13 लाख की है आबादी सिटी में

02 लाख से भी ज्यादा हाउस ओनर हैं

05 लाख से भी ज्यादा किरायेदार हैं

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पिछले साल यह हुई घटनाएं

केस:1 किराएदार निकला था आईएसआई एजेंट

प्रेमनगर के शाहबाद इलाके में पाकिस्तान का खुफिया एजेंट परवेज उर्फ एजाज किराए पर फोटोग्राफर बन कर रहता था। उसके पास सेना के महत्वपूर्ण दस्तावेज और फोटो मिले थे। 2015 में वह मेरठ से गिरफ्तार हुआ था। उसकी गिरफ्तारी के बाद एटीएस उसे बरेली लेकर आई थी। ऐसे मे पुलिस का मानना था कि वह शहर में बड़ी आंतकी घटना देने के फिराक मे था।

केस:2 अफेयर के चलते किराएदार ने की थी हत्या

बारादरी के सूफी टोला निवासी अजहर चौथी क्लास का स्टूडेंट्स था। बीते 18 जून को वह एक मैरिज हॉल में दावत खाने गया था। अगले दिन उसकी लाश बुखारपुरा मजार के पास गोबर के ढेर में दबी मिली थी। सीसीटीवी कैमरे और सर्विलांस की मदद से पुलिस ने उन्ही के घर में रहने किराएदार को अरेस्ट किया था। क्योंकि उसका अजहर की बहन से अफेयर चल रहा था जिसे उसने देख लिया था।

केस: 3 हत्या कर फरार हुआ था किराएदार

सीबीगंज के छोटी बाजार के रहने वाले एक युवक ने अपने मकान में किराएदार रखा था। किराएदार का कमरा चार-पांच दिनों से बंद था। और मकान मालकिन अपने घर पर नहीं थे। 23 फरवरी को किराएदार के कमरे से पड़ोसियों को बदबू महसूस हुई। जिसके बाद पुलिस की मदद से लोगों ने कमरा खुलवाया था। तब कमरे से एक महिला की सड़ी हुई लाश मिली थी। महिला की पहचान उर्मिला के रूप में हुई थी। 15 फरवरी को उर्मिला अपने घर से फैक्ट्री जाने की बात कहकर निकली थी। उसके बाद से किराएदार वहां से फरार हो गया था।

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-किराए की मोटी रकम के लालच में बिना वेरीफिकेशन किराएदार रख रहे लोग

-कई गंभीर घटनाएं होने के बाद पुलिस डिपार्टमेंट नहीं है अलर्ट

बरेली: अगर आपके घर में भी कोई किराएदार रह रहा है तो न्यूज आपके लिए ही है। आपको बता दें आपकी अनदेखी जानलेवा हो सकती है जिससे सिर्फ आपकी जान को नहीं बल्कि किसी दूसरे को भी खतरा हो सकता है। क्योंकि ज्यादातर लैंडलॉर्ड किराएदार तो रख लेते हैं लेकिन उनका पुलिस वेरीफिकेशन कराना जरूरी नहीं समझते हैं। जबकि बीते साल कई ऐसे मामले आ चुके हैं जिसमें किराएदार ने अपने मकान मालिक की हत्या कर दी या फिर कोई दूसरा क्राइम करके फरार हो गया। इसलिए अगर आपने भी किराएदार रखा है तो उसका पुलिस वेरीफिकेशन जरूर करा लें।

सिर्फ 2600 हैं रजिस्टर्ड

शहर के सुभाष नगर, पुराना शहर, किला, सिविल लाइंस, इज्ज्तनगर और सीबीगंज में लगभग हर घर में किराएदार रह रहे हैं, लेकिन हैरत की बात है कि पिछले तीन सालों में लैंडलॉ‌र्ड्स ने सिर्फ 2600 किराएदारों का पुलिस वेरीफिकेशन कराया है। वहीं पुलिस भी घटना हो जाने के बाद ही अलर्ट होती है। इसके लिए पहले से कोई अवेयरनेस प्रोग्राम नहीं चलाया जाता है। जिससे लैंडलॉर्ड बेखौफ होकर बिना वेरीफिकेशन किराएदार रख रहे हैं।

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थाना 2017 2018 2019 टोटल

किला 120 224 150 494

सुभाषनगर 95 107 124 326

कैंट 85 114 106 305

बारादरी 160 106 88 354

प्रेमनगर 199 169 139 507

इज्जतनगर 140 68 68 304

कोतवाली 111 152 130 393

आईडी भी नहीं देखते

शहर के अस्सी वार्ड हैं, जहां ज्यादातर लोग अपने घरों में किराएदार रखते हैं। दूसरे शहरों के ड्राइवर, कर्मचारी, मजदूर, स्टूडेंट, बैंक एंप्लॉय आदि को किराए पर कमरे देते हैं, लेकिन लैंडलॉर्ड उनका वेरीफिकेशन तो दूर आईडी लेना भी जरूरी नहीं समझते हैं। उन्हें तो सिर्फ किराए से मतलब होता है। मोटे किराए के लालच में वे सभी जरूरी बातों की अनदेखी कर देते हैं। वहीं किराएदार जब मकान खाली नहीं करते हैं तो विवाद होता है जिसमें कई बार किराएदार घातक कदम उठा लेता है।

पॉश एरिया के लोग भी नहीं अवेयर

शहर में पॉश एरिया में भी लोग पोर्शन और रूम रेंट पर देते हैं। पढ़े-लिखे होने के बावजूद ये भी किराएदारों का वेरीफिकेशन नहीं कराते हैं जिससे लूट और चोरी आदि घटनाओं की आशंका बनी रहती है।

ऑनलाइन का भी लेते फायदा

पब्लिक को वेरीफिकेशन कराने के लिए थानों और चौकी के चक्कर न लगाने पड़ें, इसके लिए पुलिस डिपार्टमेंट ने जनवरी 2018 में यूपी कॉप एप लांच किया था जिसमें कोई भी घर बैठे वेरीफिकेशन करा सकता है। इसमे मकान मालिक को अपने साथ किराएदार का नाम, पता, पहचान पत्र और फोटो अपलोड पर अपना पता देना पड़ता है। फिर मकान मालिक को टीएन नंबर मिलता है। जिससे वेरीफिकेशन हो जाता है, लेकिन इसके बावजूद अभी तक एक भी ऑनलाइन वेरीफिकेशन नहीं हुआ।

वर्जन

पुलिस लगातार लोगों किराएदारों वेरिफिकेशन करने के लिए जोर देती है। वेरिफिकेशन खुद की सेफ्टी के लिए होता है। अनजान किराएदार से बचने के लिए बेहद जरूरी है।

शैलेश पाण्डेय, एसएसपी

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बॉक्स : यह जानना भी जरूरी

- आप ऑनलाइप और ऑफ लाइन दोनों तरीकों से करा सकते हैं वेरीफिकेशन

-यूपी कॉप एप पर जाकर ऑनलाइन कर सकते हैं अप्लाई और रोक सकते हैं घटनाएं

- मैनुअल फॉर्म भरकर नजदीकी थाने में जाकर जमा कर सकते हैं

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इसलिए नहीं कराते वेरीफिकेशन

एक्सपर्ट का कहना है कि मकान मालिक टैक्स से बचने के लिए किराएदार का वेरीफिकेशन नहीं कराते हैं। उन्हें लगाता है कि ऐसा करने पर वे टैक्स के दायरे में आ जाएंगे। जबकि ऐसा करने से वे खुद को ज्यादा सुरक्षित रख पाएंगे।

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