्वॉयलेट में प्रयाप्त पानी की सप्लाई नहीं की जा रही थी। देश-विदेश से आने वाले टूरिस्ट्स के लिए ताजमहल प्रिमाइसिस में बना यह ट्वॉयलेट परेशानी का सबब ज्यादा बन रहा था। फ्वॉइल स्मैल से लोगों को बहुत परेशानी हो रही थी।

अनसुना कर रहे officer's
लोगों ने इसकी कंप्लेन आर्किलोजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के अधिकारियों से कई बार की गई। लेकिन अधिकारी तो आखिर अधिकारी होते हैं, अपने मन से काम करते हैं। तो इस बार भी उन्होंने ऐसा ही किया, इस कंप्लेन को भी अनदेखा कर दिया।

खामियाजा भुगत रहे guides
ताजमहल देखने के लिए जो भी टूरिस्ट आते हैं वे ताज को बायोग्र्राफी जानने के लिए गाइड को हायर करते है। जब भी टूरिस्ट यहां की अव्यवस्थाओं से दो चार होते थे, तो उनकी भड़ास गाइड्स पर ही उतरती थी।

नितिन गर्ग ने संभाला मोर्चा

टूरिस्ट्स की इस परेशानी को सिटी के एक जागरुक नागरिक ने समझा और इसमें अपनी इंटरफियरेंस की। हुआ यूं कि ताजगंज के पास रहने वाले नितिन गर्ग डेली ताजमहल विजिट करने आते थे। जब वे टूरिस्ट्स से यहां की फीडबैक लेते थे तब उन्हें वहां फैली अव्यवस्थाओं के बारे में पता चला। उन्होंने तुरंत एएसआई अधिकारियों को प्रॉब्लम्स के बारे में कई बार जानकारी दी। लेकिन फिर वही, ढाक के तीन पात, कुछ नहीं हुआ। परेशान होकर नितिन गर्ग ने हायर लेवल पर इसकी कंप्लेन करने का फैसला लिया।

Central goverment से की कॉम्पलेन
नितिन गर्ग ने मार्बल कारोबारी अतुल गर्ग की सहायता से प्राइम मिनिस्टर द्वारा चलाई गई डिपार्टमेंट ऑफ एडमिनिस्ट्रेटिव रिफॉर्मम्स ग्र्रीवेंसेज पर ई-
मेल किया। इसमें उन्होंने छह प्वॉइंट्स के माध्यम से ताजमहल पर टूरिस्ट्स को आने वाली प्रॉब्लम्स के बारे में विस्तार से लिखा। इस कंप्लेन को 23 फरवरी को मिनिस्ट्री ऑफ कल्चर (एमओसी) ने रिसीव किया था। इसके बाद इस कंप्लेन को आर्किलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के डायरेक्टर जनरल केएम श्रीवास्तव को भेज दिया गया।  

आखिरकार हुआ action
23 फरवरी को कंप्लेन रिसीव होने के बाद डिपार्टमेंट ने 28 दिन बाद कार्रवाई शुरु कर दी। 13 मार्च को एक्शन लेते हुए व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के आदेश दिए गए। मिनिस्ट्री की ओर आई कंप्लेन पर तुरंत कार्रवाई करते हुए सिटी की एएसआई ऑफिसर्स ने पानी की टंकी को दो गुना करा दिया। प्रजेंट टाइम में 1500 की जगह 3000 लीटर की टंकी रखा दी गई है।  

Problems को किया point out
- ताजमहल पर वॉटरलैस ट्वॉयलेट है। दिनभर में मात्र एक बार सफाई होती है। इसके चलते पूरे दिन ट्वॉयलेट से बदबू आती रहती है।  
-इसकी सबसे बड़ी वजह थी पानी की टंकी का छोटा होना। हजारों टूरिस्ट डेली ताज देखने आते है। ऐसे में उन्हें इतनी छोटी टंकी से सर्वाइव नहीं हो पाता है।
-हाथ धोने वाले सेंसर्स टेफ्स में भी ज्यादातर खराब हालात है।
-ताजमहल की व्यवस्थाओं को देखने वाली एएसआई और एडीए इस ओर ध्यान नहीं दे रही हैं।
-ये जांच का विषय है कि एएसआई या अन्य संस्था के किस ऑफिसर ने वाटरलैस ट्वॉयलेट का निर्माण कराया।
-मैंने पर्सनली देखा है कि इन छोटी-छोटी वजह से फॉरेन टूरिस्ट्स इंडियन एडमिनिस्ट्रेशन को कोसते थे।
 
Carry bag  का गोल माल
ताजमहल आने वाले फॉरेनर्स टूरिस्ट्स की भरमार रहती है। अगर लास्ट सीजन  की बात करें तो 2012 के अक्टूबर में 78935, नवंबर में 95517 और दिसंबर में 85765 टूरिस्ट्स ने ताज का दीदार किया था। ताज में एंट्री करने वाले टूरिस्ट 750 से रुपए लिया जाता है। इसके एवज में एडीए की ओर से कैरी बैग में रखकर पानी की बोतल और शू कवर दिया जाता है। लेकिन इसमें भी एडीए की ओर से घपला किया जा रहा है। वर्तमान में कंडीशन ये है कि पानी की बोतल और शू कवर तो दिया जा रहा है। लेकिन कैरी बैग नहीं देते। इसके अलावा शू कवर पर भी इतना खराब होता है कि ताजमहल तक पहुंचते-पहुंचते कवर फट जाता है।

कितने समझदार officer's

एएसआई ऑफिसर्स की न समझी का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि उन्होंने इतनी समझ नहीं थी कि यहां रोजाना हजारों टूरिस्ट आता है। इसके बावजूद ट्वॉयलेट के लिए छोटी सी टंकी बनवा दी। जब उन्हें इसकी जानकारी थी। ट्वॉयलेट वाटरलैस है। इसके बाद भी दिनभर में एक बार ही यहां सफाई जाती थी।

ताजमहल की खामियों का भुगतान हमें झेलना पड़ रहा था। टूरिस्ट चाहे फॉरेनर्स हो या इंडियन। ताज की अव्यवस्थाओं पर हमें ही सुनाकर जाते थे। मजबूर होकर मिनिस्ट्री में कॉम्पलेन करना पड़ा
नितिन गर्ग

एक तरफ गवर्नमेंट सिटी को टूरिस्ट नगरी के रूप डेवलप कर रही है। वहीं, ऐसे डिपार्टमेंट के ऑफिसर्स टूरिस्ट्स की सुविधाओं का ख्याल न करके सिटी की छवि को खराब करने में लगे हुए हैैं।
अतुल गर्ग


Report By- Sharam.neeraj@inext.co.in