लखनऊ (एएनआई)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज मंगलवार को लखनऊ में उत्तर प्रदेश की जनता को कई बड़ी साैगातें दी हैं। प्रधानमंत्री ने उत्तर प्रदेश के 75 जिलों में 75,000 लाभार्थियों को प्रधान मंत्री आवास योजन - शहरी (पीएमएवाई-यू) घरों की डिजिटल चाभी सौंप दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में स्मार्ट सिटी मिशन और अटल मिशन फॉर रिजुवेनेशन एंड अर्बन ट्रांसफॉर्मेशन (AMRUT) के 4,737 करोड़ रुपये की लागत की कुल 75 परियोजनाओं का डिजिटली लोकार्पण व शिलान्यास किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश की 10 स्मार्ट सिटी की 75 सफल कहानियों की कॉफी टेबल बुक का भी डिजिटली विमोचन किया। इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फेम(एफएएमइ)-II के तहत 75 आधुनिक इलेक्ट्रिक बसों को लखनऊ, कानपुर, वाराणसी, प्रयागराज, गोरखपुर, झांसी और गाजियाबाद के लिए डिजिटली रवाना किया। कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि केंद्र ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 17.3 लाख घरों को मंजूरी दी है और अब तक 8.8 लाख से अधिक लाभार्थियों को घर दिए गए हैं।

80 प्रतिशत से अधिक घरों पर मालिकाना हक महिलाओं का है

इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि मुझे अच्छा लगा कि 3 दिनों तक लखनऊ में भारत के शहरों के नए स्वरूप पर देशभर के विशेषज्ञ मंथन करने वाले हैं। यहां जो प्रदर्शनी लगी है, वो आजादी के इस अमृत महोत्सव में 75 साल की उपलब्धियां और देश के नए संकल्पों को भलीभांति प्रदर्शित करती हैं। पीएम मोदी ने महिलाओं की भागीदारी पर खुशी जताते हुए कहा कि मुझे इस बात की खुशी होती है कि देश में पीएम आवास योजना के तहत जो घर दिए जा रहे हैं, उनमें 80 प्रतिशत से अधिक घरों पर मालिकाना हक महिलाओं का है या फिर वो ज्वाइंट ओनर हैं।

50 लाख से ज़्यादा घर बनाकर गरीबों को दिए भी जा चुके हैं

प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि 2014 के बाद से हमारी सरकार ने पीएम आवास योजना के तहत शहरों में 1 करोड़ 13 लाख से ज्यादा घरों के निर्माण की मंजूरी दी है। इसमें से 50 लाख से ज़्यादा घर बनाकर गरीबों को दिए भी जा चुके हैं जहां वो अब एक व्यवस्थित जीवन जी रहे हैं। भारत आज पीएम आवास योजना के तहत जितने पक्के घर बना रहा है वो दुनिया के अनेक देशों की कुल आबादी से भी अधिक हैं। 2014 से पहले जो सरकार थी उसने देश में शहरी आवास योजनाओं के तहत सिर्फ 13 लाख मकान ही मंजूर किए थे, इसमें भी सिर्फ 8 लाख मकानों का ही निर्माण हुआ था।

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