जो विकास के वादों पर दे सके ध्यान

पीएम मोदी पर पार्टी के साथ ही सराकर की छवि बदलने का दबाव बढ़ता जा रहा है। विकास और नौकरियों का वादा करके बहुमत से केन्द्र में आई मोदी सरकार को सत्ता में दो साल पूरे होने वाले है। शहरी इलाकों में विकास दर और निवेश चरमरा रहा है वहीं ग्रामीण इलाकों में आए दो सूखों से तनाव बढ़ता जा रहा है। मोदी के सहयोगी का कहना है कि चुनौती ऐसे लोगों को चुनने की है जो सुधार और नीतियों में मोदी के विकास वादे पर काम कर सकें। मोदी सरकार के सामने एक परेशानी यह भी है कि उसके पास उम्मीदवारों की कमी है। दूसरी बात यह है कि सराकर उदारवादी या अधूरी विचारधारा के लोगों से दूरी बनाए रखना चाहती है। कांग्रेस के दशकों लंबे शासनकाल की वजह से दक्षणिपंथी वर्ग विकसित नहीं हो सका है। बीजेपी उपाध्यक्ष विनय ने कहा कांग्रेस के मुकाबले हमारे पास छोटे टैलेंट पूल हैं। लेकिन यह कुछ समय की ही बात है। हम अपना बेस मजबूत कर रहे है।

इनमें हो सकता है फेरबदल

अरूण जेटली को रक्षा मंत्रालय मिल सकता है। लेकिन सूत्रों का कहना है कि मोदी को अपने विकास वादे पर अमल करने के लिए अरुण जेटली की जगह पर लाने के लिए कोई दूसरा शख्स नहीं मिल रहा है। पीएम मोदी के प्रवक्ता ने इस पर कोई भी बयान देने से इंकार कर दिया है। जेटली को ऑफिस के एक अधिकारी ने कहा कि उन्हें इस बदलाव के बारे में कोई भी जानकारी नहीं है। मोदी ऐसे बदलावों के फैंसले अपने तक ही सीमित रखना चाहते हैं। कैबिनेट के मामलों में आखरी फैंसला भी उन्हीं का होता है। पर अभी मोदी का इस पर अंतिम फैसला लेना बाकी है। पीएम के एक करीबी ने कैबिनेट में बदलाव की किसी भी संभावना को खारिज किया है। उनका कहना है कि ये महज अफवाहें हैं।

कैबिनेट हो जाएगा अखिल भारतीय

अल्पसंख्यकों के खिलाफ टिप्पणी करने वाले जूनियर मंत्रियों में गिरीराज सिंह और निरंजन ज्योति से उनकी जिम्मेदारी वापस ली जा सकती है। कहा जारहा है कि मोदी ऐसी टिप्पणियां करने के सख्त खिलाफ हैं। विदेश मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक सुषमा स्वराज ने अपना पोर्टफोलियो बदलने की मांग की है। वह विदेश के बजाय देश में ज्यादा ध्यान देना चाहती हैं। उनके मंत्रालय ने कोई भी टिप्पणी करने से इंकार कर दिया है। परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को कृषि मंत्रालय के अतिरिक्त प्रभार का प्रस्ताव दिया गया था। लेकिन उन्होंने अपने पास काफी काम का हवाला देते हुए असमर्थता जताई है। कहा जारहा है कि मोदी साउथ और नॉर्थईस्ट के कम चर्चित चेहरों को सरकार में ले सकते हैं। मोदी के एक सहयोगी का कहना है कि इससे उनका कैबिनेट अखिल भारतीय हो जाएगा।

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