सियासी समीकरण बदलने के आसार, मिलेगी बड़ी जिम्मेदारी हेडिंग

आजादी के बाद इलाहाबाद यूनिवर्सिटी छात्र संघ की पहली महिला अध्यक्ष

योगी का खुलकर विरोध करने के बाद आई थीं चर्चा में

ALLAHABAD: इलाहाबाद यूनिवर्सिटी छात्रसंघ की अध्यक्ष ऋचा सिंह ने सैटरडे को लखनऊ में समाजवादी पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली। उन्हें सपा के प्रदेश प्रभारी शिवपाल सिंह यादव ने शपथ दिलाई। इससे सियासी पारा अचानक चढ़ गया है। ऋचा के सपा ज्वाइन करने से सियासी समीकरण को लेकर तमाम संभावनाएं जताई जा रही हैं। बता दें कि ऋचा इलाहाबाद यूनिवर्सिटी छात्रसंघ की आजादी के बाद चुनी गई पहली महिला अध्यक्ष हैं। उनसे पहले वर्ष 1927 में एसके नेहरू महिला अध्यक्ष चुनी गई थीं।

शुरू से ही मिला सपा का साथ

ऋचा सिंह ने सपा की सदस्यता भले अभी ग्रहण की हो लेकिन इसका खाका छात्रसंघ चुनाव में ही तैयार हो गया था। चुनाव के समय समाजवादी छात्रसभा के बैनर तले चुनाव लड़ रहे अजीत यादव विधायक का पर्चा खाजिर होने के बाद सपा नेताओं ने ऋचा को समर्थन देने का ऐलान किया था। वैसे उन्होंने फ्रेंड्स यूनियन के बैनर तले चुनाव लड़ा था। उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी रजनीश सिंह रिशु को 11 मतों से शिकस्त दी थी। चुनाव बाद भी ऋचा की सपा नेताओं से नजदीकियां कम नहीं हुई। ऋचा के हर आंदोलन में समाजवादी छात्रसभा व सपा से जुड़े नेता खुलकर मंच साझा करते रहे।

योगी के विरोध से बटोरी सुर्खियां

चुनाव बाद ऋचा का नाम उस समय सुर्खियों में आया जब उन्होंने 20 नवम्बर 2015 को छात्रसंघ उद्घाटन समारोह में शामिल होने के लिए आ रहे भाजपा सांसद योगी आदित्यनाथ का खुलकर विरोध किया। इसके बाद ऋचा तब चर्चा में आई जब उन्होंने भारतीय अमेरिकी पत्रकार सिद्धार्थ वरदराजन को यूनिवर्सिटी कैम्पस में बुलाया। ऋचा ने इविवि छात्रसंघ भवन में सपा सांसद धर्मेद्र यादव एवं विधायक संग्राम यादव को बुलाकर संगोष्ठी का आयोजन भी किया। इन तीनो कार्यक्रमों के दौरान उनका अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े छात्रसंघ के पदाधिकारियों से पंगा हुआ।

हमेशा निशाने पर रही मोदी सरकार

अध्यक्ष बनने के बाद ऋचा ने अपने प्रत्येक कार्यक्रमों एवं आन्दोलनो के दौरान केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार को निशाने पर रखा। जिसकी प्रतिक्रिया भी देखने को मिली। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर ने उनके डिफिल प्रवेश को नियम विरुद्ध बताकर जांच बैठा दी थी। जिसका ऋचा ने डटकर विरोध किया। उनके विरोध को सपाईयों का भी पूरा समर्थन मिला। उधर, यूपी के सीएम अखिलेश यादव ने लखनऊ में ऋचा को न केवल रानी लक्ष्मी बाई पुरस्कार देकर सम्मानित किया, बल्कि ऋचा की पैरवी पर सीएम ने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के छात्रों को छह बसों में मुफ्त यात्रा का तोहफा भी दे दिया। कुछ दिनो पहले सपा के झंडे वाले ऋचा के पोस्टर नजर आए तभी उनके पार्टी में शामिल होने की चर्चा शुरू हो गई थी।