नई दिल्ली (एएनआई)। Veer Bal Diwas : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को राष्ट्रीय राजधानी में मेजर ध्यानचंद स्टेडियम में 'वीर बाल दिवस' को चिह्नित करने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में भाग लिया। कार्यक्रम का आयोजन अंतिम सिख गुरु- गुरु गोबिंद सिंह, उनके चार बेटों (साहिबजादे) और माता गुजरी जी की याद में किया गया है। पीएम मोदी करीब 300 बाल कीर्तनियों द्वारा किए जा रहे 'शबद कीर्तन' में शामिल हुए। इस अवसर पर एक सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज देश साहिबजादों को श्रद्धांजलि दे रहा है क्योंकि वे साहस, वीरता और बलिदान की मिसाल पेश करते हैं। वहीं अगर हम अपने देश को सफलता की नई ऊंचाइयों तक ले जाना चाहते हैं तो हमें अतीत के संकीर्ण दृष्टिकोण से बाहर आने की जरूरत है।

जहां तक बहादुरी की बात है, उम्र कोई मायने नहीं रखती

पीएम मोदी ने यह भी कहा कि वीर बाल दिवस 'शौर्य' और 'सिख बलिदान' के लिए खड़ा है और भारतीयों को दुनिया में अपनी पहचान पर गर्व करने के लिए भी सशक्त करेगा। यह दिन हमें अतीत का जश्न मनाने में मदद करेगा और हमें भविष्य बनाने के लिए प्रेरित करेगा। देश अब तक का पहला वीर बाल दिवस मना रहा है। वीर बाल दिवस हमें याद दिलाता रहेगा कि जहां तक बहादुरी की बात है, उम्र कोई मायने नहीं रखती। साहिबजादा अजीत सिंह और जुजर सिंह वीरता और साहस के जीवित महापुरूष हैं। उनके जीवन ने हमें विश्व स्तर पर अपने मूल्यों और पहचान को समझने की प्रेरणा दी है। उन्होंने आगे कहा कि वे किसी चीज से डरते नहीं हैं और न ही किसी के आगे झुकते हैं।

छह और नौ साल की उम्र में अपने प्राणों की आहुति दी

पीएम ने कहा, "एक तरफ आतंकवाद था, और अध्यात्मवाद था, और सांप्रदायिक तबाही थी, जबकि दूसरी तरफ उदारवाद था... एक तरफ लाखों की तादाद थी और दूसरी तरफ वीर साहिबजादे थे जो जरा भी नहीं झुके। गुरु गोबिंद सिंह जी के चारों पुत्रों ने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया था, इस तिथि को साहिबजादों के शहीदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। जोरावर सिंह और फतेह सिंह के बारे में कहा जाता है कि वे तत्कालीन शासक औरंगजेब के आतंक से डरे नहीं बल्कि सरहिंद (पंजाब) में छह और नौ साल की उम्र में अपने प्राणों की आहुति दी थी। दुनिया का इतिहास अत्याचारों के उदाहरणों से भरा पड़ा है। पीएम मोदी ने आगे कहा कि गुरु गोबिंद सिंह के 'पंच प्यारे' देश के सभी हिस्सों से थे, जो भारत की विविधता में एकता का प्रतीक थे। इसलिए सिख गुरु परंपरा भी 'एक भारत-श्रेष्ठ भारत' के विचार की प्रेरणा है।

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