नई दिल्ली (एएनआई)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से "शिक्षक पर्व" सम्मेलन का उद्घाटन किया। 'शिक्षक पर्व-2021' का विषय "गुणवत्ता और सतत स्कूल: भारत में स्कूलों से सीखना" है। इस कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने शिक्षा क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण पहलों की भी शुरुआत की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय सांकेतिक भाषा शब्दकोश (श्रवण बाधितों के लिए ऑडियो और टेक्स्ट एम्बेडेड सांकेतिक भाषा वीडियो, सीखने के सार्वभौमिक डिजाइन के अनुरूप) का शुभारंभ किया। इसके अलावा टॉकिंग बुक्स (नेत्रहीनों के लिए ऑडियोबुक), सीबीएसई का स्कूल गुणवत्ता आश्वासन और मूल्यांकन ढांचा, निपुण भारत के लिए निष्ठा टीचर्स ट्रेनिंग कार्यक्रम और विद्यांजलि पोर्टल का भी शुभारंभ किया। यह उत्सव न केवल सभी स्तरों पर शिक्षा की निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए बल्कि देश भर के स्कूलों में गुणवत्ता, समावेशी प्रथाओं और स्थिरता में सुधार के लिए नवीन प्रथाओं को प्रोत्साहित करेगा। इस मौके पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री जितिन प्रसाद भी मौजूद थे।

पीएम मोदी बोले शिक्षक पर्व के अवसर पर अनेक नई योजनाओं का हुआ प्रारंभ

वहीं इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि आज शिक्षक पर्व के अवसर पर अनेक नई योजनाओं का प्रारंभ हुआ है। ये पहल इसलिए भी अहम है क्योंकि देश अभी आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। आजादी के 100 वर्ष होने पर भारत कैसा होगा, इसके लिए नए संकल्प ले रहा है। आज विद्यांजली 2.0, निष्ठा 3.0, टॉकिंग बुक्स और यूएलडी बेस आईएसएल डिक्शनरी जैसे नए कार्यक्रम और व्यवस्थाएं लॉन्च की गई हैं। मुझे पूरा भरोसा है कि यह हमारे शिक्षा व्यवस्था को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाएगी। अब समय है कि हम अपनी क्षमताओं को आगे बढ़ाएं। हमने कोरोना काल के मुश्किल समय में जो कुछ सीखा है उसे एक नई दिशा दें। आज एक ओर देश के पास बदलाव का वातावरण है तो साथ ही नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति जैसी आधुनिक पॉलिसी भी है।

जब समाज मिलकर कुछ करता है तो उसके इच्छित परिणाम अवश्य मिलते हैं

पीएम ने यह भी कहा कि NEP के फार्मूलेशन से लेकर कार्यान्वयन तक हर स्तर पर शिक्षाविदों, विशेषज्ञों, शिक्षकों का योगदान रहा है।आप सभी इसके लिए प्रशंसा के पात्र हैं। अब हमें इस भागीदारी को एक नए स्तर तक लेकर जाना है, हमें इसमें समाज को भी जोड़ना है। जब समाज मिलकर कुछ करता है तो इच्छित परिणाम अवश्य मिलते हैं, और आपने ये देखा है कि बीते कुछ वर्ष में जनभागीदारी अब फिर भारत का नेशनल कैरेक्टर बनता जा रहा है। पिछले 6-7 वर्षों में जनभागीदारी की ताकत से भारत में ऐसे-ऐसे कार्य हुए हैं जिनकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था। हाल ही में सम्पन्न हुए टोक्यो ओलंपिक और पैरालंपिक में हमारे खिलाड़ियों ने शानदार प्रदर्शन किया है। हमारे युवा इनसे कितना प्ररित हुए हैं। मैंने अपने खिलाड़ियों से अनुरोध किया है कि आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर हर खिलाड़ी कम से कम 75 स्कूलों में जाए।

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