-पॉलीथिन की वजह से वीक हो रहा है बॉडी का मेटाबॉलिज्म

-स्किन, लीवर के साथ पैन्क्रियाज पर भी पड़ रहा पॉलीथिन का प्रभाव

ALLAHABAD: केंद्र के साथ ही प्रदेश सरकारों ने पॉलीथिन पर प्रतिबंध लगाने का फैसला यूं ही नहीं लिया है। कभी भी नष्ट न होने वाला पॉलीथिन आज पर्यावरण के लिए सबसे बड़ा खतरा बन चुका है। इंसानों के साथ ही यह जानवरों की भी जिंदगी को प्रभावित कर रहा है।

खाने के जरिए शरीर में

खाने-पीने की ज्यादातर चीजें अब पॉलीथिन और प्लास्टिक में ही पैक होकर पैक होकर आती हैं। इसकी वजह से प्लास्टिक में मौजूद केमिकल्स और कार्बन खाने के जरिए शरीर में पहुंच कर मेटाबॉलिज्म को प्रभावित करते हैं। यही नहीं प्लास्टिक के केमिकल्स शरीर में ही घूमते रहते हैं।

दूध पिलाने से कैंसर

नन्हे-मुन्नों को प्लास्टिक की बोतल में दूध पिलाने को भी खतरनाक बताया गया है। कारण, प्लास्टिक की बोतल में रासायनिक द्रव्य की कोटिंग होती है, जो गर्म दूध डालने पर दूध में मिलकर शरीर तक पहुंच जाता है। कई कंपनियां कोल्ड ड्रिंक, पैक्ड फूड व शराब की बोतलों में भी इसी रसायन की कोटिंग कराते हैं। नतीजतन, हार्ट, गुर्दे, लीवर और फेफड़ों को सीधे नुकसान पहुंचता है।

नपुंसकता का भी खतरा

डॉक्टर्स का मानना है कि प्लास्टिक के बर्तन में गरम खाना रखने से पीएफओएच ज्यादा खतरनाक साबित होता है। खाने में लेड नामक रसायन जहर फैल सकता है। फार्मेलडिहाइड रसायन के शरीर में पहुंचने पर किडनी में स्टोन, उल्टी व बाकी समस्याओं को जन्म दे सकता है। प्लास्टिक की गिलास में चाय, कॉफी या फिर पॉलीथिन की थैली में जूस लेना मनुष्य को नपुंसकता का भी शिकार बना सकता है।

क्या-क्या हो रहे हैं साइड इफेक्ट्स

-जमीन की उर्वराशक्ति को पहुंच रहा है नुकसान।

-ज्यादा संपर्क में आने पर लोगों के खून में थेलेट्स की मात्रा बढ़ रही है।

-इससे गर्भ में पल रहे शिशु का डेवलपमेंट डिस्टर्ब हो रहा है।

-प्लास्टिक प्रोडक्ट में प्रयोग होने वाला बिस्फेनॉल कैमिकल ह्यूमन बॉडी में डायबिटीज व लीवर एंजाइम को प्रभावित कर देता है।

-पॉलीथिन का कचरा जलाने पर कार्बन डाई ऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड और डाई ऑक्साइड जैसी विषैली गैसें निकलती हैं।

-इससे सांस, स्किन की बीमारियां होने की आशंका बढ़ जाती है।

-प्लास्टिक पर्यावरण साइकिल को ब्रेक कर देता है।

-प्लास्टिक कचरा जमीन में दबने की वजह से वर्षा का जल भूमि में संचरण नहीं हो पाता है।

-पॉलीथिन एक पेट्रो केमिकल उत्पाद है, जिसमें टॉक्सिक एलीमेंट का प्रयोग होता है।

-प्लास्टिक के थैलों के निर्माण में कैडमियम व जस्ता जैसी विषैली धातुओं का प्रयोग होता है।

शरीर में कैडमियम की हल्की सी मात्रा से ही उल्टियां होने लगती हैं। जबकि दिल का आकार बढ़ने जैसी समस्या भी हो सकती है। इसके अलावा जिंक से दिमाग के ट्शि्यूज डैमेज होने लगते हैं। मानसिक विकास रुक जाता है और सोचने-समझने की शक्ति भी कम हो जाती है।

-डा। आनंद सिंह

फिजिशियन

पॉलीथिन जलाए जाने से लोगों में सांस संबंधित बीमारियां बढ़ रही हैं। क्योंकि पॉलिथिन कचरा जलाने से कार्बन-डाई-ऑक्साइड, कार्बन-मोनो-ऑक्साइड, एसीटोन, मिथलाइल क्लोराइट, टूलीन आदि गैसें निकलती हैं। इनसे सांस, स्किन की बीमारियों की समस्या बढ़ जाती है। इनमें से कई गैसें कैंसर पैदा करती हैं।

-डॉ। आशुतोष गुप्ता

चेस्ट फिजिशियन

पॉलीथिन की वजह से कैंसर की आशंका बढ़ भी जाने के साथ ही शुगर और हार्ट डिजीज का खतरा भी बढ़ जाता है। इससे स्किन, लीवर, पैन्क्रियाज से लेकर शरीर के सभी पार्ट्स इफेक्ट होने के साथ ही हार्मोनल इम्बैलेंस का भी खतरा रहता है।

-डा। बीके मिश्रा

कैंसर रोग विशेषज्ञ