- मिठाइयों की चमक व स्वाद बढ़ाने के लिये जहरीले केमिकल मिलाने से नहीं चूक रहे बड़े मिठाई कारोबारी

- राधेलाल स्वीट्स के सभी नौ सैंपल फेल होने के बाद उठे सवाल

LUCKNOW : फेस्टिव सीजन शुरू होते ही मिठाइयों की बिक्री परवान चढ़ने लगती है। पर, क्या आपको पता है मोटी रकम देकर जो मिठाई आप खरीद रहे हैं वह आपके शरीर को भारी नुकसान पहुंचा सकती है और आपको गंभीर रोगों की जकड़ में ला सकती है। अलीगंज स्थित शहर की प्रतिष्ठित स्वीट शॉप में शुमार राधेलाल स्वीट्स के लिये गए सभी नौ सैंपल फेल होने के बाद स्थिति की भयावहता को लेकर सवाल उठ खड़े हुए हैं। हालांकि, खाद्य सुरक्षा विभाग मिठाइयों व दूध में मिलावट के खिलाफ शहर में ताबड़तोड़ छापेमारी का प्लान तैयार कर रहा है। आइये आपको बताते हैं कि मिठाइयों को आकर्षक और स्वादिष्ट बनाने के लिये किस तरह आपको चमकदार जहर परोसा जा रहा है।

सोडियम हाइड्रो सल्फाइड: चाशनी को पारदर्शी और खोआ को सफेद दिखाने में इस्तेमाल होता है। यह केमिकल मिठाई को खराब होने से बचाता है और दुर्गध आने से भी रोकता है।

शरीर पर असर: लीवर व किडनी से संबंधित बीमारियां हो सकती हैं।

प्रतिबंधित रंग सूडान दो व तीन: मिठाई को आकर्षक रंग देने के लिये मिलाया जाता है। इस पर सरकार रोक लगा चुकी है।

शरीर पर असर: लीवर व नर्वस सिस्टम पर घातक दुष्प्रभाव डालता है। अधिक प्रयोग करने से कैंसर तक का खतरा रहता है।

मेटानिल येलो और टारट्राजाइन: मिठाई को पीला करने के लिये इसे मिलाया जाता है। इसे डालने से मिठाई चमकदार पीले रंग की नजर आती है।

शरीर पर असर: मेटानिल येलो और टारट्राजाइन के अत्यधिक या नियमित सेवन से किडनी फेल होने का खतरा होता है।

अल्यूमीनियम वर्क: मिठाई पर चांदी के वर्क की जगह मोटा मुनाफे के लिये अल्यूमीनियम वर्क लगाया जाता है। यह देखने में बिलकुल चांदी के वर्क जैसा ही दिखता है।

शरीर पर असर: लीवर व किडनी पर घातक दुष्प्रभाव, कैंसर का भी खतरा होता है।

नकली खोआ: मिल्क पाउडर, यूरिया, वॉशिंग पाउडर और आरारोट मिलाकर नकली दानेदार खोआ तैयार होता है। यह देखने में बिलकुल सफेद असली खोआ जैसा दिखता है।

शरीर पर असर: किडनी, नर्वस सिस्टम, लीवर पर घातक दुष्प्रभाव, कैंसर का खतरा होता है।

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ऐसे जांचे मिलावट

-मिठाई हाथ में लेने पर हाथ में लाल रंग लग जाता है तो समझ लीजिए इसमें ज्यादा मात्रा में मेटानिल यलो और टारट्राजाइन मिलाया गया है।

-खोआ में मिलावट की पहचान के लिये फिल्टर पर आयोडीन की दो बूंदे डालें। अगर इसका रंग काला पड़ जाता है तो खोआ में मिलावट है।

-मिठाई पर लगा वर्क को जलाकर देख सकते हैं। अगर जलने के बाद वर्क छोटी गोलीनुमा आकृति में बदल जाता है तो यह असली है और अगर यह स्लेटी रंग का जला हुआ कागज सरीखा हो जाता है तो यह अल्यूमीनियम का है।

-नकली केसर पानी में डालने के बाद रंग छोड़ने लगता है। असली केसर को पानी में घंटो रखने में भी पानी का रंग नहीं बदलता।

-खोआ में स्टार्च जांचने के लिये थोड़ा खोआ अलग लें, इसमें थोड़ा सा पानी मिलाकर इस मिश्रण को उबालें। फिर इसमें आयोडीन की कुछ बूंदे डालें। अगर नीले रंग की परत दिखे तो साफ है कि इसमें स्टार्च मौजूद है।

-शहद में चीनी और पानी मिलाया जाता है। इसे जांचने के लिये रूई के फाहे को शहद में भिगोकर उसे जलाएं। शहद में चीनी और पानी मिला होगा तो रूई नहीं जलेगी। शुद्ध शहद चटक की आवाज के साथ जल उठेगा।

वर्जन

खाद्य पदार्थो जैसे मिठाई व दूध में मिलावट के खिलाफ हमारा अभियान जारी है। फेस्टिव सीजन में अभियान में तेजी लाते हुए छापेमारी में तेजी लाई जाएगी।

- सुरेश मिश्रा, मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी