-डीएम तीन बार बना चुके प्रबंधन कमेटी

-रिस्पना-बिंदाल से बरसात से पहले हटाया जाना था अतिक्रमण

-चिन्हिकरण के दावे, अतिक्रमण हटाने की नहीं हुई कार्रवाई

>DEHRADUN: दो महीनों से बरसात से पहले देहरादून जिले में आपदा प्रबंधन करने के तमाम दावे किए जा रहे थे। नदियों के किनारे अतिक्रमण चिन्हित करने को टीमों का गठन हुआ और फिर हटाने के लिए भी टीमें बनी। लेकिन वर्तमान हालात ऐसे है कि तमाम दावे केवल कागजों पर ही हो रहे हैं। मौसम विभाग लगातार भारी बारिश के दावे कर रहा है, लेकिन अभी तक नदियों से अतिक्रमण हटाने के लिए प्रभावी कार्रवाई नहीं हो सकी।

दून में बिंदाल और रिस्पना है खतरा

देहरादून की बात करें तो सिटी में बिंदाल और रिस्पना नदी में बरसात के दिनों में पानी ओवर फ्लो हो जाता है। ऐसे में नदी के आसपास अतिक्रमण कर रहने वालों के कारण बरसात आपदा का रूप ले सकती है।

वर्ष ख्0क्फ् में हुआ था काफी नुकसान

वर्ष ख्0क्फ् में केदारनाथ में तो आपदा आई ही थी, देहरादून में भी सुसवा नदी, बिंदाल और रिस्पना के कारण काफी नुकसान हुआ था। नदियों के आसपास जलभराव हो गया था, जिससे जनहानि तो नहीं हुई थी, लेकिन कई पशुओं की मौत हो गई थी। इसे लेकर मुद्दा शुरुआती दौर में उठा, लेकिन फिर इसे भूला दिया गया।

बरसात से पहले जागा था प्रशासन

डीएम पिछले दो महीनों में तीन बार विभागीय मीटिंग ले चुके हैं। मीटिंग का बरसात से पहले आपदा प्रबंधन की सभी तैयारी पूरी करने पर रणनीति तैयार हुई और टीमें भी गठित हुई। लेकिन इन मीटिंग का असर कोई खास दिखाई नहीं दिया। क्योंकि सबसे बड़ा मुद्दा नदियों के किनारे बसी आबादी का है, जिसे हटाया नहीं जा सका।

दो दिन पहले भी बैठक, बनाई टीमें

डीएम रविनाथ रमन ने दो दिन पहले भी प्रशासनिक अधिकारियों की बैठक ली। इस बैठक में जिलेभर में बरसात में संवेदनशील क्षेत्रों पर चर्चा हुई। नदियों के किनारे अतिक्रमण को हटाने के लिए संबंधित एसडीएम को जिम्मेदारी सौंपी गई।

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टीम को निर्देश दिए गए हैं। संवेदनशील क्षेत्रों को चिन्हित किया जा चुका है। वहां आपदा से निपटने के प्रबंध पहले ही किए जा रहे हैं, ताकि बरसात में परेशानी न हो। टीम को भी निर्देश दिए गए हैं, जो जिम्मेदारी उन्हें सौंपी गई है, उन्हें समय से पूरा करें।

--झरना कमठान, एडीएम एफआर देहरादून