BAREILLY:

शहर में इस बार लोगों ने पिछले साल के मुकाबले भले ही 2 करोड़ रुपए के पटाखे कम फोड़ें, लेकिन इनके धुएं से होने वाले पॉल्यूशन में जबर्दस्त बढ़ोत्तरी हुई है। 2017 के मुकाबले इस बार पीएम-10 25 फीसदी जबकि पीएम-2.5 में 10 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई। वहीं, 6 नवंबर 2018 की रात के मुकाबले 7 नवंबर दीपावली की रात पॉल्यूशन लेवल 7 गुना तक बढ़ गया। पीएम 2.5 का लेवल मानक से 4 से 5 और पीएम 10 का लेवल मानक से 5 से 7 गुना ज्यादा रिकॉर्ड हुआ। शहर के पॉश इलाकें राजेंद्र नगर, मॉडल टाउन सबसे ज्यादा प्रदूषित रहे।

6 नवंबर को पीएम 2.5 का लेवल 160 माइक्रोग्राम्सस/क्यूबिक मीटर था। यह भी स्टैंडर्ड लेवल 60 माइक्रोग्राम्स/क्यूबिक मीटर से ढाई गुना अधिक है। वहीं पीएम 10 का स्टैंडर्ड लेवल 100 माइक्रोग्राम्स/क्यूबिक मीटर से तीन गुना अधिक 300 माइक्रोग्राम्स/क्यूबिक मीटर था। कुछ एरिया में हो रहे कंस्ट्रक्शन वर्क को विशेषज्ञ इसकी वजह मान रहे हैं।

शाम तक बढ़ता गया पॉल्यूशन

दिवाली वाले दिन सुबह पीएम 2.5 का लेवल 170 माइक्रोग्राम्स/क्यूबिक मीटर था, लेकिन रात 10 बजे यह बढ़कर 430 माइक्रोग्राम्स/क्यूबिक मीटर तक पहुंच गया। वहीं पीएम 10 का लेवल सुबह 300 माइक्रोग्राम्स/क्यूबिक मीटर था जो रात 10 बजे तक बढ़कर 600 तक पहुंच गया।

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पॉश एिरया में जबर्दस्त पॉल्यूशन

पॉश एरिया में सबसे ज्यादा पटाखे फोड़ गए। यही वजह रही कि यहां सबसे ज्यादा पॉल्यूशन दर्ज किया गया। राजेंद्र नगर में पीएम 10 का लेवल 482.12 माइक्रोग्राम्स/क्यूबिक मीटर तक जा पहुंचा। वहीं पीएम 2.5 का लेवल 400 माइक्रोग्राम्स/क्यूबिक मीटर दर्ज किया गया। इसी तरह मॉडल टाउन में पीएम 2.5 का लेवल 490, सिविल लाइंस 390 और सैटेलाइट में 290 माइक्रोग्राम्स/क्यूबिक मीटर तक ही रहा। श्यामगंज और बीसीबी ईस्टर्नगेट का लेवल 200 से कम और जेआरसी का 160 माइक्रोग्राम्स/क्यूबिक मीटर रिकॉर्ड किया गया।

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बॉक्स : नॉइज पॉल्यूशन में भी अव्वल

नॉइज पॉल्यूशन की बात करें तो इसमें भी शहर के पॉश इलाके आगे रहे।

राजेंद्र नगर : 85.92 डेसिबल

अयूब खां चौराहा : 85 डेसिबल, श्यामगंज :ं 84.56 डेसिबल

सिविल लाइंस :ं 89 डेसिबल

कैंट : 85.10 डेसिबल

होना चाहिए (रात में)

रेजीडेंशियल एरिया :ं 45 डेसिबल

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2017

पीएम 2.5 - 270 माइक्रोग्राम्स/क्यूबिक मीटर

पीएम 10 - 485 माइक्रोग्राम्स/क्यूबिक मीटर

2018

पीएम 2.5 : 430 माइक्रोग्राम्स/क्यूबिक

पीएम 10 : 600 माइक्रोग्राम्स/क्यूबिक

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बरॅक्स : पटाखा की बिक्री में दिखी कमी

पॉल्यूशन का लेवल जरूर बढ़ा है, लेकिन इस बार पटाखों की बिक्री घटी है। बरेली में बड़े पटाखा व्यवसायी एसके भसीन के मुताबकि इस वर्ष दीपावली पर 8 से 10 करोड़ रुपए के पटाखों की बिक्री हुई, जबकि पिछले वर्ष यह आंकड़ा 10 से 12 करोड़ रुपएथा। उनके मुताबिक, नोटबंदी, जीएसटी और महंगाई इसकी मुख्य वजह रही।

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बॉक्स : रेस्परेशन सिस्टम कर देता है डैमेज

- पटाखों के धुएं से होने वाले पॉल्यूशन से नाइट्रोजन और सल्फर के कड़ शरीर में पहुंच जाते हैं, जिससे रिस्पिरेटरी डिजीज संभव।

- बच्चों और बुजुर्गो पर ज्यादा असर होता है। अस्थमा की भी प्रॉब्लम हो जाती है। दिल पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ता है।

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बॉक्स : जल्दी थक जाते हैं पक्षी

आईवीआरआई के डायरेक्टर आरके सिंह ने बताया कि पॉल्यूशन का असर इंसानों ही नहीं बल्कि पशु-पक्षियों पर भी पड़ता है। पक्षियों को उड़ने के लिए ज्यादा एनर्जी चाहिए होती है। उड़ने के दौरान ज्यादा ऑक्सीजन लेने से सल्फर और नाइट्रोजन के ज्यादा कण शरीर में पहुंच जाते हैं और उन्हें जल्द थक जाते हैं। यहां तक कि उनकी प्रजनन क्षमता पर भ्ाी इसका असर पड़ता है।

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वर्जन

14 नवंबर तक दिखेगा असर

पॉल्यूशन का असर 14 नवंबर तक दिखेगा। यदि हवा नहीं चली तो यह आगे भी बढ़ सकता है। थर्सडे सुबह हल्की हवा चलने से फर्क आया लेकिन ज्यादा अंतर नहीं दिखा। पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड का भी मानना है कि अगले 4 से 5 दिन तक यही हाल रहेगा।

डॉ। दिनेश कुमार सक्सेना, एमिरेटस प्रोफेसर बीसीबी

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- 6 नवंबर के मुकाबले दीपावली की रात पीएम 2.5 का लेवल मानक से 4 से 5 और पीएम 10 का लेवल मानक से 5 से 7 गुना ज्यादा।

- सबसे ज्यादा पॉल्यूशन शहर के पॉश इलाकों में दर्ज किया गया।