- बिजली की बचत में पटनाइट्स हैं पीछे

- पट्नाइट्स बिजली की खपत में हैं आगे

PATNA: बिहार में प्रति व्यक्ति बिजली की खपत राष्ट्रीय औसत से सबसे कम है, साथ ही बिजली की बचत को लेकर भी यहां अवेयरनेस की कमी है। यही वजह है कि कई बार यह कंप्लेन बेसलेस हो जाती हैं हमें तो ज्यादा बिल आता है। यह बात पेसू के एक अधिकारी का कहना है। उन्होंने दावा किया कि बिजली घर-घर तक पहुंचाने की बात बेमानी है। कम से कम बिहार में तो यह पॉसिबल नहीं है। इसका कारण है कि यहां उत्पादन है नहीं और वर्तमान खपत को पूरा करने के लिए बड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। बिजली की खपत बढ़ गई है बीते चार-पांच साल में, लेकिन इसके साथ बचत की आदत वैसी नहीं है।

चालीस परसेंट तक होता है लॉस

जो बिजली मिल रही है, उसे कंज्यूमर्स तक पहुंचने से पहले ही 40 परसेंट तक लॉस हो जाता है, जिसे ट्रांसमिशन व डिस्ट्रीब्यूशन लॉस कहा जाता है। इसमें जहां एक ओर ढ़ांचागत कमियों के कारण नुकसान हो रहा है, तो वहीं अनावश्यक रूप से बिजली की खपत होने से भी लॉस हो रहा है। घर से निकलने से पहले बिजली के सभी उपकरणों को बंद करना, अगर रौशनदान से पर्याप्त रोशनी आ रही हो, तो लाइट बंद करना, सामान्य बल्ब जलाने की बजाय सीएफएल जलाना आदि जैसे अभी तक एक आदत के रूप में नहीं रहा है।

आदत से बदल सकती है तस्वीर

वर्तमान समय में अगर जोन वाइज देखें, तो ईस्ट जोन में बिजली की खपत कम और वेस्ट जोन के इलाकों में बिजली की खपत अधिक है। लेकिन एक अंतर और है कि इस्ट में बिजली की बचत की वैसी नहीं है जैसा कि वेस्ट जोन में। यहां अभी तक सामान्य बिजली के बल्ब ही प्राय: यूज हो रहे हैं, जबकि सीएफएल बल्ब का प्रयोग का प्रयोग न केवल बिजली बचाएगा, बल्कि बिल भी नियंत्रित रखेगा। अभी इस इलाके में वैसी स्थिति नहीं है, जबकि सबसे अधिक ट्रिपिंग इसी जोन में है।

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70 परसेंट तक बिजली बचा सकते हैं

अगर सामान्य बल्ब की बजाय सीएफएल बल्ब का प्रयोग करें लाइटिंग में और हीटर की बजाय माइक्रोओवेन में खाना बनाया जाए तो बिजली की 70 परसेंट तक बचत की जा सकती है। बिजली विशेषज्ञों का कहना है कि बिजली बचत के लिए आदत बदलने की जरूरत है। अगर हर दिन कम से दो घंटे हम इसी प्रकार के नए प्रयोग से बिजली को बचाने का प्रयास करें तो कम से पांच से दस परसेंट तक बिजली की खपत को कम करने में सफल होंगे। जानकारी हो कि पटना में ब्भ्0 एमवी बिजली की मांग रहती है जो पीक ऑवर के दौरान बिजली की खपत भ्00 एमवी तक पहुंच जाती है। अगर इसे मिनिमाइज कर लिया जाए तो यह उत्पादन करने से कम महत्वपूर्ण नहीं होगा।