संगोष्ठी से तीन दिवसीय प्रेमचंद लमही महोत्सव का शुभारम्भ

काशी के विद्वानों ने मुंशी जी के जीवन पर प्रकाश डाला

VARANASI

साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद के पैतृक गांव लमही में मंगलवार से तीन दिवसीय महोत्सव का शुभारंभ हो गया। वक्ताओं ने कहा कि हिंदी और उर्दू भाषा में दक्ष प्रेमचंद ने अपने लेखन में आमजन की पीड़ा को उकेरा। वे युग प्रवर्तक रचनाकार थे, उनकी रचनाओं में तत्कालीन इतिहास बोलता है।

गांधी से प्रभावित थे मुंशीजी

क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्र और जिला प्रशासन के संयुक्त तत्वावधान में लमही स्थित प्रेमचंद शोध अध्ययन केंद्र में पहले दिन 'प्रेमचंद साहित्य का सामाजिक सरोकार' विषयक संगोष्ठी हुई। डॉ। नीरजा माधव ने कहा कि मुंशी जी मानव की आधारभूत महत्ता पर बल देते थे। प्रो। सदानंद शाही ने कहा कि उनकी कृतियां भारत के सर्वाधिक विशाल और विस्तृत वर्ग की कृतियां हैं। डॉ। मुक्ता ने कहा कि उन्होंने पुरुषों को मानसिकता बदलने का संदेश दिया। डॉ। अत्रि भारद्वाज ने कहा कि हिंदी कहानियों के विकास के इतिहास में प्रेमचंद का आगमन विशेष घटना है। डॉ। गया सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय चेतना में प्रेमचंद गांधी जी से प्रभावित थे।

चित्रकला प्रतियोगिता भी हुई

प्रो। श्रद्धानंद ने कहा कि प्रेमचंद की रचना दृष्टि विभिन्न साहित्य रूपों से बृहत हुई। डॉ। सदानंद सिंह ने प्रेमचंद के व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला। द्वितीय सत्र की अध्यक्षता प्रो। सुरेंद्र प्रताप द्वारा की गई, इस सत्र के मुख्य वक्तागण डा। इंदिवर, डॉ। उदय प्रताप एवं शोध छात्र रहे। क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्र के प्रमुख डा। यशवंत सिंह राठौर ने अतिथियों का स्वागत और संचालन डॉ। रामसुधार सिंह ने किया। इस अवसर पर पत्रकार हिमांशु उपाध्याय, अजय गुप्ता, अतुल सिंह, सुमित घोष, मोहन लाल आदि थे। अंत में आयोजित चित्रकला प्रतियोगिता में बीएचयू, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, जीवनदीप महाविद्यालय और धीरेंद्र महिला पीजी कॉलेज के विद्यार्थियों ने प्रतिभाग किया। विद्यार्थियों द्वारा मुंशी प्रेमचंद के साहित्य सम्बंधित चित्रों का सृजन किया गया।

'पंच परमेश्वर' नाटक का मंचन

लमही में विशाल भारत संस्थान के बच्चों ने 'पंच परमेश्वर' नाटक का मंचन किया। बच्चों के अभिनय ने जमकर तालियां बटोरी। अध्यक्ष राजीव श्रीवास्तव ने कहा कि ग्रामीण पंचायतों की व्यवस्था को उजागर करती है कहानी पंच परमेश्वर।