नजर पीयू इलेक्शन पर टिकी

ऐसे में अगर कोई नेता कहे भी कि इस इलेक्शन से वह अंजान है, तो सौ फीसदी गलत होगा। लिहाजा, गुपचुप तरीके से ही सही, इन बड़े नेताओं की नजर पीयू इलेक्शन पर टिकी है। अब तो आलम यह है कि कई नेताओं के घर पर इस इलेक्शन की चर्चा ही नहीं हो रही, बल्कि जीतने-हराने की रणनीति भी बन नही है।

एमपी के घर हुई मीटिंग और

बात अभी की नहीं है। कुछ दिनों पहले ही सत्ता के करीब रहने वाले एक जेडीयू एमपी के घर स्टूडेंट्स की मीटिंग हुई थी। इसमें अपने कैडिंडेट जिताने की रणनीति भी बनी और इसके लिए हरसंभव सहायता देने का भरोसा भी दे दिया गया। इस मीटिंग के बाद तो संबंधित पार्टी के कैडिंडेट का कंफिडेंस भी बढ़ गया और वे पूरे जोश से चुनावी मैदान डट गए।

फर्क तो पड़ता है भई

पटना की एक सीट से पिता एमएलए। बेटा पुसु इलेक्शन में प्रेसिंडेंट पोस्ट का कैडिडेंट। ऐसे में अगर उस पार्टी से जुड़े लोग अगर उसके लिए रणनीति न बनाएं, तो संभव नहीं। भले ही कोई इंकार करे, पर इसकी प्लानिंग जोरों पर है। इस इलेक्शन में सत्ता की भागीदारी वाली मजबूत जोड़ भी टूट गई। यानी बिहार की सत्ता पर मिलकर काबिज होने वाली पार्टियां भी पुसु इलेक्शन में एक न हो सकीं। अलग-अलग कैंडिडेट खड़ा कर एक बड़ा संदेश जरूर छोड़ दिया गया। अब इस टूट का असर कितना होगा, यह तो आने वाले 11 दिसम्बर को ही क्लीयर होगा। एक स्टूडेंट की मानें, तो विधायक पुत्र होने से पार्टी को फर्क तो पड़ता ही है।

विपक्ष भी टूट चुका

जी हां, इस इलेक्शन की कहानी बिहार असेंबली इलेक्शन के पॉलिटिकल सिनैरियो से जोड़ा जाए, तो विपक्षी भी पूरी तरह टूट गए हैं। यहां वह पुराना जोड़ काम नहीं आ रहा। नतीजतन, छात्र राजद और छात्र लोजपा ने भी प्रेसिंडेंट पोस्ट के लिए अपने-अपने योद्धाओं को उतार चुके हैं। इनके लिए भी पार्टी से जुड़े पुराने स्टूडेंट लीडर लगे हैं। ये पुराने लीडर कई बड़े नेताओं के घर पहुंचकर इस इलेक्शन की चर्चा छेड़ चुके हैं।

रांची व दिल्ली तक से प्रेशर

इस इलेक्शन में प्रेसिंडेट पोस्ट के लिए एक स्टूडेंट एसोसिएशन के कैडिंडेट का नॉमिनेशन कैंसिल हो गया। वीसी के पास इसके लिए तो पैरवी भी की गई। पैरवी भी छोटी नहीं। एक नेशनल पार्टी के दो बड़े नेता, जो बिहार में भी एक्टिव रहे हैं, उनका फोन रांची और दिल्ली से आया। अपनी-अपनी पार्टी के कैंडिडेट के लिए तो कुछ भी करने के लिए तैयार इन नेताओं की फौज धीरे-धीरे बढ़ती ही जा रही है।

हॉस्टल्स पर हैं सबकी निगाहें

अब तो ऐलान-ए-जंग हो चुका है। इसमें सिर्फ जीत ही आखिरी च्इच्छा है, जिसे पूरा करने के लिए हरसंभव तिकड़म भिड़ाया जा रहा है। हद तो यह है कि कुछ कैंडिडेट सपोर्टर्स हॉस्टल में रहने वाले स्टूडेंट्स की वोट के लिए पॉलिटिकल नेताओं की हेल्प की गुहार लगा रहे हैं। कुछ दबंग नेताओं ने हॉस्टल में रहने वाले लड़कों को फोन पर फरमान भी जारी किया है। देखते-देखते पटना यूनिवर्सिटी स्टूडेंट इलेक्शन में भी पॉलिटिकल नेताओं की इंवॉल्मेंट बढऩे लगी है। आने वाले कुछ दिनों में यह और भी तेज होगी। बहरहाल, हार जीत के बाद तो यह विश्लेषण तो जरूर होगा कि आखिर किस पार्टी से संबंध रखने वालों ने बाजी मारी है। ऐसे में अपना किला सेफ रहे, इसका डर हर पार्टी को है।

Political support for president seat

1. आशीष सिन्हा : कैंडिडेट एबीवीपी और एमएलए पुत्र, पटना लॉ कॉलेज, बीजेपी का सपोर्ट

2. स्वाति स्नेहा : कैंडिडेट छात्र जदयू, पटना वीमेंस कॉलेज, जेडीयू का सपोर्ट

3. विद्यानंद विधाता : कैंडिडेट छात्र राजद, दरभंगा हॉऊस, आरजेडी का सपोर्ट

4. शाहीद अहमद आलम : कैंडिडेट लोजपा, पटना लॉ कॉलेज,  लोजपा का सपोर्ट

5. प्रज्ञा राज शिवा,  कैंडिडेट राकांपा, मगध महिला कॉलेज, राकांपा का सपोर्ट

Report by Rajan Anand