लखनऊ (ब्यूरो)। सूबे में पॉलीथीन पर बैन का असर नजर नहीं आ रहा है। राज्य सरकार की तमाम कोशिशों और सख्ती के बावजूद पॉलीथीन की बिक्री धड़ल्ले से जारी है जिसकी सबसे बड़ी वजह संबंधित विभागों के बीच समन्वय न होना है। आपको यह जानकर हैरत होगी कि प्रदेश में केवल गोरखपुर ऐसा शहर है जहां पर पॉलीथीन की बिक्री पर काफी हद तक अंकुश लगाया जा चुका है। यह बात खुद नगर विकास विभाग के अधिकारी भी स्वीकार कर रहे हैं कि सीएम योगी का क्षेत्र होने की वजह से गोरखपुर में बाकी शहरों के मुकाबले स्थिति अच्छी है। अब देखना यह है कि अपर मुख्य सचिव गृह के अल्टीमेटम के बाद राजधानी को प्रतिबंधित पॉलीथीन से मुक्त कैसे बनाया जाता है।

सिंडीकेट भी बड़ी वजह

दरअसल प्रतिबंधित पॉलीथीन पर अंकुश न लग पाने की वजह ऐसा सिंडीकेट भी है जो पॉलीथीन के उत्पादन से लेकर बिक्री तक में लिप्त है। इस सिंडीकेट की वजह से ही तमाम कोशिशों के बावजूद पॉलीथीन का निर्माण रुक नहीं पा रहा है क्योंकि इसमें कई बड़े नेताओं के करीबी रिश्तेदार भी शामिल है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा बीते दिनों प्रतिबंधित पॉलीथीन का निर्माण करने वाली फैक्ट्रियों के खिलाफ कार्रवाई तो की गयी पर कुछ दिनों के बाद उन्होंने फिर से उत्पादन शुरू कर दिया। इसी तरह जुर्माना लगने के बाद भी पॉलीथीन विक्रेताओं द्वारा ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए बिक्री जारी है। वहीं पॉलीथीन पर बैन लगने के बाद नगर विकास मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने भी कई बार अभियान चलाने के निर्देश दिए पर कुछ दिनों बाद ही यह कवायद ठंडे बस्ते में डाल दी गयी। हाल ही में नगर विकास मंत्री ने सारे विभागों को भी पत्र लिखकर उनके कार्यालयों में पॉलीथीन पर पूरी तरह अंकुश लगाने के लिए सख्त कदम उठाने के निर्देश दिए थे।

102 फैक्ट्रियां हैं रजिस्टर्ड

दरअसल पॉलीथीन का निर्माण करने वाली फैक्ट्रियों पर अंकुश लगाने की जिम्मेदारी यूपी पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की है। बोर्ड ने प्रदेश भर की ऐसी 102 फैक्ट्रियों को रजिस्टर्ड भी किया है जिनमें पॉलीथीन बनाई जाती है। इनमें से अधिकांश कानपुर में हैं। इसके अलावा ग्रेटर नोएडा, नोएडा और गाजियाबाद में भी ऐसी फैक्ट्रियां संचालित की जा रही है। इसके अलावा बड़ी संख्या में अवैध फैक्ट्रियां भी हैं जिनमें प्रतिबंधित पॉलीथीन का उत्पादन किया जा रहा है। बोर्ड द्वारा इनको चिन्हित करके कार्रवाई भी की जा रही है।

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