कानपुर(इंटरनेट-डेस्क)। Pongal 2021: पोंगल हिंदू धर्म में मनाए जाने वाले बड़े त्योहारों में से एक है। पोंगल का तमिल में अर्थ उफान या विप्लव होता है। दक्षिण भारत में धूमधाम से मनाया जाने वाला पोंगल पर्व पूर्णतया प्रकृति को समर्पित है। सूर्य को अन्न धन का दाता मान कर चार दिनों तक यह उत्सव मानाया जाता है। कृषि एवं फसल से सम्बन्धित देवताओं को समर्पित पोंगल को हर दिन अलग-अलग नामों से जाना जाता है। इसे भोगी पोंगल ,सूर्य पोंगल ,मट्टू पोंगल और कन्या पोंगल के नाम से पुकारते हैं। पारम्परिक रूप से सम्पन्नता को समर्पित इस त्योहार में समृद्धि लाने के लिए बारिश, धूप तथा खेतिहर मवेशियों की पूजा की जाती है।
अच्छी फसल के लिए सूर्य देव को आभार
पोंगल त्योहार के जरिए भगवान सूर्यदेव को अच्छी फसल के लिए आभार प्रकट किया जाता है। दृक पंचांग के मुताबिक पोंगल इस साल दिन बृहस्पतिवार, 14 जनवरी को मनाया जाएगा। पोंगल का क्षण सुबह 08:29 बजे है। पोंगल के दिन एक नए बर्तन में कच्चा दूध, गुड़ को नई फसल के चावलों को उबालकर पकाया जाता है। इस खास तरह के व्यंजन को ही पोंगल कहते हैं। परम्परागत रूप से पोंगल सूर्योदय के समय एक खुले स्थान पर पकाया जाता है। इस खास दिन पर सूर्यदेव को पोंगल अर्पित करने के बाद घर के सदस्यों को केले के पत्ते पर पोंगल परोसा जाता है।
पोंगल पर जल्लीकट्टू भी मनाया जाता
तमिलनाडु में मान्यता है कि मट्टू भगवान शंकर का बैल है जिसे एक भूल के कारण भगवान शंकर ने पृथ्वी पर रहकर मानव के लिए अन्न पैदा करने के लिए कहा था। ऐसे में आज तक वह इंसान की सहायता कर रहा है। इस त्योहार के दाैरान किसान बैलों को नहलाकर उनकी सिंगों में तेल लगाते हैं। इसके अलावा उन्हें कपड़े व आभूषणों से सुसज्जित कर उनकी पूजा की करते हैं। इस दिन गाय और बछड़ों की भी पूजा की जाती है। तमिलनाडु के कुछ भाग में पोंगल पर जल्लीकट्टू भी मनाया जाता है। जिसमें सांड को गले लगाया जाता है। इसके लिए उसे कंट्रोल करना होता है।

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