-108 एंबुलेंस सेवा की 80 प्रतिशत गाडि़यों पूरी कर चुकी हैं अपनी उम्र

-डीजी हेल्थ का दावा, 36 गाडि़यों अगले कुछ दिनों में बेड़े हो जाएंगी शामिल

देहरादून, 108 एंबुलेंस सेवा के बेडे़ में शामिल करने के लिए खरीदी गई 61 नई एंबुलेंस पिछले कई महीनों से डीजी हेल्थ कार्यालय परिसर में जंग खा रही हैं। उधर बेड़े की 80 परसेंट गाडि़यां अब सड़कों पर चलने की स्थिति में नहीं हैं। उम्मीद थी कि नई एंबुलेंस से दुबारा इमरजेंसी सेवा रफ्तार भरेगी, लेकिन फिलहाल ये सभी 61 गाडि़यां धूल फांक रही हैं। स्वास्थ्य निदेशालय ने दावा किया है कि इनमें 36 गाडि़यां फेब्रिकेशन के लिए गई हैं। जल्द ही 108 के बेडे़ में शामिल कर दी जाएंगी।

80 प्रतिशत गाडि़यों की उम्र पूरी

राज्य में इमरजेंसी सेवा 108 के शुरू हुए 10 साल से अधिक का वक्त हो चुका है। सेवा संचालित करने वाली जीवीके कंपनी के साथ करार खत्म हो चुका है और फिलहाल एक्सटेंशन के आधार पर सेवा संचालित हो रही है। बेड़े की ज्यादातर एंबुलेंस को खुद लाइफ सपोर्ट की जरूरत है। 80 प्रतिशत ऐसे वाहन हैं, जो 5.5 लाख किलोमीटर का सफर पूरा कर चुकी हैं। ऐसे में ये एंबुलेंस अब मरीजों को हॉस्पिटल पहुंचाने में मदद करने के बजाय जान का खतरा बन गई हैं। बताया गया है कि 139 एंबुलेंस के बेड़े में 80 एंबुलेंस 10 साल की अवधि भी पूरी हो चुकी हैं।

मई में खरीदी थी 61 नई गाडि़यां

उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए ऐसे एंबुलेंस खतरनाक साबित हो सकते हैं, कहने की जरूरत नहीं होगी। वहीं इन एंबुलेंस में मौजूद लाइफ सपोर्टिग्स यूनिट्स भी बदहाल स्थिति में हैं। बताया जा रहा है कि जितना खर्च इनके मेंटिनेंस में आता है, उस खर्च में नए इक्विपमेंट एंबुलेंस में लैस किए जा सकते हैं। पिछले कई सालों ने बेड़े में नए एंबुलेंस को शामिल किए जाने की मांग उठती रही है। 2014 में तय हुआ था कि कुछ नई एंबुलेंस शामिल की की जाएं। मई में 61 एंबुलेंस खरीदी गई, लेकिन तब से लेकर अब तक ये एंबुलेंस स्वास्थ्य महानिदेशालय कैंपस में ही खड़ी हैं। बरसात में इन पर जंग लग गया है। घास-फूस के बीच ये गाडि़यां खड़ी हैं।

जो 61 एंबुलेंस आई थीं उनमें से 36 एंबुलेंस को फेब्रिकेशन के लिए भेजा गया है। अगले 4-5 दिनों में ये आनी शुरू हो जाएंगी। इसके साथ ही इन्हें बेड़े में शामिल कर दिया जाएगा।

डॉ। टीसी पंत, डीजी हेल्थ