- करीब आधा दर्जन स्थानों पर है नेताओं का फोकस

- अधिकारी अपने बचाव का खोज रहे हैं फार्मूला

आगरा। हर बार की तरह इस बार भी आतिशबाजी की दुकानों के लिए प्रशासन पर दबाव का दौर शुरू हो गया है। आगरा में तो कम से कम आतिशबाजी के लिए दुकानों के लिए स्थान का ठेका लेना नेताओं के लिए फायदे का सौदा साबित हो रहा है। नेताओं का इस पर फोकस ज्यादा है। हालांकि अधिकारी भी अपने बचाव के कई फॉर्मूले अपना रहे हैं।

कोठी मीना बाजार और जीआईसी ग्राउंड पर नजर

कोठी मीना बाजार, जीआईसी और सेक्टरों के पार्को में आतिशबाजी की दुकाने लगाए जाने का ठेका उठाया जाता है। प्रशासन ऐसे करीब 21 स्थानों पर अस्थायी दुकान बनाकर आतिशबाजी की बिक्री की अनुमति देता है। जिस व्यक्ति को ठेका मिलता है,वह व्यक्ति दुकान बनाकर तैयार करता है। इसके बाद उन्हें बेचता है। इसमेंअच्छी खासी कमाई होती है। सबसे ज्यादा फायदे के स्थान कोठी मीना बाजार, जीआईसी ग्राउंड और सेक्टरों के पार्क हैं। यहां का ठेका लेने के लिए पूरी ताकत झोंक दी जाती है। छोटी मोटी सिफारिश नहीं चलती, बल्कि सांसद और विधायक तक इसमें जुट जाते हैं। हालांकि प्रशासन ने राजनैतिक प्रेशर कम करने के लिए बोली सिस्टम लागू किया है। बावजूद इसके राजनीति होती है और ठेके भी उनके चहेतों को मिल ही जाते हैं।

पिछले वर्ष भी बनाया था दबाव

गत वर्ष भी सांसद और विधायक अपने-अपने लोगों को ठेका दिलाए जाने के लिए आखिर तक डीएम और एडीएम सिटी पर दबाव बनाते रहे थे। आखिर में सांसद को सफलता मिल गई थी। इसके साथ ही विधायक का भी प्रशासन ने सम्मान रख लिया था। इस बार भी कुछ ऐसा ही होने जा रहा है। क्योंकि गत वर्ष का नेताओं का अनुभव काफी फायदे का सौदा साबित हुआ था।

प्रशासन मांगता है आवेदन

ठेका देने के लिए प्रशासन आवेदन मांगता है। इसके बाद नियत तिथि पर बोली लगाई जाती है। बेशक बोली बुलवाई जाती है, बावजूद इसके नेताजी की इच्छा पूरी कर दी जाती है। इस बार सांसद इस खेल से दूर हैं, लेकिन दो विधायक पूरी कोशिश में हैं। अभी से उन्होंने गोटी बिठाना शुरू कर दिया है।

नेताजी के दरबार में ठेकेदार

जो लोग ठेका लेने के इच्छुक हैं, वे नेताओं के दरबार में शरण लिए हुए हैं। अभी से नेताओं को सेट करने में जुटे हुए हैं। ठेकेदार फायदे और नुकसान बता रहे हैं। कहां पर फोन कर सफलता मिल सकती है, की भी नेताजी को ठेकेदार बता रहे हैं। वहीं अधिकारी भी प्रेशर कम बने इस फॉर्मूले पर काम कर रहे हैं।

बकायेदार भी है लाइन में

गत वर्ष पांच लाख का बकाएदार ठेकेदार इस बार भी ठेका लेने की जुगत में जुटा हुआ है। हालांकि प्रशासन ने भी उससे वसूली करने का प्रयास नहीं किया है।