ब्रसेल्स में भारतीयों से मिले मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज बेल्जियम की राजधानी ब्रसेल्स में भारतीय समुदाय के लोगों से मिले। भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि ''सरकार में अगर राजदूत हैं तो आप भारत के लोकदूत हैं। उन्हें लोकदूतों से मिलने का मौका मिला है।'' ब्रसेल्स में भारतीय समुदाय के लोगों से मुलाकात के बाद मोदी वाशिंगटन डीसी के लिए रवाना हो गए। ब्रसेल्स में आतंकी हमले में मारे गए लोगों के परिवारों से सहानुभूति जताते हुए मोदी ने कहा कि ''आतंकवाद किसी देश, धर्म के लिए चुनौती नहीं, संपूर्ण मानवता के लिए चुनौती है। मानवता में विश्वास करने वाली दुनिया की सभी शक्तियों को एक साथ आतंकवाद से मुकाबला करना होगा। जब तक 9/11 हमले ने दुनिया को झकझोर नहीं दिया, तब तक दुनिया मानने को तैयार नहीं थी कि भारत आतंकवाद के कितने बड़े संकट को झेल रहा है, लेकिन भारत आतंकवाद के सामने झुका नहीं और झुकने का तो सवाल ही नहीं उठता।''

भारत में हो रहा है आर्थिक विकास

वैश्विक आर्थिक संकट का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि अच्छे से अच्छे देशों की अर्थव्यवस्था हिल चुकी है। इस हालात में भी कोई आशा की किरण है तो वह हिंदुस्तान में है। यह मोदी के कारण नहीं, सवा सौ करोड़ हिंदुस्तानियों और दुनिया भर में फैले हिंदुस्तानियों की वजय से संभव हो सका है। भारत तेज गति से आर्थिक विकास कर रहा है। ''90 लाख लोगों ने गैस सब्सिडी छोड़ दी''

भाजपा की उपलब्धियां गिनाई

भाजपा सरकार की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि ''2015 में भारत में सबसे ज्यादा कोयले का उत्पादन हुआ। सबसे ज्यादा बिजली पैदा हुई। 2015 में देश में सबसे ज्यादा दूध का उत्पादन हुआ। 2015 में रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर में सबसे ज्यादा इंवेस्टमेंट हुआ। भारत में साल 2015 में सबसे ज्यादा कारों का भी उत्पादन हुआ। गरीबों को अर्थव्यवस्था की मुख्य धारा में लाते हुए देश में 21 करोड़ नए बैंक खाते 'जन-धन योजना' के तहत खुले। 34,000 करोड़ रुपये गरीबों ने बैंकों में जमा कराए। 90 लाख लोगों ने गैस सब्सिडी छोड़ दी। सवा चार लाख स्कूलों में बच्चियों के लिए टॉयलेट बनवाए।''

विरोधियों पर लगाया निशाना

ब्रसेल्स में बोलते हुए मोदी ने विरोधियों को भी आड़े हाथ लिया उन्होंने कहा कि अगर मोदी के खिलाफ कहीं जोर से आवाज आई है तो समझ लेना की मोदी ने कहीं 'चाबी टाइट' की है। आवाज जितनी जोर से आएगी तो समझ लेना की 'दाल में कुछ काला' है.. कभी-कभी तो 'पूरी दाल ही काली' नजर आती है। हमारे देश की सेना के जवान पिछले 40 साल से वन रैंक-वन पेंशन की मांग कर रहे थे, लेकिन सरकारें वादा करती रहती थीं। संतोष के साथ कहता हूं कि मां भारती के लिए जीने-मरने वालों को ओआरओपी देना शुरू कर दिया।

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