- चाय की चुस्कियों के बीच गर्मा रही है सियासत

- सुबह से लेकर रात तक चाय की दुकान पर कई बन जाते है कई प्रधानमंत्री

- उत्साहित हैं चाय वाले, बढ़ गई बिक्री

- चाय की दुकान पर चल रही है राजनीति

Meerut : उबलती हुई चाय के साथ चुनावी चर्चा भी उबाल मारने लगती है। चुस्कियों के बीच अपने फेवरेट नेता को कुर्सी पर बिठाने के दावे किए जाते हैं। जी हां भले ही अभी मतदान न हुआ हो, लेकिन प्रत्याशियों के जीत हार के समीकरण चाय की दुकानों पर लगने शुरू हो गए हैं। आज कल चाय पर देश की सियासत गर्मा रही है। चाय बनाने वाले भी इस मौके को भुना रहे हैं। उनके दुकानदारी में वृद्धि हुई है। आइए क्या है शहर में चाय की दुकानों का सीन आपको दिखाते है

सीन-एक कुटिया

सुबह-शाम कई बनते है प्रधानमंत्री

कुटिया शहर की एक ऐसी जगह है, जहां चाय पीने के लिए हर पेशे और घरेलू लोग आते हैं। आज बड़े-बडे़ पदों पर पहुंचने वाले नेता कुटिया पर बैठकर ही निकले हैं। यहां आजकल पूरे देश की सियासत गर्मा रही है। उबलती चाय के बीच लोगों के उबलते हुए बयान बड़े-बडे़ नेताओं को प्रधानमंत्री पद का सफर तय करा रहे हैं। तीस साल से चाय की दुकान चलाने वाले शास्त्रीनगर निवासी गिरीश बताते हैं कि सुबह छह बजे अपनी दुकान खोल लेते हैं। सुबह समाचार पत्रों के साथ चाय पर राजनीति शुरू हो जाती है, रात को सात बजे तक चलती है। देश के कई प्रधानमंत्री कुटिया पर बैठे-बैठे लोग बना देते हैं। गिरीश ने बताया उन्हें भी मजा आ रहा है, जहां पहले दो सौ चाय बिकती थी वहीं अब चार सौ के करीब चाय बिक रही है।

सीन-ख् कचहरी

मुकदमे की नहीं बल्कि राजनीति की बाते

पूरे देश में राजनीति गर्मा रही है, भला कचहरी कैसे शांत रह सकती है। आजकल कचहरी में भी चाय की चुस्कियों के बीच मुकदमें की बात नहीं बल्कि राजनीति की बात चल रही है। कचहरी में चाय की कैंटीन चलाने वाले मोहनपुरी निवासी नरेंद्र कुमार बताते हैं कि उन्हें कैंटीन लिए एक साल हो गया है, अब से पहले लोग यहां आकर अपने मुकदमों के सिलसिले में या वकील अपनी आपस की बातें करते थे लेकिन पिछले एक महीने से लोकसभा चुनाव का जिक्र चल रहा है। कचहरी में बयान देने आने वाले लोग भी राजनीति में मशगूल हो रहे है। यहां तक यहां आने वाले कलक्ट्रेट कर्मचारी भी चाय की चुस्की पर सियासत पर बखान शुरू कर देते हैं। पहले जहां क्भ्0 कप चाय बिकती थी वहीं अब फ्00 कप के पार हो रही है।

सीन-तीन यूनिवर्सिटी के सामने

सुबह शाम बनाते है सीटों का ग्राफ

छात्र भी सुबह-शाम देश की सीटों का ग्राफ बना रहे है। सीसीएसयू के सामने ओमवीर की चाय की दुकान पर अलग-अलग सीटों का ग्राफ छात्र बना रहे हैं। कोई किसी के पक्ष में ख्00 सीट आने की बात कर रहा है तो कोई किसी के पक्ष में फ्00 सीट आने की बात कह रहा है। जो आंकडे़ दल नहीं लगा रहे होंगे वो इन चाय की दुकानों पर बनाए जा रहे है। सभी अपने-अपने समीकरण बताकर सांसद बना रहे है। ओमवीर ने बताया कि भईया मजा आ रहा है। शिक्षा की बात छोड़कर देश की राजनीति गर्मा रही है। पहले छात्र अपनी पढ़ाई की बातों में उलझे रहते थे, लेकिन अब बड़ी प्रमुखता से चुनाव पर निगाहें जमाए हुए हैं। ओमवीर चाय की बिक्री बढ़ने को लेकर काफी उत्साहित है। एक दिन में दो सौ की बजाय तीन सौ चाय बिक रही है।

सीन-चार सर्किट हाऊस

चाचा की चाय पीकर लगाए जाते हैं समीकरण

पुलिस कर्मियों में चुनाव के प्रति क्रेज देखने को मिल रहा है। चाचा की चाय पीकर चुनाव के समीकरण लगने शुरू हो जाते हैं। सर्किट हाऊस के सामने चाचा की चाय की दुकान राजनीति का बड़ा अखाड़ा बन रही है। यहां अधिकतर पुलिस कर्मी चाय पीते हैं। चाय के बीच चर्चा अपनी जॉब की नहीं बल्कि प्रत्याशियों के समीकरण की हो रही है। पुलिस कर्मी जातिगत समीकरण लगाकर प्रत्याशियों को सुबह-शाम जीत और हार का अनुमान लगाते हैं। चाचा कहते हैं, मुझे चाय बनाने से ज्यादा चुनाव की बात सुनने में मजा आ रहा है। हर कोई अपना प्रधानमंत्री और सांसद बना रहा है। इस बार जितनी चुनाव की चर्चाएं सुन रहा हूं, इससे पहले आज तक नहीं सुनी है। चुनाव के चलते चाचा ने चाय बिक्री में बढ़ोतरी होने की बात कही है।

लोकसभा चुनाव की बातों में मुझे मजा आ रहा है। मैं सुबह शाम जिन दोस्तों से मिलता हूं, केवल हमारे बीच चुनाव की चर्चा होती है। हम सभी को चर्चा करने में मजा आ रहा है।

तरुण

इस बार का आम चुनाव बहुत खास है। हम सभी बड़े-बडे़ दल के नेताओं के बयानों पर चर्चा करते रहते हैं। हम चाय के बहाने चुनाव पर चर्चा करने के लिए दुकानों पर आते हैं।

निखिल

सुबह शाम मैं न्यूज चैनल पर बड़े नेताओं के बयान देखता रहता हूं। मुझे अपनी नौकरी में मजा नहीं आ रहा है। आज मैंने स्पेशल अपनी छुट्टी रखी। चाय के साथ चुनाव में मजा अा रहा है।

निशू भाटिया

मेरे कुछ दोस्त हैं, जिनको मैं स्पेशल चाय पर चुनावी चर्चा करने के लिए दुकान पर बुलाता हूं। हम जातिगत समीकरण लगाकर प्रत्याशी की जीत हार का अनुमान लगाते रहते है। चाय की सियासत रिजल्ट आने तक जारी रहेगी।

मनोज

पहले हम चाय पर अपने काम धंधे की चर्चा करते रहते थे, लेकिन अब काम धंधों की बातों से ज्यादा चुनाव की चर्चा करने में मजा आ रहा है। चुनाव तक चाय पर सियासत जारी रहेगी।

राकेश कुमार