देहरादून

प्रेमनगर में देव ज्वैलर्स पर लूट की वारदात को 14 दिन बीत चुके। इस केस में पुलिस हर दिन लुटेरों को पकड़ने की स्ट्रेटजी बदलती रही लेकिन मात खाती रही। पुलिस लुटेरों तक पहुंच भी गई, लेकिन आधी अधूरी तैयारी के चलते पकड़ नहीं पाई। एक तरह से इसे पुलिस की बड़ी विफलता कहेंगे। गोवा में लुटेरों से पुलिस का आमना-सामना हो जाना और फिर पकड़ में नहीं आने की बात पुलिस अधिकारियों को खल रही है। ऐसे में पुलिस लगातार इस केस में प्लानिंग बदल बदल कर किसी भी तरह सफलता हासिल करने की जी तोड़ कोशिश में जुटी है।

7 अक्टूबर :

दिन दहाड़े देव ज्वैलर्स में फायर कर 2 लाख कैश और 2 किलो सोना लूट की वारदात- नाकाबंदी कर लुटेरों को दून से बाहर नहीं निकलने देने की प्लानिंग फेल, जब तक नाकाबंदी करने पुलिस सड़कों पर उतरी, लुटेरे दून की सीमा क्रास कर गए।

8 अक्टूबर:

सीसीटीवी सर्विलांस के जरिए पीछा करने का प्लान। पुलिस ने क्राइम सीन से लेकर हरिद्वार तक सीसीटीवी फुटेज खंगाले। रूट को आईडेंटीफाइ किया, एक जगह फुटेज में लुटेरे ने चेहरे से नकाब हटाया, तो पुलिस ने उसे पहचान लिया, कि यह शातिर चेन लुटेरा करण शिवपुरी है, लेकिन पहचान उजागर करने या फोटो पब्लिश कर सर्कुलेट करने की जगह मामले को छिपाया, लुटेरा श्यामपुर के बाद किसी फुटेज में नजर नहीं आया।

9 अक्टूबर :

मोबाइल नंबर सर्विलांस से पकड़ने का प्लान:

पुलिस ने करण शिवपुरी के यूज किए जा रहे मोबाइल का नंबर हासिल कर लिया। मोबाइल नंबर की लोकेशन निकाली तो नंबर दून से हरिद्वार होता हुए दिल्ली रूट पर मोबाइल स्विच ऑफ हो गया।

10 अक्टूबर :

दिल्ली में पकड़ने की प्लानिंग:

आधी रात बाद फिर मोबाइल ऑन हुआ, दिल्ली के आसपास की लोकेशन मिली। दून से पुलिस की एक टीम दिल्ली रवाना हुई। दोपहर बाद तक पुलिस टीम दिल्ली पहुंची। करण शिवपुरी के पुराने ठिकानों और साथियों से पूछताछ की गई नतीजा फिर सिफर रहा।

11 अक्टूबर:

दिल्ली एयरपोर्ट और गोवा की लोकशन मिली:

इस बीच पुलिस जिस नंबर की सर्विलांस कर रही थी, उसकी लोकेशन दिल्ली एयरपोर्ट और करीब एक घंटे बाद गोवा एयरपोर्ट की मिली। पुलिस दिल्ली में ढूंढती रही, लुटेरे फ्लाइट पकड़ गोवा पहुंच गए।

12 अक्टूबर

दून पुलिस की टीम गोवा रवाना :

अब पुलिस के दो कद्दावर इंस्पेक्टर्स के साथ पांच सदस्यीय टीम दिल्ली से फ्लाइट पकड़ कर गोवा पहुंची। गोवा में दून से मिल रहे मोबाइल लोकेशन इनपुट के आधार पर होटल खंगालने शुरू किए। रातभर होटल खंगाले पर सफलता नहीं मिली।

13 अक्टूबर

गोवा की सड़कों पर सिंघम बनी पुलिस:

गोवा की सड़कों पर दून पुलिस ने सिंघम फिल्म की स्टाइल में कार लेकर शातिर करण शिवपुरी की तलाश में जुटी पुलिस को एक जगह करण दिखा। पुलिस ने उसका फॉलो स्टार्ट किया। एक जगह लुटेरे की कार के आगे पुलिस ने अपनी गाड़ी लगा दी। लुटेरा पुलिस को पहचान गया और डिवाइडर से गाड़ी दूसरी तरफ जंप करा फरार हो गया और मोबाइल स्विच ऑफ कर लिया। लोकेशन मिलना बंद।

14 अक्टूबर

जांच बदलकर नेहरू कॉलोनी थाना इंचार्ज को:

गोवा में करण शिवपुरी के एक बार नजर आने पर पुलिस अधिकारियों को लगा कि वह पकड़ा जाएगा। ऐसे में लूट की जांच प्रेमनगर थाने से बदलकर गोवा गए नेहरू कॉलोनी थाना इंचार्ज दिलबर नेगी के नाम कर दी गई। प्रेमनगर थाना इंचार्ज का जिम्मा भी अनऑफिशियली एसएसपी ने अपने पीआरओ को दे दिया।

15 अक्टूबर

दून और गोवा दोनों जगह सीडीआर के नंबरों पर वर्क:

इधर करण शिवपुरी के परिजनों की तलाश शुरू की। उसका परिवार दून से वापस दिल्ली शिफ्ट हो गया था। एक पुलिस टीम वहां डेरा जमा कर बैठ गई, लुटेरे ने घर वालों को कोई कॉल ही नहीं किया। पुलिस ने दोनों तरफ से रास्ते बंद होने पर करण शिवपुरी के नंबर सीडीआर पर फोकस किया। पुरानी सीडीआर में जिस नंबर पर उसने वारदात के पहले और बाद में कई बार बात की थी, उस नंबर की डिटेल खंगाली।

16 अक्टूबर

दून पुलिस का गोवा में चौथा दिन:

दून पुलिस की टीम गोवा में चार दिन रही। शहर के कई होटल लॉज, सी-बीच और गाड़ी किराए पर देने वालों से पूछताछ की गई, लेकिन करण का दूसरी बार कोई सुराग हाथ नहीं लगा। पुलिस ऑफिसर्स से बात कर गोवा से पुलिस टीम वापस रवाना हो गई।

17 अक्टूबर

लूट का माल खरीदने वाला उठाया:

पुलिस ने लुटेरे के मोबाइल नंबर की सीडीआर के नंबरों में आधार पर रायपुर में ज्वैलरी का काम करने वाले सुर्यप्रकाश को शिकंजे में लेकर पूछताछ शुरू की। उससे करण की बातचीत और अन्य जानकारियां जुटाई की वह कहां जा सकता है, क्या प्लांिनंग है। इस बीच सूर्यप्रकाश ने बताया कि करण विकासनगर और पटेलनगर में लूटी गई दो चेन उसे बेच गया था।

18 अक्टूबर

असफरों को कहानी उजागर करने के लिए कन्वेंस किया:

पहले एसएसपी और एसपी सिटी ने जांच टीम के साथ एक मीटिंग की सारे इनपुट कलेक्ट किए, फिर पुलिस मुख्यालय और आईजी रेंज को इस केस की प्रगति से अवगत कराया और उन्हें वारदात की कहानी बताई। साथ ही यह विश्वास दिलाया कि बिना लुटेरों के शिकंजे में आए वारदात का खुलासा कर उनके नाम उजागर कर दिए जाएं। अफसरों को कई दौर की बातचीत कर आखिरी इस केस की कहानी उजागर करने के लिए कन्वेंस कर लिया गया।

19 अक्टूबर

विना लुटरों के गिरफ्त में आए वारदात का खुलासा:

प्रेमनगर में देव ज्वैलर्स पर लूट कांड के लुटेरों को पकड़ने में नाकाम रही पुलिस ने इस वारदात से पहले विकासनगर और पटेल नगर में हुई दो चेन लूट की वारदातों का माल एक ज्वैलर सूर्यप्रकाश को गिरफ्तार कर उससे बरामद किया गया और प्रेमनगर लूट का भी वारदात की गुत्थी सुलझाने का दावा किया। दो लुटेरे करण शिवपुरी और उसके साथी सोनू यादव को फरार बताया।

20 अक्टूबर

अब इनाम डिक्लेयर करने की प्लानिंग

कई दिन तक मशक्कत के बाद भी लुटेरों के गिरफ्त में नहीं आने पर पुलिस अब उन पर ईनाम घोषित करने की प्लानिंग कर रही है। दावा दबिश का किया जा रहा है लेकिन अंदर खाने उन्हें वांटेड घोषित करने की तैयारी पूरी हो चुकी है।

कहीं नेपाल तो नहीं पहुंच गए लुटेरे:

पुलिस को अब एक और चिंता सता रही है, लुटरों के पास कैश और ज्वैलरी है, आशंका यह भी है कि ज्वैलरी बेचकर भी उन्होंने एक्स्ट्रा कैश हासिल कर लिया हो। गोवा से फरारी के बाद उनकी एक बार भी लोकेशन ट्रेस नहीं हुई, ऐसे में पुलिस को संदेह है कि वे नेपाल भी भाग सकते हैं।

इनका कहना:

वारदात में जिन दो बदमाशों के नाम सामने आए हैं, फिलहाल उनकी तलाश में दबिश दी जा रही हैं, लेकिन अगर जल्द नहीं मिले तो उनकी गिरफ्तारी पर ईनाम डिक्लेयर करेंगे।

अरुण मोहन जोशी, एसएसपी देहरादून