- गाडि़यों की आवाजाही न होने से काफी बेहतर हो गई थी शहर की हवा

- लॉकडाउन में आया था काफी चेंज, गाडि़यां दौड़ने से बढ़ने लगा पॉल्युशन का ग्राफ

GORAKHPUR: लॉकडाउन खत्म होने की ओर है। शहर में गाडि़यां भी फर्राटा भरने लगी हैं। गाडि़यों के न निकलने से शहर की आबो-हवा काफी अच्छी हो गई थी, अब वह गाडि़यों के निकलने से फिर खराब होने लगी है। जैसे-जैसे सड़कों पर गाडि़यों की संख्या बढ़ेगी, एनवायर्नमेंट के साथ शहर के लोगों की दुश्वारियां भी बढ़ेंगी। ऐसे में अगर हमने कंट्रोल नहीं किया और गाडि़यों को कम इस्तेमाल के साथ ही पेड़-पौधे नहीं लगाए तो दमा-अस्थमा आसानी से जकड़ने के साथ ही मौत की ओर खींचता ले जाएगा।

'जहर' से मिली थी राहत

एनवायर्नमेंटलिस्ट प्रो। गोविंद पांडेय की मानें तो लॉकडाउन के दौरान शहर के लोगों की गाडि़यां भी घरों में ही कैद हो गई। इससे शहर की आबो-हवा में काफी फर्क देखने को मिला। पीएम 10 के साथ ही नाइट्रोजन और सल्फर कॉन्संट्रेशन काफी कम हो गया। इससे लोगों को सांस लेने में होने वाली तकलीफ से भी काफी राहत मिली। शहर की हवा से दूर हुआ यह जहर अब गाडि़यों की तादाद बढ़ने के साथ ही बढ़ने लगा है।

अभी हाइक होगा ग्राफ

एनवायर्नमेंटलिस्ट की मानें तो गोरखपुर के साथ आसपास के लोगों की कई ऐसी जरूरतें हैं, जो उन्हें पूरी करनी हैं, लेकिन रिस्ट्रिक्शन से अभी आवाजाही नहीं हो रही है। लेकिन जैसे ही लोगों को छूट मिलेगी, तो एक साथ सभी अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए बाहर आएंगे। ऐसे में आवाजाही बढ़ेगी और इसके साथ ही पॉल्युशन का ग्राफी भी काफी तेजी से हाइक होगा। एमएमएमयूटी के साइंटिफिक असिस्टेंट सत्येंद्र यादव की मानें तो लॉकडाउन के बाद पॉल्युशन लेवल में काफी कमी आई थी, जो अब धीरे-धीरे बढ़ने लगी है।

लॉक डाउन से पहले माचर् - 2020 -

एरिया पीएम10 एसओ2 एनओ2

रेसिडेंशियल 298.93 18.63 28.82

कॉमर्शियल 334.53 37.19 48.12

इंडस्ट्रियल 345.81 39.92 53.61

लॉक डाउन के दौरान 7 मई 2020 -

एरिया पीएम10 एसओ2 एनओ2

रेसिडेंशियल 42.89 1.53 4.81

कॉमर्शियल 65.23 2.19 6.15

इंडस्ट्रियल 103.76 8.27 15.67

लॉक डाउन के दौरान 1 जून 2020 -

एरिया पीएम10 एसओ2 एनओ2

रेसिडेंशियल 47.87 1.56 4.60

कॉमर्शियल 86.53 3.18 8.54

इंडस्ट्रियल 158.69 13.49 22.79

पैरामीटर्स एंड इफेक्ट्स -

0-50 - मिनिमम इंपैक्ट

51-100 - सेंसिटिव लोगों को सांस लेने में थोड़ा प्रॉब्लम

101-200 - लंग, हर्ट पेशेंट के साथ बच्चों और बुजुर्गो को सांस लेने में दिक्कत

201-300 - लंबे समय तक संपर्क में रहने वालों को सांस लेने में प्रॉब्लम

301-400 - लंबे समय तक संपर्क में रहने वालों को सांस की बीमारी

401 या ऊपर - हेल्दी लोगों को भी सांस लेने में दिक्कत, रेस्पिरेटरी इफेक्ट

हाईलाइट्स

- सभी तरह की गतिविधियां शुरू हो जाएंगी, इससे एटमॉस्फियरिक क्वालिटी डिग्रेड होगी।

- अस्थमा, सीओपीडी के साथ ही हार्ट डिजीज के पेशेंट इस वक्त काफी रिलीव्ड फील कर रहे हैं। रिस्क फैक्टर मिनिमाइज हुआ है और अब फिर यह बढ़ेगा।

- करोना से सिखाया साफ-सफाई और पर्सनल हाईजीन पर ध्यान देना चाहिए। लॉकडाउन 5 में भी हम इसे फॉलो कर रहे हैं।

- जिस तरह हमारा पॉल्यूशन कम था, उसी तरह हमें इससे सबक लेते हुए रूटीन की गतिविधयों में डू एंड डोंट्स को तय करने होंगे।

रिसोर्स ऑप्टीमाइजेशन के साथ वेस्टेज कम करने की पहल करनी होगी।

- पॉल्यूटेंट जहां जनरेट हो रहे हैं, वहां उन्हें प्रॉपर ट्रीट कर उन्हें आगे जाने देना होगा।

- एनवायर्नमेंटल, एटमॉस्फियरिंग और वॉटर बॉडीज क्वालिटी को बनाए रखने के लिए हमें बदलाव करने होंगे।

- लॉकडाउन के बाद एक्टिविटी को प्रमोट करें, लेकिन साथ-साथ पॉल्यूशन कम से कम फैले इसका उपाय करें।

- इतना ही पॉल्यूशन फैलाएं जो एटमॉस्फियर की स्वता शोधन क्षमता के अंदर ही हो, वह फिर उस स्थिति में न पहुंच जाए, जो लॉकडाउन के पहले हुआ करती थी।

- अगर पॉल्युशन का लेवल भी काफी बढ़ गया, तो लॉकडाउन ही सिर्फ एक ऑप्शन होगा।

- लाइफ स्टाइल को चेंज करना होगा, ताकि फ्यूचर में एनवायर्नमेंट पॉल्यूशन को बढ़ने से बचाया जा सके।

लॉकडाउन के दौरान गाडि़यां नहीं चलीं, इंडस्ट्रीज भी बंद रहीं, जिससे पॉल्युशन लेवल में काफी कमी आई है। अब हमें ऐसा एटमॉस्फियर बनाए रखने की जरूरत है। इसके लिए हमें खुद ही डू एंड डोंट्स तय करने होंगे और स्ट्रिक्टली उन्हें फॉलो करना होगा। वरना जिस तरह से कोरोना से लॉकडाउन हमें फेस करना पड़ा है। पॉल्यूशन से बचने का भी सिर्फ लॉकडाउन ही ऑप्शन होगा।

- प्रो। गोविंद पांडेय, एनवायर्नमेंटलिस्ट