कांग्रेस का व्यवहार इमरजेंसी जैसा नरेंद्र मोदी

प्रधनमंत्री मोदी कुछ भी कहें कांग्रेस अपने इरादों की पक्की निकली औश्र उसने पूरा मानसून सत्र निकलवा दिया लेकिन जीएसटी सहित कई अहम बिल पास नहीं होने दिए। इससे दुखी होकर एनडीए की बैठक के दौरान पीएम मोदी ने कहा कि संसद में कांग्रेस का व्यवहार इमरजेंसी जैसा है। उन्होंने अपना गुस्सा ये कह कर भी जाहिर किया कांग्रेस का इरादा अपने परिवार को बचाना है जबकि भाजपा देश बचाना चाहती है। उन्होंने कहा ये पहली बार है जब इस रवैये के चलते नीति आयोग में सीएम नहीं आ सके। इसके बाद संसद में कांग्रेस के रवैये को लेकर एनडीए के सांसदों ने कई केंद्रीय नेताओं सहित मार्च भी निकाला। 'लोकतंत्र बचाओ' मार्च के दौरान सांसदों ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने संसद की कार्यवाही में बाधा डालकर देश के आर्थिक विकास की गति को रोका है। संसद में काम के करीब 119 घंटे बबार्द हुए और महज छह बिल पास हो सके। बाकी सब रह गया जिसमें सबसे जरूरी जीएसटी बिल है। पर हैरानी की बात है कि मोदी ने कांग्रेस की इतरजेंसी अपने शासन काल में स्वीकार की है।

क्या थे कांग्रेस के मुद्दे

दरसल 16 दिन के मानसून सत्र के दौरान कांग्रेस बीजेपी के तीन बड़े नेताओं के इस्तीफ़े की मांग करते हुए लगातार संसद के भीतर हंगामा करती रही। इन नेताओं में  विदेशमंत्री सुषमा स्वराज, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान और राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के नाम शामिल हैं। सुषमा से ललित मोदी की मदद करने, वसुंधरा से ललित मोदी से रिश्ते और शिवराज सिंह से व्यापंम घोटाले के चलते इस्तीफे मांगे जा रहे थे। हालांकि इन तीनों ने ही किसी भी तरह के आरोपों से इनकार किया। सुषमा स्वराज ने संसद में बयान जारी करते हुए खुद पर ललित मोदी की मदद के सभी आरोपों से इनकार कर दिया है और इस मामले में कांग्रेस को आड़े हाथों भी लिया। परंतु कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने सुषमा की सफाई को मानने से इनकार कर दिया और आरोप लगाया किउनके पति और बेटी ने ललित मोदी के वकील के तौर पर काम करने के दौरान उनकी मदद की।

Hindi News from India News Desk

National News inextlive from India News Desk