महाराष्ट्र की पोटा कोर्ट ने सुनाई सजा

महाराष्ट्र की पोटा कोर्ट ने 2002-03 ब्लास्ट केस में मुजम्मिल, वाहिद और फरहान खोट को उम्रकैद की सजा सुनाई है। चार दोषियों को बरी कर दिया गया है। इन लोगों ने अपनी सजा पूरी कर ली थी। बाकी तीन दोषियों को दो साल और जेल में रहना होगा। ज्ञात हो कि मुंबई के तीन लोकल रेलवे स्टेशनों पर ये सिलसिलेवार धमाके हुए थे। धमाकों में 12 लोग मारे गए थे जबकि 130 जख्मी हुए थे।

 

बाबरी मस्जिद और गुजरात दंगो का बदला लेना चाहते थे

दिसंबर 2002 से मार्च 2003 के बीच मुलुंड मुंबई सेंट्रल और विले पारले स्टेशन और आसपास के इलाकों में तीन ब्लास्ट हुए थे। सिलसिलेवार हुए इन धमाकों में 10 आरोपियों को पोटा और आर्म्स एक्ट के तहत दोषी माना गया था। जिसमें से तीन आरोपियों नदीम पलोबा, हरुन लोहार और अदनान मुल्ला को बरी किया जा चुका है। जांच एजेंसियों ने ब्लास्ट को सिमी मेंबर्स की साजिश बताया गया था। पुलिस ने कुल 16 लोगों को अरेस्ट किया था। चार्जशीट के मुताबिक आरोपी बाबरी मस्जिद और गुजरात दंगों का बदला लेना चाहते थे।

सिमी का पूर्व जनरल सेक्रेटरी था धमाकों का मास्टर मांइड

मुंबई लोकल ट्रेन और स्टेशन पर हुए इन धमाकों का मास्टरमांइड सिमी का पूर्व जनरल सेक्रेटरी साकिब नचान था। पहला ब्लास्ट 6 दिसंबर, 2002 को मुंबई सेंट्रल रेलवे स्टेशन के पास एक रेस्टोरेंट में हुआ था। इस धमाके में 40 लोग जख्मी हुए थे। दूसरा ब्लास्ट 27 जनवरी 2003 में विले पारले रेलवे स्टेशन के बाहर मार्केट में हुआ था। इस ब्लास्ट में 35 लोग जख्मी हुए थे। तीसरा ब्लास्ट 13 मार्च 2003 में मुलुंड स्टेशन पर लोकल ट्रेन में हुआ था। इस धमाके में 12 लोगों की मौतहुई थी वहीं  50 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे।

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