पूरा पड़ाईन बस्ती को खाली करने की सेना की चेतावनी पर पब्लिक की गुजारिश

अ‌र्द्धकुंभ के मद्देनजर पूरी बस्ती को किया जाना है शिफ्ट

ALLAHABAD: गरीब हैं तो क्या हुआ? क्या हमें जीने का अधिकार नहीं है? कानूनी और न्यायिक प्रक्रिया जब सभी के लिए है? तो फिर हमारे लिए क्यों नहीं? शासन की योजनाएं जब गरीबों के लिए चलाई जाती है, निराश्रितों को आवास का आवंटन होता है तो फिर हम लोगों को आवास क्यों नहीं मिल पा रहा है? दारागंज स्थित पूरा पड़ाई बस्ती में रह रहे सैकड़ों परिवारों की ओर से कुछ इसी तरह का सवाल उठाया जा रहा है। क्योंकि उन्हें डर है कि कहीं उन्हें बेघर न कर दिया जाए।

सेना के जमीन पर बनी है बस्ती

पूरा पड़ाईन बस्ती के लोग इसलिए डर रहे हैं क्योंकि जिस जमीन पर बस्ती बसी है, वह सेना की है। सेना के अधिकारी जमीन खाली कराना चाहते हैं। लेकिन, बगैर आवास की व्यवस्था के बस्ती के लोग बस्ती छोड़ना नहीं चाहते हैं। हाईकोर्ट ने भी आदेश कर रखा है कि पहले इन्हें बसाया जाए, इसके बाद ही हटाया जाए। दारागंज स्थित पूरा पड़ाइन में रोजी-रोजगार के लिए विभिन्न शहरों से आए लोग सेना की जमीन पर झोपड़ी बनाकर परिवार के साथ रहने लगे। कई दशक बीत गए। सन 2000 में सेना ने बस्ती को खाली कराने का प्रयास किया तो संगम मलिन संघ के नाम से अनुग्रह नारायण सिंह ने हाईकोर्ट में रिट किया। जिस पर हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि जब तक इन्हें बसाया न जाए, तब तक उजाड़ा न जाए।

बाक्स

डरे हुए हैं बस्ती के लोग, अधिकारियों से लगाई गुहार

सेना के अधिकारियों ने पिछले हफ्ते बस्ती में पहुंच कर धमकी दी तो बस्ती के लोग सहम गए। पूर्व विधायक के साथ ही अधिकारियों के दरवाजे पर पहुंच कर सुरक्षा की गुहार लगाने लगे हैं। शनिवार को बस्ती के दर्जनों लोगों ने कलेक्ट्रेट पहुंच कर अधिकारी को ज्ञापन सौंपा और कार्रवाई की मांग की।

कई पीढि़यों से यहां रह रहे हैं, अब सरकार ही बताए कि हम कहां जाएं। अगर यहां से हटाया गया तो फिर मरने के सिवाय कोई दूसरा रास्ता नहीं बचेगा।

पशुपति नाथ

बस्ती के लोग किसी तरह अपनी जिंदगी चला रहे हैं। सभी को यहां से हटाया जाता है तो लोग कहां जाएंगे? सरकार लोगों के रहने का इंतजाम करे।

अजय कुमार

हम लोगन का सुनै वाला कोई नहीं है। कभी सेना वाले तो कभी अधिकारी आकर जमीन खाली करने की धमकी देते हैं। कोई मदद नहीं करता है।

कुंती देवी

जमीन सेना की हो या फिर सरकार की कोई कब्जा नहीं करना चाहता है। बस इतनी मांग है कि सरकार हमारी मदद करे। हमें आवास मुहैया कराए।

अंजनी कनौजिया

जमीन सेना की है। हम भी मानते हैं। हाईकोर्ट ने आदेश दे रखा है कि पहले सभी को बसाया जाए, फिर उजाड़ा जाए, तो फिर बसाने का प्रयास सरकार क्यों नहीं करती?

लालता प्रसाद सोनकर

हम अपनी जान दे देंगे, लेकिन इस जमीन को छोड़ कर नहीं जाएंगे।

पुष्पा

हम भी यहां के वाशिंदे हैं। हमारे पास भी राशन कार्ड, आधार कार्ड है। हम भी यहां के वोटर हैं।

गीता

रोड पर घरों में रहने वालों को कांशी राम आवास में जगह दी जा रही है। लेकिन जो लोग बेघर हैं, इस तरह की बस्ती में रह रहे हैं, उन्हें आवास नहीं मिल रहा है।

जयराजी

बस्ती में रह रहे सैकड़ों गरीब परिवार इस देश के ही नागरिक हैं। इन्हें भी जीने का हक है। जब बेसहारा गरीबों के लिए आवासीय योजनाएं बन रही है तो फिर इन्हें जगह क्यों नहीं दी जाती है। केन्द्र, राज्य सरकारों के साथ कैंटोनमेंट बोर्ड को ध्यान देना चाहिए।

अनुराधा

सोशल एक्टिविस्ट