- सुपारी शूटर आशुतोष उर्फ आशु अरेस्ट

- 10 लोगों की योजना में निपटा मनोज

GORAKHPUR: प्रॉपर्टी डीलर, प्रधान मनोज यादव हत्याकांड का पुलिस ने खुलासा कर दिया है। गुरुवार को एसएसपी लव कुमार ने बताया कि दो लाख में मनोज के मर्डर की सुपारी दी गई थी। पांच लोगों की साजिश में शामिल होकर शार्प शूटर आशुतोष सिंह उर्फ आशू ने सौदा तय किया। बुधवार की शाम तरकुलहा मोड़ से चौरीचौरा पुलिस ने आशुतोष को पिस्टल के साथ अरेस्ट किया। मर्डर, मर्डर की साजिश में शामिल अन्य अभियुक्तों की तलाश चल रही है।

बाहर बुलाकर मारी थी गोली

चौरीचौरा एरिया के महदेवा जंगल गांव का मनोज यादव प्रधान था। प्रधानी के साथ-साथ वह प्रॉपर्टी डीलिंग भी करने लगा। 27 अगस्त की रात करीब साढ़े 11 बजे वह अपने घर पहुंचा। तभी पीछे से दो बाइक पर आए युवकों ने उसे बाहर बुलाया। मनोज के बाहर निकलते ही वह ताबड़तोड़ गोली मारकर फरार हो गए। परिजनों ने मनोज को मेडिकल कॉलेज पहुंचाया। जहां डॉक्टर्स ने उसेमृत घोषित कर दिया।

दोस्त ने दी थी सुपारी

पुलिस का कहना है कि वर्ष 2008 में मनोज की दोस्ती गांव के दुर्गेश चौधरी से हुई। मनोज यादव ने उसे अपना कारोबार देखने की जिम्मेदारी सौंप दी। इसके बदले में मनोज उसको तीन-हजार रुपए खर्च के लिए दे देता था। जनवरी मंथ में दुर्गेश ने मनोज ने नाता तोड़ लिया। उसने गांव के कृष्णा चौधरी और विवेक यादव के साथ कारोबार शुरू कर दिया। बेलही चौराहे पर गंगा की भूमि खरीदने को लेकर मनोज और दुर्गेश के बीच कहासुनी हुई। इसके बाद चौरीचौरा तहसील भवन के सामने रविंद्र की भूमि खरीदने के लिए कृष्णा और दुर्गेश ने सौदा तय किया। जानकारी होने पर दो दिन बाद मनोज ने उसी भूमि की मुहमांगी कीमत देकर खरीद ली। इससे दोनों गुटों में खटास बढ़ गई।

दुर्गेश को अपमानित करता था मनोज

दुर्गेश और कृष्णा की सौदेबाजी में टांग अड़ाकर मनोज उनको अपमानित करने लगा। अपने गांव के रामनयन चौधरी को हराकर मनोज प्रधान बना था। मनोज अपने पिता को भी राघोपुर से चुनाव लड़ने की तैयारी जुट गया। रामनयन दोबारा प्रधान न बन पाए इसलिए उसने डेढ़ सौ लोगों का नाम वोटर लिस्ट से कटवा दिया। दुर्गेश और कृष्णा ने रामनयन, उसके बेटे कविंदर और रामनयन के कट्टर समर्थक सुग्रीव से बात की। किसी को प्रॉपर्टी तो किसी को प्रधानी के लिए मनोज को रास्ते से हटाने की जरूरत थी। सबकी सहमति पर कृष्णा ने अपने बहनोई लहसड़ी निवासी आशुतोष उर्फ आशू से बात की। साले का मामला होने पर आशु ने मनोज की हत्या के लिए हामी भर दी।

मुखबिरी पर लगाया ठिकाने

आशुतोष सिंह ने दो लाख में हत्या की सुपारी ली। उसने अपने सहयोगियों लहसड़ी निवासी रंजीत निषाद, डुहिया के जितेंद्र चौधरी, गोपालगंज के कटया निवासी डब्लू शुक्ला को साथ मिलाया। हत्या की तारीख तय होने पर विवेक यादव को बताया। मनोज की दिनचर्या पर मनोज नजर रखने लगा। 27 अगस्त की रात रंजीत, जितेंद्र, डब्लू शुक्ला और दुर्गेश को लेकर आशुतोष पहुंचा। मनोज की गोली मारकर जान ले ली।

सुपारी किलर फरार

मर्डर, मर्डर की साजिश रचने में कृष्णा चौधरी, विवेक यादव और दुर्गेश को पहले ही पुलिस ने अरेस्ट कर लिया। सुपारी किलर आशुतोष को नहीं अरेस्ट कर सकी। उसके खिलाफ पांच हजार का इनाम जारी किया गया है। एसओ कैंट श्यामलाल यादव ने बुधवार की शाम आशुतोष के चौरीचौरा एरिया में मौजूद होने की सूचना दी। चौरीचौरा एसओ राधेश्याम राय, कांस्टेबल राजेश राय, वृजानंद यादव और सुशील यादव ने आशुतोष को पिस्टल के साथ पकड़ लिया। पूछताछ में मर्डर की पूरी कहानी सामने आ गई।

अपहरण, हत्या के मामले में जा चुका है जेल

आशुतोष के खिलाफ संतकबीर नगर जिले के मेंहदावल में अपहरण, हत्या, बलवा, हत्या के प्रयास, खोराबार में हत्या के प्रयास, मारपीट, आ‌र्म्स एक्ट, कैंट थाना में हत्या और हत्या की साजिश रचने और चौरीचौरा में हत्या, आ‌र्म्स एक्ट, हत्या की साजिश रचने के आधा दर्जन से अधिक मुकदमे पहले से दर्ज हैं। वर्ष 2010 में संतकबीर नगर के मेंहदावल एरिया निवासी ईट भट्ठा व्यवसायी के बेटे का अपहरण करके आशुतोष सिंह गैंग ने काशीराम आवासीय योजना के एक मकान में रखा। फिरौती न मिलने पर बालक की बोटी-बोटी काटकर राप्ती में फेंक दिया था। इसके अलावा आशुतोष का नाम लाल बहादुर मर्डर में भी सामने आया।

फरार चल रहे रामनयन, कविंदर, सुग्रीव, रंजीत, जितेंद्र, डब्लू की पुलिस तलाश कर रही है। जिन अभियुक्तों के खिलाफ इनाम नहीं घोषित है। उनके खिलाफ इनाम जारी किया जाएगा। आशुतोष का नाम पहले भी वारदातों में सामने आया है।

लव कुमार, एसएसपी