-कोर्ट का अहम फैसला: गैंगरेप के वक्त बालिग था गौरव

LUCKNOW: राजधानी को हिला देने वाले बहुचर्चित आशियाना गैंगरेप केस का मुख्य आरोपी गौरव शुक्ला वारदात के वक्त बालिग था। बुधवार को गौरव की अपील खारिज करते हुए फास्ट ट्रैक कोर्ट के स्पेशल जज राजेंद्र सिंह ने यह अहम फैसला सुनाया। असल में आरोपी गौरव ने जुबेनाइल जस्टिस बोर्ड के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें कहा गया था कि वारदात के वक्त वह बालिग था।

सरेराह किशोरी का हुआ था किडनैप

वारदात ख् मई, ख्00भ् की शाम की है। आशियाना में घरेलू नौकरानी का काम करने वाली क्फ् साल की किशोरी आयशा (बदला नाम) रजनीखंड से छोटे भाई के साथ वापस घर लौट रही थी। इसी दौरान नागेश्वर मंदिर के पास पराग डेयरी की तरफ से एक सैंट्रो कार आकर रुकी। कार से तीन लोग उतरे और आयशा को जबरन खींचकर कार में बैठा लिया। इसके बाद कार सवार वहां से भाग निकले। इस दौरान आयशा का भाई वहीं चीखता रहा लेकिन, सन्नाटा होने से कोई भी मदद को नहीं आया। उसने घर आकर इस बात की सूचना अपने पिता को दी। उन्होंने आशियाना थाने जाकर रिपोर्ट दर्ज कराई।

गैंगरेप किया, सिगरेट से दागा शरीर

सरेराह किडनैपिंग के बाद आरोपी कार को शहर के कई हिस्सों में दौड़ाते रहे और किशोरी के साथ गैंगरेप किया। इस दौरान आरोपियों ने दरिंदगी की सारी हदें पार कर दी। उन्होंने सिगरेट से आयशा के नाजुक अंगों को दागा। इस वीभत्स कृत्य को अंजाम देने के बाद निशातगंज में आरोपियों ने अपने दो अन्य साथियों को भी कार में बिठा लिया। इसके बाद आरोपियों ने कपूरथला ले जाकर कार को साफ किया। कार की धुलाई करने के बाद आयशा को अलीगंज में एक प्लॉट पर ले गए। जहां उसके साथ फिर से गैंगरेप किया। दरिंदगी के बाद आरोपी देर रात उसे डालीगंज पुल के पास फेंक कर फरार हो गए थे। इस दौरान वहां से गुजर रहे एक पुलिसकर्मी ने आयशा को आशियाना थाना पहुंचाया।

कानूनी पैतरों से बचता रहा गौरव

मामले में एफआईआर दर्ज होने के बाद आयशा की मेडिकल जांच में गैंगरेप की पुष्टि हुई। इस मामले छह लोग आरोपी बनाए गए। इनमें से तीन को सजा व दो आरोपी नाबालिग घोषित किये गए थे। बाद में दोनों ही नाबालिग आरोपियों की अलग-अलग रोड एक्सीडेंट में मौत हो गई। पर, मामले के मुख्य आरोपी गौरव शुक्ला का मामला कानूनी पैंतरेबाजी में उलझ कर रह गया। गौरव के बालिग व नाबालिग तय किए जाने की वजह से अब तक लंबित था। ख्क् मार्च, ख्0क्ब् को अपने आदेश में जुबेनाइल जस्टिस बोर्ड ने गौरव को घटना के वक्त फिर से बालिग करार दिया था। बोर्ड ने आदेश में उसकी उम्र तय करने के लिए सेंट फ्रासिंस स्कूल में नर्सरी क्लास में एडमिशन के समय दाखिल उसके बर्थ सर्टिफिकेट को ही सही माना था। नगर निगम से जारी सर्टिफिकेट में जन्मतिथि क्ब् मार्च, क्977 दर्ज है। जिसके मुताबिक दो मई, ख्00भ् को वारदात वाले दिन गौरव की उम्र करीब ख्8 साल थी। गौरव ने जुबेनाइल जस्टिस बोर्ड के आदेश को चुनौती दी थी। अपील को खारिज फास्ट ट्रैक कोर्ट के विशेष जज राजेंद्र सिंह ने जुबेनाइल जस्टिस बोर्ड के आदेश पर मुहर लगा दी।

ख्7 मार्च से फास्ट टै्रक कोर्ट में सुनवाई

अपील खारिज करने के साथ ही गौरव पर आरोप तय करने के लिए ख्7 मार्च की तारीख भी तय कर दी है। बुधवार को सुनवाई के दौरान अदालत में आरोपी गौरव शुक्ला, पीडि़ता की लड़ाई में मदद करने वाली एक्टिविस्ट और एडवा की सचिव मधु गर्ग और पीडि़ता के पिता मौजूद थे।

कानूनी दांवपेंच

मई ख्00भ् : आशियाना से म् रईसजादों ने क्फ् साल की आयशा को अगवा कर गैंगरेप किया।

सितंबर ख्00भ् : पुलिस ने कोर्ट में अमन, भारतेंदु, फैजान, गौरव शुक्ला व दो नाबालिग के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की।

क्8 अक्टूबर ख्00भ् : गौरव शुक्ला को जुबेनाइल जस्टिस बोर्ड ने नाबालिग घोषित किया। आठ महीने बाद पीडि़ता ने बोर्ड के इस फैसले के खिलाफ कोर्ट में अपील की।

भ् सितंबर ख्007: गैंगरेप में सेशन कोर्ट ने दो आरोपियों भारतेंदु व अमन को क्0-क्0 साल की सजा सुनाई। जबकि नाबालिग घोषित होने के बाद दो आरोपियों की अलग-अलग रोड एक्सीडेंट्स में मौत हो गई।

8 अपै्रल ख्0क्0: आयशा की अपील मंजूर करते हुए सेशन कोर्ट ने जुबेनाइल जस्टिस बोर्ड का आदेश रद्द कर दिया। कोर्ट ने बोर्ड को आदेश दिया कि गौरव की उम्र फिर से निर्धारित करें। यह मामला करीब तीन साल तक जेजे बोर्ड में लंबित रहा।

क्भ् जनवरी ख्0क्फ्: जुबेनाइल जस्टिस बोर्ड ने सुनवाई पूरी करते हुए गौरव शुक्ला को बालिग करार दिया। गौरव ने इस आदेश को चुनौती दी

ख्क् फरवरी ख्0क्फ्: गैंगरेप के एक अन्य आरोपी फैजान को भी सेशन कोर्ट ने दोषी करार देते उम्रकैद की सजा सुनाई।

क्भ् जनवरी ख्0क्फ्: अपील कोर्ट ने जुबेनाइल जस्टिस बोर्ड का आदेश यह कहते हुए रद्द कर दिया कि उसे साक्ष्य पेश करने का मौका नहीं दिया गया। कोर्ट ने बोर्ड को आदेश दिया कि आरोपी गौरव द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य की रोशनी में अपना निर्णय करे।

ख्क् मार्च ख्0क्ब्: जुबिनाइल जस्टिस बोर्ड ने गौरव को एक बार फिर से बालिग करार दिया। फैसले में नगर निगम द्वारा जारी उसके बर्थ सर्टिफिकेट, को ही उसकी उम्र तय करने के लिए सही दस्तावेज माना।

ख्म् मार्च ख्0क्ब्: गौरव शुक्ला की फाइल ट्रायल के लिए डिस्ट्रिक्ट जज की कोर्ट को भेजी गई।

ख् अपै्रल ख्0क्ब्: गौरव ने बोर्ड के आदेश के खिलाफ अपील की। दलील दी कि वह हाईस्कूल मार्कशीट में दर्ज जन्मतिथि के मुताबिक घटना के वक्त नाबालिग था।

भ् अपै्रल ख्0क्ब्: गौरव की अपील सुनवाई के लिए मंजूर हो गई। सुनवाई के दौरान उसकी तरफ से अपील के निस्तारण तक बोर्ड के आदेश पर रोक लगाने की भी एक अर्जी दी गई।

दिसंबर ख्0क्ब्: हाईकोर्ट ने दो माह में अपील को निस्तारित करने का आदेश संबधित कोर्ट को दिया। इसी बीच फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन होने पर गौरव की अपील व उसके मुकदमे के ट्रायल की फाइल भेज दी गई।

ख्म् फरवरी ख्0क्भ्: फास्ट ट्रैक कोर्ट ने सुनवाई पूरी करते हुए अपना फैसला सुरक्षित रखा।

क्क् मार्च ख्0क्भ्: कोर्ट ने जुबेनाइल जस्टिस बोर्ड के फैसले के खिलाफ की गई अपील को खारिज किया। अंतत: गौरव शुक्ला बालिग करार।