-शहर में पॉल्युशन मॉनीटरिंग सिस्टम और एलईडी लगाने के लिए डीडीएमए ने की पहल

-गोरखपुर में छह स्पॉट्स पर लगाए जाएंगे मॉनीटर

-अब तक शहर की आबोहवा जांचने के लिए सिर्फ तीन स्पॉट पर ही हैं इक्विपमेंट्स

GORAKHPUR: गोरखपुर की आबो-हवा कैसी है, इसकी पल-पल की इंफॉर्मेशन जल्द लोगों को लाइव देखने को मिलेगी। इसका स्टेट्स सड़क पर लगे मॉनीटर पर नजर आएगा। इसकी पहल की है डिस्ट्रिक्ट डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी ने, जिसने शहर की पॉल्युशन की मॉनीटरिंग के लिए सभी जरूरी इक्विपमेंट्स भी मंगवा लिए हैं। इनके इंस्टॉलेशन के बाद शहर के चुनिंदा स्पॉट्स पर डिस्प्ले बोर्ड लगाए जाएंगे, जिसके जरिए लोगों को पॉल्युशन का रियल टाइम डाटा मिलने लगेगा। इसमें कार्बन मोनो ऑक्साइड, पीएम-10, पीएम 2.5 के साथ ही दूसरे हाजार्ड गैसेज की मॉनीटरिंग भी हो सकेगी। इस मुद्दे को दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने नवंबर में उठाया था और 'बिना हथियार जीतने चले पॉल्युशन से जंग' हेडिंग से न्यूज पब्लिश की थी, जिसे संज्ञान लेते हुए डीडीएमए ने पॉल्युशन मॉनीटरिंग की पहल की और अब सारे इक्विपमेंट्स गोरखपुर आ चुके हैं, जिन्हें इंस्टॉल करने में तकरीबन दो माह का वक्त लग सकता है।

एयर क्वालिटी खराब, लेकिन पता नहीं

गोरखपुर में कंडीशन सीवीयर हो या फिर नॉर्मल, लोगों को इसके बारे में पता ही नहीं चल पा रहा है। किसी प्राइवेट वेबसाइट पर जाकर वह एयर क्वालिटी चेक कर रहे हैं, जिसकी वजह से एहतियात बरतकर चल रहे हैं। गोरखपुर में एक्यूआई की मॉनीटरिंग के लिए इस्तेमाल होने वाला इंस्ट्रूमेंट अभी तक नहीं लग सका है। कई शहरों में इसका इंस्टॉलेशन हो चुका है, लेकिन गोरखपुर अब भी इससे महरूम है और लोगों को सिर्फ अंदाज से ही पॉल्युशन के खिलाफ जंग लड़नी पड़ रही है। अब सवाल यह उठता है कि आखिर पॉल्युशन डिपार्टमेंट कब तक गुणा-गणित का ही सहारा लेकर गोरखपुर के लोगों को अंधेरे में रखेगा। जबकि एयर क्वालिटी खराब होने की वजह से लोगों की मुसीबत भी बढ़ती जा रही है।

तीन जगह होती है पॉल्युशन मॉनीटरिंग

गोरखपुर में पॉल्युशन मॉनीटरिंग के नाम पर तीन जगह इक्विपमेंट्स लगाए गए हैं। इनके सहारे सिर्फ पीएम10, एसपीएम, एसओ2 और एनओ2 की ही मॉनीटरिंग हो पाती है। वहीं एयर पॉल्युशन मॉनीटरिंग के लिए सबसे जरूरी एक्यूआई को मॉनीटर करने के लिए जरूरी इंस्ट्रूमेंट ही अवेलबल नहीं है। इंडस्ट्रियल एरिया की बात की जाए तो गीडा में इसकी मशीन लगी हुई है, तो वहीं जलकल भवन पर लगी मशीन की मदद से कॉमर्शियल एरिया के पॉल्युशन की जांच होती है। एमएमएमयूटी में मॉनीटरिंग कर रेसिडेंशियल एरिया का पॉल्युशन कितना है, इसका पता लगाया जाता है। जबकि हकीकत देखें तो शहर में रिहायशी इलाकों के मुताबिक अलग-अलग जगहों का पॉल्युशन लेवल अलग-अलग होता है, लेकिन इसके बारे में जिम्मेदार सोचते भी नहीं हैं। मॉनीटरिंग की जिम्मेदारी मदन मोहन मालवीय यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी के प्रोफेसर गोविंद पांडेय को दी गई है।

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मंथ बीतने के बाद मिलता है डाटा

पॉल्युशन लेवल की बात करें तो अगर कोई यह जानना चाहता है कि फ्लां दिन गोरखपुर में कितना पॉल्युशन रहा होगा, इसकी जानकारी लेना टेढ़ी खीर है। ऐसा इसलिए कि पॉल्युशन डिपार्टमेंट अब तक मशीन लगाने में कामयाब नहीं हो सका है। वहीं सेंट्रल पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड की ओर से चल रहे नेशनल एंबियंट एयर क्वालिटी प्रोग्राम में सिर्फ हफ्ते में दो दिन और साल में 104 दिन ही इसका डाटा 24-24 घंटे के लिए मॉनीटर किया जाता है। एमएमएमयूटी के जिम्मेदार इसका डाटा यूपी पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड को मंथ के आखिर में सौंप देते हैं, लेकिन विभाग के जिम्मेदार इसे प्रॉसेस करने के बाद अपलोड करने में कई दिन बिता देते हैं।

वर्जन

शहर में पॉल्युशन मॉनीटरिंग के लिए इक्विपमेंट आ चुके हैं, इनकी इंस्टॉलेशन प्रॉसेस जल्द शुरू हो जाएगी। इसके बाद शहर के मेजर स्पॉट्स पर मॉनीटर लगाकर पॉल्युशन लेवल डिस्प्ले किया जाएगा, इससे लोग अवेयर हों और आने वाले खतरे को भांपकर पॉल्युशन में कमी के तरीके सोच सकें।

- गौतम गुप्ता, प्रोजेक्ट मैनेजर, डीडीएमए