GORAKHPUR: देश की राजधानी के साथ सिटी की हवा भी जहरीली होती जा रही है। जिससे गोरखपुराइट्स का सांस लेना भी दूभर होता जा रहा है। हालात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सिटी की जिस आबोहवा में हम सांस ले रहे हैं वहां बिना मास्क एक घंटे पैदल चलने पर चार से पांच सिगरेट के बराबर धुआं हमारे फेफड़ों तक पहुंच जा रहा है। वहीं, बिना एसी वाले घर में रहने वाले लोग 24 घंटे में करीब 5 से 7 सिगरेट के बराबर धुआं इनहेल कर ले रहे हैं।

पॉल्युशन और स्मॉग बांट रहे बीमारी

डॉक्टर्स की मानें तो जो लोग 10 से 12 घंटे तक घर से बाहर रहते हैं उनके लिए कंडीशन बेहद क्रिटिकल है। जो पॉल्युशन का लेवल है उसके चलते लोगों को साइनोसाइटिस, जुकाम और एलर्जी की समस्या आ रही है। स्मॉग के कारण आंखों में जलन, सिर में दर्द, जी मिचलाने जैसी दिक्कतों से भी गोरखपुराइट्स परेशान हैं।

क्या कहते हैं एक्सर्ट

एक्सपर्ट डॉ। सुधीर कुमार बताते हैं कि स्मॉग से बच्चों को ज्यादा खतरा है। हाइट कम होने के कारण बच्चे ज्यादा डस्ट पार्टिकल ग्रहण करते हैं। उनका मानना है कि बच्चों की सांस की नली कमजोर होने व उनके नाक में बाल नहीं होने के कारण डस्ट पार्टिकल फेफड़ों में चले जाते हैं तथा बच्चे जल्दी बीमार हो जाते हैं।

स्मॉग के असर के लक्षण

- अचानक सीने में जकड़न

- अधिक बलगाम आने लगना

- खांसी खत्म ना होना

- आंख से पानी आना

- चक्कर आना, उल्टी आना

- सुनने की क्षमता का कम होना

बचाव के उपाय

- गमछे से मुंह ढक कर निकलें

- बाहर से आने पर भाप लें

- कोई भी दवाई खुद से न लें

- आंखों पर चश्मा लगा कर निकलें

- घर से कम निकलें

- खिड़की दरवाजे बंद रखें

- सांस की परेशानी होने पर डॉक्टर की सलाह लें।

स्मॉग से बचने में पौधे भी मददगार

स्मॉग का प्रभाव कम करने के लिए हम उन पौधों का भी इस्तेमाल कर सकते हैं जो हवा में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाने का काम करते है। एलोवीरा, मनी प्लांट, पीस लिली, रबड़ प्लांट जैसे कई इनडोर प्लांट हैं जो वातावरण को शुद्ध रखने में मदद करते हैं।

वर्जन

पॉल्युशन का लेवल बढ़ने से लोगों की सेहत पर असर पड़ रहा है। लगातार डस्ट और स्मॉग इनहेल करने से लोग गंभीर बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं।

डॉ। सुधांशु शंकर, एमडी फीजिशियन