फैक्ट फाइल

- 1709662 वाहनों की संख्या शहर में वर्ष 2015 में

- 1553065 वाहनों की संख्या वर्ष 2014 में

- 1107455 वाहनों की संख्या वर्ष 2010 में -

- 101 (6 सीएनजी) शहर में फ्यूल आउटलेट्स की संख्या

हेडिंग- बढ़ता पॉल्यूशन 'कैद' हुई शहर की आबोहवा

-वाहनों की बढ़ती अनियंत्रित संख्या और रेंगता ट्रैफिक बढ़ा रहा प्रदूषण

-अतिक्रमण रहित सड़कें और वाहनों की संख्या हो कम तो सुधर सकते हैं हालात

LUCKNOW(24 Aug): देश को अंग्रेजों की गुलामी से आजादी मिले हुए सात दशक से अधिक बीत चुके हैं, लेकिन लखनऊ को पॉल्यूशन से आजादी नहीं मिल सकी है। वायु से लेकर मिट्टी और पानी तक सभी प्रदूषित हैं। आए दिन पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की रिपोर्ट आती है कि शहर की आबोहवा सांस लेने लायक नहीं बची है। कई इलाकों में प्रदूषण का लेवल तो काफी खतरनाक स्तर तक पहुंच चुका है।

विश्व स्तर पर पॉल्यूश्ान में आगे

पिछले वर्ष ही विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने लखनऊ को विश्व के सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में 17वें स्थान पर रखा था। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टॉक्सिकोलॉजी रिसर्च (आईआईटीआर)की ओर से हर साल जारी प्री और पोस्ट मानसून सर्वे कर प्रदूषण का स्तर मापता है। हर बार गवर्नमेंट को इसे कम करने के लिए सुझाव भी देता है। जिस पर कोई ठोस कदम न उठाए जाने के कारण ही समस्या लगातार बढ़ती जा रही है।

बढ़ते वाहन बढ़ा रहे प्रदूषण

एक्सप‌र्ट्स के अनुसार लखनऊ में प्रदूषण का मुख्य कारक सड़कों पर दौड़ रहे डीजल व पेट्रोल से चलने वाले वाहन हैं। आरटीओ आफिस के डाटा के अनुसार इस समय लगभग डेढ़ लाख वाहन हर साल की गति से शहर में बढ़ रहे हैं। जबकि पिछले वर्ष तक 17 लाख से अधिक वाहन सिर्फ लखनऊ में ही रजिस्टर्ड हैं। इसके अलावा लगभग एक लाख वाहन रोजाना दूसरे जिलों से भी राजधानी होने के नाते लखनऊ आते हैं या यहां से गुजरते हैं.शहर में ट्रैफिक की हालत है कि 25 से 30 किमी। की दूरी तय करने मे एक घंटे से अधिक का समय लग रहा है। इसके दौरान फ्यूल कंजप्शन भी उसी रेशियों में काफी बढ़ जाता है।

बढ़ाया जाएं प्लांटेशन

एक्सप‌र्ट्स के मुताबिक डेवलपमेंट के साथ ही ग्रीनरी का विशेष ध्यान रखना होगा। सड़कों के किनारे बड़े पेड़ों और पाक और अन्य जगहों पर हरियाली बढ़ानी चाहिए। क्योंकि ये प्लांट ध्वनि और खतरनाक गैसेज को अवशोषित कर लेते हैं। जिससे प्रदूषण में कमी आती है, लेकिन पिछले कुछ सालों में राजधानी के चारों तरफ ग्रीन बेल्ट को अंधाधुंध तरीके से नष्ट किया गया। अगर इसे रोका न गया तो आने वाले कुछ सालों में लखनऊ पॉल्यूशन के टॉप के शहरों में होगा।

ध्वनि प्रदूषण का स्तर भी खतरनाक

एक्सप‌र्ट्स के मुताबिक ध्वनि प्रदूषण के लिए भी सबसे अधिक जिम्मेदार वाहन ही हैं। आईआईटीआर ने पिछले वर्ष की रिपोर्ट में बताया कि था कि रेजीडेंशियल हो या इंडस्ट्रियल एरिया हर जगह मानकों से कहीं अधिक ध्वनि प्रदूषण था।

दी रिकमेंडेंशंस

आईआईटीआर के साइंटिस्ट्स पिछले एक दशक से लगातार पॉल्यूशन लेवल को कम करने के लिए वर्ष में दो बार रेकमेंडेंशंस देता है। जिसमें शहर में मेट्रो, मोनोरेल जैसे पब्लिक मास ट्रांसपोर्ट को शुरू करने, पर्सनल वेहिकल को कम करने, ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम को इम्प्रूव और रोड्स से इनक्रोचमेंट हटाया जाना प्रमुख है। साथ ही प्रेशर हार्न को सभी वाहनों से हटाया जाए और ऑटोमोबाइल पॉल्यूशन को कम किया जाए। गवर्नमेंट को पार्किंग चार्जेज बढ़ाने चाहिए और इसे आवर्ली बेसिस पर किया जाए ताकि लोग निजी वाहनों का कम यूज कर सकें। पैदल चलने वालों के लिए फुटपाथ बनाए जाएं। लेकिन सरकार कोई भी हो, पाल्यूशन कम करने के लिए कोई ठोस उपाय नहीं उठाए जाते।

कोट--

सरकार साइकिल पाथ बना रही है। लोग इनका अच्छे से प्रयोग करें। साथ ही सरकार इनकी सुरक्षा पर भी ध्यान दे। ताकि लोग बिना रोक टोक आ जा सकें। स्कूल कॉलेज, आफिस के लिए इनके प्रयोग को बढ़ावा मिलना चाहिए। इससे पॉल्यूशन लेवल कम किया जा सकता है।

शारिक

कोट--

पिछले कुछ वर्षो में प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ गया है। सरकार के साथ ही हम सभी को भी पर्यावरण के प्रति सचेत रहना चाहिए। अधिक से अधिक पौधरोपण कर हम इनसे बच सकते हैं।

अभिषेक श्रीवास्तव

कोट-

एयर पॉल्यूशन काफी बढ़ा है। पिछले साल ही स्थिति बहुत खराब थी। आने वाले मौसम में हालात खराब न हो इसके लिए अभी से प्रयास करना चाहिए। शहर में वाहन इसके लिए प्रमुख रूप से जिम्मेदार हैं।

निशांत

कोट--

प्रदूषण कम करने के लिए पाल्यूशन कंट्रोल बोर्ड सभी प्रयास कर रहा है। लोगों को भी प्रदूषण मुक्त समाज बनाने के लिए आगे आना होगा।

डॉ। राम करन, रीजनल अफसर, पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड