RANCHI: बैन के बावजूद अपनी सिटी में पॉलीथिन का कारोबार चोरी छिपे चल रहा है। यह खुलासा बुधवार को हुआ जब दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम दो साल प्रतिबंधित 50 माइक्रोन की पॉलीथिन के इस्तेमाल की सच्चाई जानने रांची के सबसे बड़े मार्केटिंग हब अपर बाजार पहुंची, जहां दुकानदार से डिमांड करने पर मात्र 100 रुपए में आधा केजी प्लास्टिक 40 माइक्रोन वाला तुरंत उपलब्ध करा दिया गया। यही नहीं ब्लैक प्लास्टिक भी उपलब्ध कराने को दुकानदार तैयार हो गया। 10 बंडल के लिए सिर्फ 100 रुपए की डिमांड की। वहीं, दुकानदार ने यह भी कहा कि प्लास्टिक पर बैन लगा हुआ है, लेकिन हमलोगों को इसका बिजनेस करने में कोई परेशानी नहीं है। नहीं करेंगे तो खाएंगे क्या? यहां यह बता दें कि 2 अक्टूबर से सिंगल यूज प्लास्टिक, थर्मोकॉल, डिस्पोजेबल ग्लास, आर्टिफिशियल फ्लॉवर, बैनर, वॉटर बोटल, आदि कई सामान भी बैन होने वाले हैं। सरकार ने इसकी पूरी तैयारी कर ली है। लेकिन, 50 माइक्रोन के पॉलीथिन पर बैन का जो हश्र है, उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि 2 अक्टूबर से होने वाला प्रतिबंध कितना कारगर होगा। गौरतलब हो कि 05 जून 2017 को ही पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ऑफ झारखंड ने नोटिफिकेशन जारी कर 50 माइक्रोन की पॉलीथिन बैन कर दिया है।

सजा का है प्रावधान

40 माइक्रोन से कम घनत्व वाले प्लास्टिक या रिसाइक्लिड प्लास्टिक से बने किसी कैरी बैग, कंटेनर का निर्माण, वितरण, बिक्री या उपयोग प्रतिबंधित है। ऐसा करते पाये जाने पर आइपीसी की धारा 133 (बी) के तहत सजा का प्रावधान है। झारखंड म्यूनिसिपल एक्ट की धारा 155 के तहत 500 रुपए से एक लाख रुपए तक जुर्माने के साथ-साथ जेल जाने का भी प्रावधान है।

काम कर रहा पूरा चैन सिस्टम

स्टिंग के दौरान खुलासा हुआ कि प्लास्टिक के इस गैर कानूनी कारोबार में पूरा चेन सिस्टम काम कर रहा है। प्रोडक्शन से लेकर दुकानदार सबकी मिलीभगत से यह गोरखधंधा फल-फूल रहा है। बाजार में उपलब्ध कराने तक की जिम्मेवारी प्रोडक्शन हाउस की होती है। इसके बाद बाजार में बैठे दुकानदार इसकी बिक्री करते हैं। कभी कोई जांच करने आ जाये तो कुछ पैसे या अन्य कोई प्रलोभन देकर उससे छुटकारा भी पा लिया जाता है। कार्रवाई के नाम पर किसी ठेले वाले, खोमचे वाले या सब्जी वाले पर फाइन ठोक दिया जाता है।

दो अक्तूबर से थर्मोकोल-डिस्पोजल पर भी प्रतिबंध

राज्य सरकार पूर्व के आदेश का अबतक सही से पालन नही करा पाई है। इसी बीच सरकार के ऊपर एक और जिम्मेवारी आ गई है। दो अक्तूबर से प्लास्टिक, थर्मोकोल, डिस्पोजल, आर्टिफिशियल फ्लॉवर, बैनर, वॉटर बोटल, आदि कई सामनों पर प्रतिबंध लगा दिया जायेगा। देश भर में आदेश प्रभावी हो जायेगा। ऐसे में सरकार के समक्ष यह एक चुनौती ही होगी। वहीं दूसरी और ऐसे प्रोडक्ट का बिजनेस करने वाले व्यापारियों का कहना है कि अबतक हमलोगों के पास किसी प्रकार की कोई जानकारी नहीं पहुंची है।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट

पर्यावरणविद् नितिश प्रियदर्शी कहते हैं कि प्लास्टिक का आविष्कार ही गलती से हो गया है। उस वक्त तो इसे वरदान समझकर शामिल कर लिया गया, लेकिन आज यह समाज के लिए अभिशाप बन चुका है। प्लास्टिक को डिस्ट्रॉय होने पर 200 साल से भी ज्यादा समय लग जाता है। इसे जलाने पर डाइऑक्सीन गैस निकलती है, जो सेहत के लिए बेहद खतरनाक है। इस गैस से सांसों में जलन, खांसी समेत अन्य रोग हो सकते हैं। बोतल बंद पानी में भी यह गैस घुल जाती है जो धीरे-धीरे शरीर को डैमेज कर देती है। इसके अलावा मिट्टी की उर्वरा शक्ति, खेतों की फसल को भी नष्ट कर देती है। नदी और डैम के पानी में मिल कर उसे भी नुकसान पहुंचाती है। इसके प्रोडक्शन पर ही रोक लगानी होगी।

वर्जन :::

सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन लगाया जा रहा है, न कि सभी प्लास्टिक पर। सभी प्लास्टिक को बैन करना इंपॉसिबल है। सरकार ने 2017 में 50 माईक्रोन के प्लास्टिक पर बैन लगाया है। यदि कोई आदेश की अवहेलना कर रहा है तो जांच एजेंसी नगर निगम और पंचायत से इसकी जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी।

-राजीव लोचन बख्शी, सचिव, पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड, झारखंड