RANCHI आप इस ब्रह्म स्थल को देख रहे हैं। इसके गुंबद को गौर से देखिए। देखिए कैसे सीमेंट और ईटों की जोड़ से इसकी जान बचाई जा रही है, जबकि यह पुरातात्विक स्थल है। इसमें सीमेंट का उपयोग नहीं होना चाहिए, पर सुननेवाला कौन है। छत के नीचे देखिए स्लैब दरक गई है और कब गिर जाए, यह कोई नहीं जानता है। इन सब चीजों से किसी को कोई मतलब नहीं है। यह कहना है अजय जैन का। अजय जैन सोसाइटी फॉर प्रीजरवेशन ऑफ ट्राइबल कल्चर एंड नेचुरल ब्यूटी के प्रेसिडेंट हैं। वह टैगोर हिल की ऐतिहासिक विरासत को बचाने के लिए संघर्षरत हैं और यहां आर्ट कैंप कराते रहते हैं।

प्याऊ है, पानी नहीं

अपनी शांति और सौम्यता के लिए विख्यात टैगोर हिल अब लव ब‌र्ड्स का बसेरा बन गया है। यहां प्याऊ तो है पर पानी नहीं। अंधियारी रात में रोशनी देने के लिए लगाए गए लैंप पोस्ट में न तो बल्ब है और न इसकी कोई उम्मीद है, क्योंकि यहां बिजली ही नहीं है। हालत यह है कि अंतराष्ट्रीय महत्ववाले इस धरोहर की बाउंड्रीवॉल भी अभी तक पूरी नहीं हो पाई है।

उखड़ रहे हैं ग्रेनाइट

टैगोर हिल के ब्यूटीफिकेशन प्रोजेक्ट के तहत टैगोर हिल के नीचे से फ्00 मीटर ऊपर ब्रह्म स्थल तक, जहां ज्योतिरींद्रनाथ टैगोर साधना करते थे, सीढि़यां बनाकर टाइल्स लगाई गई थीं। लेकिन देखरेख के अभाव में टाइल्स उखड़ गई हैं। कर्नल ओंस्ले के रेस्ट हाउस की खिड़कियों और दरवाजों पर दीमक लग गए हैं और उनकी हालत भी खराब है। सबसे बड़ी दुर्गति तो जहां कलाकारों का आर्ट कैंप लगता है, उसकी है। छत पर लगी सीलिंग उखड़ चुकी है और पंखे के अभाव में गर्मी में हालत खस्ता हो जाती है।

अखड़ा के रूप में डेवलप करना चाहते थे मुंडा

जनजातीय भाषाओं के जानकार और दिवंगत एमपी डॉ रामदयाल मुंडा टैगोर हिल को अखड़ा के रूप में डेवलप करना चाहते थे और उन्होंने अपने एमपी एरिया डेवलपमेंट फंड से 9भ् लाख रुपए सैंक्शन भी किए थे। ख्008 में नेशनल रूरल इंप्लायमेंट प्रोग्राम के तहत इसके ब्यूटीफिकेशन और बाउंड्रीवॉल का काम भी किया गया था, पर अभी तक बाउंड्रीवॉल का काम पूरा नहीं हुआ है।

शांति धाम नाम दिया था

टैगोर हिल का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है, क्योंकि इसके साथ रवींद्रनाथ टैगोर के बड़े भाई ज्योतिरींद्रनाथ टैगोर का नाम जुड़ा है। क्908 में उन्होंने यह पहाड़ी स्थानीय जमींदार हरिहर सिंह से खरीदी थी और यहीं ब्रह्म स्थल पर बैठकर बाल गंगाधर तिलक की मराठी श्रीमद् भागवत गीता को बंगाली में ट्रांसलेट किया था। ब्रह्म स्थल को उन्होंने शांति धाम का नाम दिया था।

'ऐतिहासिक महत्व की धरोहर को सीमेंट और ईटों से जोड़ दिया गया है। यहां न तो पानी है और न बिजली की व्यवस्था। यह अंतराष्ट्रीय महत्व का स्मारक है, पर इसे संजोने के लिए प्रशासन का ध्यान नहीं है.'

अजय जैन, प्रेसिडेंट , सोसाइटी फॉर प्रीजरवेशन ऑफ ट्राइबल कल्चर एंड नेचुरल ब्यूटी