खुश हुए पुलिस कर्मियों के बच्चे

ऐसा कई बार होता है जब मुझे मेरे पापा की सख्त जरूरत होती है लेकिन वह ड्यूटी पर होती है। 20-22 साल की जिंदगी में यह कई बार हो चुका है। यहां तक कि पापा से आमने सामने बात भी बहुत कम ही हो पाती है। लेकिन पुलिस डिपार्टमेंट की इस पहल में सिर्फ पुलिस वालों को एक दिन का आफ ही नहीं है बल्कि उनकी फैमिली की खुशियां भी शामिल हैं। यह कहना है कांस्टेबिल हृदय राम यादव की बेटी संगीता का जो एसएनएमई आगरा से एमबीबीएस कर रही हैं। संगीता ने बताया कि उन्हें जब छुट्टी मिलती है तो वह अपने पिता से मिलने लखनऊ आ जाती हैं लेकिन बहुत कम हो पाता है जब दो दिन के स्टे में पापा से ठीक से दो मिनट भी बात हो पाए।

मां तड़पती रही नहीं पहुंच पाये पापा

गोमतीनगर में पोस्ट ध्रुव कुमार शुक्ला का बेटा विनय कुमार शुक्ला केजीएमयू से एमबीबीएस का थर्ड ईयर का स्टूडेंट है। विनय ने बताया कि 2007 में उनके पिता की पोस्टिंग बहराइच में थी। मां की तबियत खराब हुई तो चाचा के साथ मां को लेकर हम लखनऊ आ गये। मां तीन दिन तक केजीएमयू में एडमिट रहीं लेकिन पिता को छुट्टी नहीं मिल पायी। इस तरह के दिन कई बार देखने को मिले जब पिता की सख्त जरुरत थी और वह चाह कर भी हमारे साथ नहीं होते थे। आखिर में मैने वहां पढ़ाई पूरी की और डाक्टर बनने के लिए कंपटीशन पास किया और आज मैं केजीएमयू जैसे कालेज से एमबीबीएस कर रहा हूं। इसी तरह वीआईटी चेन्नई में सेलेक्ट होने वाले अभिषेक भी तमाम ऐसी दिक्कतों का सामना करते हुए यहां तक पहुंचे हैं। अभिषेक के पिता विजय प्रताप गोमतीनगर थाने में कांस्टेबिल की पोस्ट पर तैनात हैं।

ताकि फ्रेश होकर करें ड्यूटी

इस मौके पर डीआईजी नवनीत सिकेरा ने बताया कि हफ्ते में एक दिन का रेस्ट इस लिये दिया जा रहा है कि वह अपनी फैमिली के साथ टाइम एक्सपेंड कर सकें। साथ ही अगले दिन जब वह ड्यूटी पर लौटें तो तरोताजा होकर नयी एनर्जी के साथ काम करें। उन्होंने कहा कि 100 थके हुए लोगों से कई गुना बेहतर वर्क 60 फ्रेश लोग कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि कई बार छुट्टी ना मिल पाने की वजह से या फिर फैमिली में टाइम ना दे पाने की वजह से पुलिस कर्मी स्ट्रेस महसूस करने लगते हैं। जिसका असर उनकी वर्किंग पर पड़ता है।

12 को शनिवार का वीकली आफ

गोमती नगर में एसआई और कांस्टेबल मिलाकर टोटल स्ट्रेंथ 84 की है अगर यहां 72 फ्रेश लोग काम करेंगे तो 12 की कमी नहीं खलेगी। उन्होंने कहा कि इस आफ को ना तो कहीं दूसरी छुट्टियों में काउंट किया जाएगा और ना ही इसका कोई एडजस्ट होगा।

फैमिली के साथ बिताना होगा दिन

कई बार बच्चों को शिकायत रहती है कि उनके पैरेंट्स ड्यूटी में इतना बिजी हैं कि ना तो वह उनके स्कूल की पैरेंट टीचर मीटिंग में शामिल हो पाते हैं और ना ही कभी उनकी जरुरत के हिसाब से समय निकाल पाते हैं। वीकली आफ मिलने के बाद अब यह संभव हो सकेगा।

प्रोवाइडर साबित हो रहे गार्जियन

मेरठ में पोस्टिंग के दौरान एक सिपाही का जिक्र करते हुए नवनीत सिकेरा ने कहा कि उस कांस्टेबिल को अपने बेटी की फीस जमा करने की फुरसत नहीं मिल पा रही थी। बच्ची का नाम काट दिया गया। ऐसे में जब वह अपनी बेटी की प्रॉब्लम साल्व नहीं कर सकता तो फिर पब्लिक के लिए वह दिल से काम कैसे कर सकता है? उन्होंने कहा कि पिता सबसे ज्यादा बेटी को मुहब्बत करता है ऐसे में वह पुलिस कर्मी कैसे खुशी खुशी दूसरों की मदद कर सकेगा जो अपनी बेटी के लिए टाइम नहीं निकाल पाता। ऐसे फादर, फादर कम प्रोवाइडर ज्यादा साबित होते हैं। क्यों कि वह अपने बच्चों की हर जरुरत को प्रोवाइड करा सकते हैं लेकिन टाइम नहीं दे पाते।

आईआईएम करेगा इवोल्यूशन

वीकली आफ की पहल पहले दो मंथ के लिए की गयी है। इसका इवोल्यूशन आईआईएम के प्रोफेसर हिमांशु राय और उनकी टीम करेगी। अगर यह एक्सपेरीमेंट सफल रहा तो इसका विस्तार किया जाएगा।