दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के ट्रैफिक सर्वे में लखनवाइट्स ने बताई डेस्टीनेशन तक पहुंचने में हो रहे लेट

LUCKNOW: ट्रैफिक रूल्स तोड़ने पर चालान दर बढ़ने का फायदा भले ही सरकार को मिल रहा हो, लेकिन पब्लिक को अभी ट्रैफिक समस्या से निजात नहीं मिली है। हर दिन स्कूल, कॉलेज और ऑफिस जाने वाले लोग अपने-अपने डेस्टीनेशन तक पहुंचने में लेट होते हैं। इसे सुधारने के लिये जिम्मेदार विभाग भी गंभीर नहीं है। इतना ही नहीं अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ एक दूसरे को कोसने से बाज नहीं आ रहे हैं। लखनवाइट्स की ट्रैफिक संबंधी समस्या को लेकर दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने ट्रैफिक व्यवस्था पर सर्वे कराया तो लोगों ने खुलकर अपनी राय साझा की। ओवरऑल बात करें तो अधिकांश लखनवाइट्स ने खराब ट्रैफिक सिस्टम के लिये अतिक्रमण को सबसे बड़ा कारण बताया। वहीं स्टूडेंट समय से अपने डेस्टीनेशन पर ना पहुंच पाने को मुख्य वजह बदहाल सड़कें व ध्वस्त ट्रैफिक व्यवस्था को मानते हैं। आइये इसको लेकर आपको बताते हैं किस वर्ग ने क्या राय है।

प्रोफेशनल होते हैं ज्यादा परेशान

जेंडर नहीं, मैनेज लेता हूं हां कभी कभी हां, अक्सर फेस करना पड़ता है

पुरुष 05 32 63

महिला 00 56 44

स्टूडेंट 00 63 37

प्रोफेशनल 03 31 66

बिजनेसमैन 11 33 56

पब्लिक ट्रांसपोर्ट में सफर करने वाले होते है ज्यादा परेशान

नहीं, मैनेज लेता हूं हां कभी कभी हां, अक्सर फेस करना पड़ता है

कार ड्राइवर 08 17 75

बाइकर्स 03 38 59

पब्लिक ट्रांसपोर्ट 00 67 33

स्टूडेंट को फेस करना पड़ता सबसे ज्यादा

आयु वर्ग नहीं, मैनेज लेता हूं हां कभी कभी हां, अक्सर फेस करना पड़ता है

15-18 00 00 100

19-35 00 39 61

35+ 10 33 57

डीजे आईनेक्स्ट के रीडर की राय

दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के शुक्रवार के एडिशन में हमने सवाल पूछा था कि ट्रैफिक के कारण डेस्टीनेशन या ऑफिस जाने में आपको लेट होता है? इसके जवाब में हमें वाट्सएप पर सैकड़ों कमेंट मिले। इनमें से रुपेश श्रीवास्तव ने सर्वश्रेष्ठ व बिंदुवार राय जाहिर की। उन्होंने लिखा कि शहर के मेन रोड पर ट्रैफिक कंट्रोलर की ड्यूटी रहती है, लेकिन आउट साइड चौराहे व रोड पर ट्रैफिक कंट्रोलर गायब रहते हैं। इसके चलते लोग आड़े तिरछे तरीके से वाहनों को निकालते हैं और जाम की स्थिति बन जाती है। आलम यह होता है कि जिस चौराहे को क्रास करने में दो से तीन मिनट लगते हैं वहां जाम में फंस कर 10 से 12 मिनट खराब होते हैं और डेस्टीनेशन तक पहुंचने में काफी समय बर्बाद हो जाता है। ट्रैफिक पुलिस केवल वीवीआईपी व शहर के मेन चौराहों पर ही नजर आती है, लेकिन उन जगहों से गायब रहती है जहां सबसे ज्यादा लोगों को जाम फेस करना पड़ता है। ट्रैफिक पुलिस और सिविल पुलिस भी इस समस्या पर कोई ध्यान नहीं देती है, जिसकी वजह से हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं।

वर्जन

स्कूल, कॉलेज के टाइम पर ज्यादातर चौराहों पर ट्रैफिक कंट्रोलर की ड्यूटी लगाई जाती है। ताकि स्कूली बच्चे और स्कूली वैन जाम में न फंस सके। शहर में 70 से ज्यादा चौराहों पर ट्रैफिक ड्यूटी लगाई जाती है। कई चौराहों पर अभी ट्रैफिक कंट्रोलर की ड्यूटी नहीं लग पा रही है। स्टॉफ बढ़ने पर उन चौराहों पर भी फोकस किया जाएगा।

पूर्णेदु सिंह, एसपी ट्रैफिक

वर्जन

अतिक्रमण, ध्वस्त ट्रैफिक व्यवस्था के चलते अक्सर लोग समय से घर से निकलते है लेकिन तय समय पर अपने डेस्टीनेशन तक नहीं पहुंच पाते है। ट्रैफिक व्यवस्था के साथ-साथ लोगों के जागरूक न होने के चलते भी चौराहों पर जाम की स्थिति से रूबरू होना पड़ता है।

-आशीष कुमार

वर्जन

शहर के कुछ चौराहों पर ट्रैफिक कंट्रोलर और सिग्नल लाइट से ट्रैफिक आपरेट होता है लेकिन कई चौराहे अभी भी ऐसे है जहां लोग अपने हिसाब से ट्रैफिक डायवर्ट करते है। इन चौराहों पर कोई व्यवस्था न होने के चलते अक्सर लोग जाम में फंसते है और स्कूल, कॉलेज व ऑफिस जाने में देरी होती है।

-प्रमिति घोष